काबुल की सड़कों पर तैनात तालिबान के आतंकवादी
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

काबुल की सड़कों पर तैनात तालिबान के आतंकवादी

by WEB DESK
Aug 16, 2021, 03:46 pm IST
in विश्व, दिल्ली
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

काबुल पर तालिबान का कब्जा होते ही भारत सहित अनेक देशों के मुसलमान खुशी मना रहे हैं। अब समझ में आ रहा है कि मुस्लिम जगत क्यों नहीं किसी आतंकवादी वारदात की निंदा तक नहीं करता है।


डॉ. विश्वास चौहान

दुख का विषय है कि सोशल मीडिया पर भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बहुत सारे मुसलमान अफगानिस्तान के आतंकवादी संगठन तालिबान की प्रशंसा कर रहे हैं और काबुल पर कब्जे के लिए प्रसन्नता व्यक्त कर रहे हैं। ये वही हैं, जिनके पूर्वज महमूद गजनवी, गोरी के आक्रमण के समय हिन्दू धर्म छोड़कर इस्लाम मजहब अपनाने के लिए विवश हुए थे। आप इस वक़्त के अफगानिस्तान को देखिए तो आप समझ जाएंगे कि पुराने ख़लीफ़ा लोगों का वह दौर कैसा रहा होगा.. कैसे उनकी सेनाएं सभ्य, उन्नत, समझदार और पढ़े—लिखे लोगों के देश, शहरों, किलों और घरों पर हमला करती थीं और कैसे देश से ज़्यादातर सामर्थ्य लोग अपनी जान बचा कर भागते थे। जो नहीं भाग पाते थे वे या तो अपनी जान गंवाते थे या फिर उनके मजहब को स्वीकार करके किसी तरह अपनी नस्लों को सुरक्षित करते थे। ऐसे ही जहां—जहां आईएसआईएस जाता है, यही सब होता है, तालिबान जाता है यही होता है.. ये आईना है उस दौर का जिस दौर के इंसाफ़, अद्ल और मुहब्बत की "झूठी" गाथाएं "ये वामपंथी लोग" आपको सुनाते हैं।

आज क़ाबुल की सड़कों का हाल यह है कि जहां इस्लाम को मानने वाले, इन्हीं इस्लाम मानने वालों के डर से अपना देश छोड़—छोड़कर भाग रहे हैं। बुरी तरह से अफ़रातफ़री और डर का माहौल है। काबुल के ये मुसलमान भाई—बहन जो भाग रहे हैं ये वो लोग हैं जो मोबाइल, , लैपटॉप रखते थे, टीवी पर सिनेमा या खबरें सुनते—देखते थे। अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहते थे, संगीत भी सुनना चाहते थे, अपने परिवार के साथ अपने दीन ईमान को मानते हुए हंसी—खुशी जीना चाहते थे, अपनी बच्चियों को अपने बेटों की तरह समान अधिकार देकर पढ़ा लिखा कर एक लोकतांत्रिक देश मे इज्जत की जिंदगी जीने देने के ख्वाहिशमंद थे.. मगर काबुल के ऐसे मुसलमान जान गए हैं कि अब उनके अपने देश में ये सब न हो सकेगा.. क्योंकि ये लोग लोकतंत्र देख चुके हैं और जान चुके हैं कि जिसे ये लोग दौर-ए-जाहिलियह कह के अंधकार का दौर कहते हैं वो दरअसल प्रकाश का दौर था जहां लोग संगीत सुनते थे, कला का बोलबाला होता था, महिलाएं व्यापार और प्राइवेट/ सरकारी नोकरी भी करती थीं.. इसलिए वामपंथियो और लिबरलों द्वारा झूठी गढ़ी हुई कहानियां दरअसल एक छलावा है। और ये जो क़ाबुल में आपको अपनी गाड़ियों में भागते लोग दिख रहे हैं, ये उसी "प्रकाश के दौर" की तरफ़ भागते हुए लोग हैं।

बाक़ी आप यह भी सोचिए कि मुसलमानों के पुरखों ने किस भयावह दौर का सामना किया होगा और किस मजबूरी में ऐसे "नरपिशाचों" से अपनी नस्लों को बचाने के लिए अपने धर्म और संस्कृति को बलिदान कर दिया था। जब इनके ही मजहब वाले इस दौर में ऐसे अपना वतन छोड़कर भागने को मजबूर हैं तो सातवीं शताब्दी के उस दौर में, जहां न पुलिस थी, न थाने थे,  जहां न कोई अंतरराष्ट्रीय मदद थी, और न कोई सुनने वाला, वे लोग कैसे जिये होंगे और किस मजबूरी में इनके क़बीले में घुसने को मजबूर हुए होंगे

और यहां जो आपके आसपास बैठे हुए तालिबान की फ़तह की खुशियां मना रहे हैं, वे किस स्तर की मानसिकता वाले हैं, ये आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। ये हमारे और आपके लिए कितना बड़ा ख़तरा हैं, आप जिस दिन सोच लेंगे, इनको अपना दोस्त कहना बन्द कर देंगे।

Follow Us on Telegram

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

fenugreek water benefits

सुबह खाली पेट मेथी का पानी पीने से दूर रहती हैं ये बीमारियां

Pakistan UNSC Open debate

पाकिस्तान की UNSC में खुली बहस: कश्मीर से दूरी, भारत की कूटनीतिक जीत

Karnataka Sanatan Dharma Russian women

सनातन धर्म की खोज: रूसी महिला की कर्नाटक की गुफा में भगवान रूद्र के साथ जिंदगी

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

fenugreek water benefits

सुबह खाली पेट मेथी का पानी पीने से दूर रहती हैं ये बीमारियां

Pakistan UNSC Open debate

पाकिस्तान की UNSC में खुली बहस: कश्मीर से दूरी, भारत की कूटनीतिक जीत

Karnataka Sanatan Dharma Russian women

सनातन धर्म की खोज: रूसी महिला की कर्नाटक की गुफा में भगवान रूद्र के साथ जिंदगी

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies