तालिबान ने अब दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। उसने अमेरिका के साथ ही ब्रिटेन को भी साफ चेतावनी दी है। 24 अगस्त यानी आज होने वाली जी-7 देशों की बैठक में यह मुद्दा खास तौर पर चर्चा में आना तय है
तालिबान ने अमेरिका को एक बार फिर धमकाया है कि वह 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से निकल जाए अन्यथा नतीजा अच्छा नहीं होगा। मट्टर मजहबी तालिबान की इस धमकी के बाद अमेरिका की बयान आया है कि इस महीने के अंत के बाद वह भी अफगानिस्तान में रुकना नहीं चाहता।
अफगानिस्तान में दिन-ब-दिन बिगड़ती परिस्थितियों को देखते हुए अनेक देश अपने नागरिकों को वहां से सुरक्षित बाहर निकालने की आपाधापी में हैं। रोजाना हजारों लोग वहां से कठिन परिस्थितियों में निकाले जा रहे हैं। वहां अमेरिका और ब्रिटेन की फौजें तैनात हैं और सिर्फ अपने नागरिकों को ही नहीं, ऐसे अफगानी नागरिकों को भी वहां से निकाल रही हैं जो तालिबान के अफगानिस्तान में नहीं रहना चाहते हैं। इन हालात को देखते हुए कुछ दिन पहले अमेरिका का बयान भी आया था कि जरूरत पड़ी तो घोषित 11 सितम्बर की तारीख से आगे भी अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में रुकेेंगे। परन्तु अपनी ही बात से पलटते हुए उन्होंने बाद में यह तारीख 31 अगस्त कर दी। लेकिन तालिबान ने अब दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। उसने अमेरिका के साथ ही ब्रिटेन को भी साफ चेतावनी दी है। 24 अगस्त को तय जी-7 देशों की बैठक में यह मुद्दा खास तौर पर चर्चा में आना तय है।
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन से प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पत्रकार ने पूछा कि यदि अमेरिका तथा ब्रिटेन अफगानिस्तान से निकलने की तारीख 31 अगस्त से आगे बढ़ाने को कहेंगे तो क्या तालिबान को यह स्वीकार्य होगा? इस पर सुहैल शाहीन ने साफ इंकार किया। सुहैल ने आगे कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन कह चुके हैं कि वे 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से सारी सेना लौटा लेंगे। ऐसे में, अगर वे तारीख को आगे बढ़ाते हैं तो मतलब यह होगा कि वे यहां अपने कब्जे की मियाद भी आगे बढ़ाना चाह रहे हैं। इसकी कोई जरूरत नहीं है। इससे रिश्ते खराब होंगे, भरोसा उठ जाएगा। तारीख आगे बढ़ाने की प्रतिक्रिया होगी। यानी तालिबान यही चाहते हैं कि अमेरिका या ब्रिटेन 31 अगस्त के बाद अफगानिस्तान में दिखने नहीं चाहिए।
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल ने आगे कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन कह चुके हैं कि वे 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से सारी सेना लौटा लेंगे। ऐसे में, अगर वे तारीख को आगे बढ़ाते हैं तो मतलब यह होगा कि वे यहां अपने कब्जे की मियाद भी आगे बढ़ाना चाह रहे हैं। इसकी कोई जरूरत नहीं है। इससे रिश्ते खराब होंगे, भरोसा उठ जाएगा। तारीख आगे बढ़ाने की प्रतिक्रिया होगी।
इस तालिबानी चेतावनी के फौरन बाद अमेरिका ने जवाब दिया कि महीने के अंत के बाद वह भी अफगानिस्तान में रुकना नहीं चाहता है। पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन कर्बी का कहना है, ''हमारी दिन भर में कई बार बात होती है तालिबान से। हम जानते हैं वे क्या चाहते हैं। तालिबानी चाहते हैं हमारा मिशन 31 अगस्त तक पूरा हो जाए। हम भी इस मिशन को 31 अगस्त तक पूरा करना चाहते हैं। 31 अगस्त के बाद क्या होगा, इस पर अभी कुछ कहना ठीक नहीं होगा। अभी तो हमारा पूरा ध्यान नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालने पर है।''
इधर तालिबान तो उधर अमेरिका, दोनों एक-दूसरे पर बयानों के जरिए दबाव बनाना चाहते हैं। अमेरिका का '31 अगस्त के बाद तक' रुकने की बात के संदर्भ में कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका अफगानिस्तान में बनने वाली सत्ता में अपना दखल बनाए रखना चाहता है। इसलिए वह और आगे तक रुकना चाहता है। लेकिन इसकी संभावना को खत्म करने के लिए तालिबान का 23 अगस्त का वह बयान भी गौर करने के काबिल है जिसमें उसने कहा है कि वह अफगानिस्तान में सरकार 31 अगस्त तक अमेरिका के निकल जाने के बाद ही बनाएगा।
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