गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले की प्राचीर पर 'निशान साहिब' लगाने की कोशिश करता एक आंदोलनकारी। (प्रकोष्ठ में) गुरपतवंत पन्नू (फाइल चित्र)
एक बार फिर सिख फॉर जस्टिस नामक खालिस्तान समर्थक गुट भारत, विशेषकर राजधानी दिल्ली में अस्थिरता फैलाने की कोशिश करता दिख रहा है। यही गुट है जिसने गत 26 जनवरी को उपद्रवी तत्वों को लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने को उकसाया था
खालिस्तानी गुट सिख फॉर जस्टिस ने एक बार फिर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत में अलगाववादी बीज रोपने और बड़े पैमाने पर उपद्रव मचाने का खुला ऐलान किया है। एक आडियो टेप जारी करके इस गुट के महासचिव गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा है कि जो भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लाल किले पर तिरंगा फहराने से रोकेगा, उसे 10 लाख डॉलर का ईनाम दिया जाएगा। यह वही खालिस्तान समर्थक गुट है जिसने हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब के मुख्यमंत्रियों को धमकी दी थी। वही गुट जिसने गत 26 जनवरी के दिन राजधानी दिल्ली में ठीक ऐसे ही उस आदमी को ईनाम देने की घोषणा की थी जो लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराता। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी जिसमें जानबूझकर हिंसा भड़काई गई थी। इस पर खालिस्तान के समर्थक तत्वों ने जश्न मनाया था। उस दिन हिंसा, उपद्रव और अफरातफरी के बीच कुछ अलगाववादी तत्व लाल किले की प्राचीर पर चढ़ बैठे थे और तिरंगे की जगह 'निशान साहिब' फहराया था।
2007 में बना सिख फॉर जस्टिस घोर खालिस्तानी गुट है, जिसकी जड़ें विदेशों तक में फैली हैं। इस गुट का अलगाववादी एजेंडा यही है कि पंजाब को भारत से काटकर 'खालिस्तान' बनाया जाए। विशेषज्ञों के अनुसार, इस गुट के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी काम कर रही है। वही इसे आगे करके भारत में बड़े पैमाने पर विध्वंसक कार्रवाइयां करवाती है।
साल 2007 में बना सिख फॉर जस्टिस घोर खालिस्तानी गुट है जिसकी जड़ें विदेशों तक में फैली हैं। इस गुट का अलगाववादी एजेंडा यही है कि पंजाब को भारत से काटकर 'खालिस्तान' बनाया जाए। विशेषज्ञों के अनुसार, इस गुट के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी काम कर रही है। वही इसे आगे करके भारत में बड़े पैमाने पर विध्वंसक कार्रवाइयां करवाती है। गुरपतवंत पन्नू पहले भी ऐसी उपद्रवी हरकतों को उकसाने, बेसिरपैर की बयानबाजियां करने और धमकियां देने के लिए कुख्यात है। पिछले साल ही उसने दुनिया भर के सिखों को एक 'जनमत के लिए एकजुट' होने को कहा था। लेकिन सिख समुदाय की राष्ट्रभक्ति की भावना ने उसकी मंशाओं पर पानी फेर दिया था। बताते हैं, सिख फॉर जस्टिस ने संयुक्त राष्ट्र को सात लाख रुपये चंदा दिया था और इसके एवज में 'किसान आंदोलन' के दौरान कथित दुर्व्यवहार की जांच के लिए आयोग बनाने का दबाव बनाने में जुटा है।
दिल्ली व अन्य स्थानों पर जारी कथित किसान आंदोलन के पीछे इसके तत्व सक्रिय हैं और किसानों को भड़काने में लगे रहते हैं। 2019 में भारत सरकार ने कड़ी कार्रवाई करते हुए यूएपीए कानून के तहत इस गुट पर पाबंदी लगाई थी, क्योंकि 'यह गुट पंजाब में लोगों को भड़काने की कोशिश कर रहा था।' पिछले ही दिनों जांच एजेंसी एनआईए ने पंजाब में सिख फॉर जस्टिस से जुड़े कई 'किसान नेताओं' और गुटों को नोटिस जारी किया था।
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