पाकिस्तान तालिबान को कथित खाद-पानी तो पहुंचा ही रहा है, उनकी हरसंभव मदद भी कर रहा है। अपनी इसी हरकत पर आगे बढ़ते हुए पाकिस्तान सरकार ने आतंकी मुल्ला को रिहा किया है
पाकिस्तान की इमरान खान सरकार किस हद तक तालिबान के साथ एक ही पाले में बैठी है इसका ताजा उदाहरण है 18 अगस्त को मुल्ला रसूल की पाकिस्तान जेल से रिहाई। कभी तालिबान का बड़ा जिहादी माना जाने वाला मुल्ला रसूल, मुल्ला अख्तर मंसूर के तालिबान का प्रमुख बनने पर ऐसा चिढ़ा था कि उसने अपना अलग गुट बना लिया था। उसे 2016 से पाकिस्तान ने जेल में बंद किया हुआ था।
तालिबान के काबुल पर कब्जा कर लेने के बाद पाकिस्तान उन जिहादियों को कथित खाद—पानी तो पहुंचा ही रहा है, उनकी हरसंभव मदद भी कर रहा है। अपनी इसी हरकत पर आगे बढ़ते हुए पाकिस्तान सरकार ने आतंकी मुल्ला को रिहा किया है। मुल्ला को मार्च 2016 में बलूचिस्तान सूबे से पकड़ा गया था। रॉयटर्स की मानें तो मुल्ला कभी तालिबान नेताओं का नजदीकी था पर फिर मुल्ला अख्तर मंसूर तालिबान का सरगना बन गया तो उसने छिटक कर अपना अलग गुट बना लिया। फिर उसे पाकिस्तान में पकड़कर जेल में बंद कर दिया गया। पांच साल से वह जेल में कैद था।
पाकिस्तान सरकार ने आतंकी मुल्ला को रिहा किया है। इससे पहले तालिबान ने बगराम जेल से पाकिस्तान में तालिबान की तर्ज पर चलने वाले जिहादी गुट तहरीके तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी के एक हजार जिहादी छोड़े थे। साफ संकेत मिले हैं कि पाकिस्तान का यह तालिबानी गुट अफगानिस्तानी तालिबान के साथ खुलकर एकजुटता दिखाने लगा है।
खबरों के अनुसार, रसूल का साथ देने वाले जिहादियों को लगता था कि मंसूर लालच में आकर पाकिस्तान के इशारे पर काम करने लगा था। तालिबान को पैदा करने वाले मुल्ला उमर की मौत होने पर रसूल तथा मंसूर दोनों ही तालिबान के सरगना होने का दावा ठोंक रहे थे।
बहरहाल, उधर तालिबान ने भी अफगानिस्तान की बगराम जेल से एक हजार पाकिस्तानी जिहादियों को छोड़ कर अपनी तरफ से जिहादी जमात को खुश करने की कोशिश की ही थी। बगराम जेल से छुड़ाए गए जिहादी हत्यारे पाकिस्तान में तालिबान की तर्ज पर चलने वाले जिहादी गुट तहरीके तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी के हैं।
साफ संकेत मिले हैं कि पाकिस्तान का यह तालिबानी गुट अफगानिस्तानी तालिबान के साथ खुलकर एकजुटता दिखाने लगा है। समा न्यूज की एक खबर है कि काबुल की बगराम जेल से छोड़े गए जिहादी गुट टीटीपी के एक हजार जिहादियों में मौलाना फाकिर मुहम्मद भी है, जो टीटीपी नंबर दो का सरगना रह चुका है।
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