कोविड महामारी की वजह से तीर्थ यात्रियों के लिए बन्द पड़े बद्री—केदार, गंगोत्री, यमनोत्री और श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा को श्रद्धालुओं के लिए खोले जाने की मांग उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान जनप्रतिनिधियों ने जोर—शोर से उठाई।
दिनेश मानसेरा
कोविड महामारी की वजह से तीर्थ यात्रियों के लिए बन्द पड़े बद्री—केदार, गंगोत्री, यमनोत्री और श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा को श्रद्धालुओं के लिए खोले जाने की मांग उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान जनप्रतिनिधियों ने जोर—शोर से उठाई। बता दें कि चार धाम यात्रा पर हाई कोर्ट ने कोविड महामारी की वजह से रोक लगाई हुई है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में गढ़वाल के लोगों का आर्थिक चक्र चारधाम यात्रा से ही चलता रहा है। पिछले साल कोरोना में यात्रा पर रोक लगाई गई थी। लेकिन बाद में स्थानीय जिले एवं उसके बाद फिर उत्तराखंड के श्रद्धालुओं के लिए यात्रा खोल दी गयी और उन्हें परमिट सिस्टम से चारों धामों पर जाने का प्रबंध सरकार द्वारा किया गया। ताकि वहां कोविड नियमों का पालन हो सके।इस साल मंदिर कपाट तो खुल गए, लेकिन वहां श्रद्धालुओं को नहीं जाने दिया गया। ऐसा उच्च न्यायालय के आदेश से हुआ।
इस साल यात्रा शुरू होने से पहले ही एक जनहित याचिका पर उत्तराखंड हाइकोर्ट ने यात्रा पर रोक लगाने के निर्देश जारी कर दिए। सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गयी, परन्तु आदेश यथावत रहा।
इस बारे में कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने विधानसभा मानसून सत्र के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार सही ढंग से पैरवी नहीं कर रही, इसलिए रोक लगी। लिहाजा सरकार को पुनः इस पर पुरजोर पैरवी करनी चाहिए।
पर्यटन-धार्मिक मामलों के मंत्री सतपाल महाराज कहते हैं कि सरकार को मालूम है कि इससे आर्थिक नुकसान हो रहा है, परंतु कोर्ट के आदेश की वजह से सरकार के हाथ बंधे पड़े है।
चारधाम पाबन्दी पर अधिवक्ता वैभव कांडपाल कहते हैं कि केवल हिन्दू त्योहारों, रीति—रिवाजों, यात्राओं पर ही पाबंदी क्यों लगाई जाती है ? अभी पिछले दिनों मोहर्रम हुआ, बकरीद हुई; पर इन पर छूट दी गई। लिहाजा परिणाम देखने को मिला कि केरल में कोरोना विस्फोट हुआ। ऐसे में उत्तराखंड सरकार को कोर्ट के सम्मुख आर्थिक पहलुओं को प्रभावशाली ढंग से रखना चाहिए। यह राज्य के लोगों की रोजी—रोटी से जुड़ा मामला है।
बद्रीनाथ धाम में रहने वाले पर्यटन व्यवसायी विकास जुगरान कहते हैं कि होटल, टैक्सी, रेस्तरां, हवाई सेवाएं, चाय खोके, पेट्रोल पंप, प्रसाद चुनरी बेचने वाले, घोड़े—खच्चर, पालकी वाले जैसे हज़ारों लोगों की रोजी—रोटी पिछले दो सालों से प्रभावित है। इनके घरों के चूल्हे नहीं जल रहे हैं। इनके बच्चों के स्कूल की फीस का संकट है। इसलिए सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। गोपेश्वर के पत्रकार देवेंद्र रावत कहते हैं कि सरकार को उत्तराखंड के लोगों के लिए यात्रा खोलनी चाहिए। पर्यटन स्थल देश के पर्यटकों के लिए आपने खोल दिये तो टेस्ट रिपोर्ट देख कर चार धाम यात्रा क्यों नहीं शुरू की जा सकती ? करोड़ों रु का व्यापार चौपट हो गया है।
इस पूरे मामले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि सरकार भी चारधाम यात्रा के प्रति सजग है। हमने विधिक राय के लिए चर्चा की है। सरकार भी चाहती है कि सीमित संख्या में कोविड गाइड लाइन्स के तहत यात्रा शुरू हो। इसके लिए विकल्प तलाश किए जा रहे हैं।
बहरहाल, चारों धामों के अलावा फूलों की घाटी के पास सिखों के तीर्थ स्थल श्री हेमकुंडसाहिब गुरुद्वारे के लिए भी यात्राबन्द हैं। जबकि फूलों की घाटी के लिए वन विभाग ट्रैक परमिट जारी कर रहा है।
उत्तराखंड के सभी पर्यटन स्थलों पर आवाजाही पर कोई रोक टोक नहीं है। कोविड टेस्ट और गाइड लाइन्स पर पर्यटक आ जा रहे हैं। ऐसे में तीर्थस्थलों एवं चारधाम यात्रा पर पाबंदी का औचित्य समझ नहीं आता।
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