दूसरे देशों पर चीन का एक और साइबर हमला सामने आया है। वह दूसरे देशों से तकनीक और व्यवसाय के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और तरक्की की जासूसी कर रहा है
चीन की साइबर हमले की एक और हरकत का खुलासा हुआ है। गत 10 अगस्त को उसने ईरान, सऊदी अरब तथा कई और देशों के अनेक सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के समूहों की वेबसाइट को साइबर हमला करके हैक कर लिया था। प्रौद्योगिकी तथा व्यावसायिक प्रगति पर नजर रखने के लिए चीन ने अनेक इस्राएली कंपनियों को भी हैक किया है। यह जानकारी देने वाली दैनिक द जेरूसलम पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय साइबर सुरक्षा कंपनी फेयरआई ने बताया है कि इतने बड़े पैमाने पर यह साइबर हमला प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक टक्कर तथा प्रगति की जासूसी रणनीति से जुड़ा लगता है।
फेयरआई के अनुसार, बीजिंग का मध्य पूर्व के तमाम देशों के साथ कारोबार चलता है। द जेरूसलम पोस्ट की मानें तो चीन का मकसद आंतरिक ईमेल पर होने वाली बातों और आकलनों को देखना है ताकि कीमतों को तय करने में वह एक कदम आगे रहे।
इतना ही नहीं, चीन का यह साइबर हमला 2019 में इस्राएल के राष्ट्रीय साइबर निदेशालय द्वारा घोषित माइक्रोसॉफ्ट के शेयरपॉइंट के शोषण से भी संबंद्ध है। इसका अधिकतम प्रभाव वर्तमान में महसूस नहीं किया जा रहा है। अनुमान है कि 2019 में शेयरपॉइंट आने के बाद वहां की कुछ सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की संस्थाओं के पास साइबर हमलों के सामने एक दीवार जैसी बन गई थी। लेकिन अन्य मामलों में, इस्राएल में चीन की ताकझांक 2020 तक चलती रही थी। हाल की यह घटना गत जुलाई में यूरोप, एशिया, अमेरिका तथा नाटो देशों की सरकारों द्वारा चीन के इसी तरह के बड़े पैमाने पर साइबर हमले की घोषणा से मेल खाती दिखती है।
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