पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन की इस दुख भरी घड़ी में शामिल न होकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पिछड़ों के निशाने पर आ गये हैं. सपा और कांग्रेस का कोई भी नेता पिछड़ों के सबसे बड़े नेता कल्याण सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल होने नहीं पहुंचा. अलग-अलग इलाकों में पिछड़ा समाज के लोगों ने इसकी आलोचना की है.
कल्याण सिंह के अंतिम संस्कार में जहां पूरा प्रदेश और देश उमड़ पड़ा वहीं मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी जैसे नेताओं के शामिल न होने से पिछड़ा समाज को आघात पहुंचा है. भाजपा के नेताओं ने भी विपक्षी पार्टियों के इस कृत्य की घोर निंदा की है.
श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा है कि "सपा और कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व सामान्य शिष्टाचार भी भूल गया है. उन्होंने केवल पिछड़ों, दलितों के वोट लिये हैं लेकिन कभी भी दलितों और पिछड़ों का सम्मान नहीं किया है. समय आने पर सपा और कांग्रेस को समाज इसका जवाब जरूर देगा. उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह के निधन पर जहां पूरा प्रदेश और देश श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए उमड़ रहा था. लखनऊ से लेकर अलीगढ़, अतरौली, नरौरा घाट पर अंतिम संस्कार में जिस तरह से जनसैलाब उमड़ा. प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रहीं मायावती समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री पहुंचे. मुलायम सिंह यादव, वर्ष 2003 में कल्याण सिंह जी के सहयोग से मुख्यमंत्री बने थे लेकिन उनके निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने के लिये नहीं आए. यह कहीं न कहीं इस बात को दर्शाता है कि पिछड़ों के नेता का सम्मान अखिलेश यादव बर्दाश्त नहीं कर पाए.
उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज ने कहा है कि "समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व, राजनीति में नैतिक मूल्यों को भूल चुका है. अंतिम यात्रा में न पहुंचकर अखिलेश यादव ने पिछड़ी जाति के लोगों को निराश किया. ये पिछड़ों और दलितों का बहुत बड़ा अपमान है. सदियों में कभी-कभी कल्याण सिंह जैसे नेता पैदा होते हैं. अगर इन लोगों के अंदर नैतिकता शेष है तो वो राष्ट्र से क्षमा मांगें नहीं तो उनको आने वाले चुनाव में इसका प्रभाव देखने को मिलेगा."
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा है कि "अखिलेश अपने आवास से मात्र 1 किमी दूर माल एवेन्यू में स्व. कल्याण सिंह जी को श्रद्धांजलि देने नहीं आ सके. कहीं मुस्लिम वोट बैंक के मोह ने उन्हें पिछड़ों के सबसे बड़े नेता को श्रद्धांजलि देने से तो नहीं रोक लिया? सपा और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का यह कृत्य अत्यंत निंदनीय है.
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