कोरोना से निपटने में अक्षम साबित होती पिनरई सरकार ने बकरीद के निकट 18 जुलाई से 21 जुलाई यानी तीन दिनों के लिए लॉकडाउन तक हटा दिया था। लेकिन अब वही सरकार ओणम पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करते दिखाई दे रही
केरल में पिछले छह दिन बाद नए मामले 20 हजार से कम हुए हैं। यह आंकड़ा देश के अन्य राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है। पर राज्य सरकार का तुष्टीकरण रवैया रह—रहकर बाहर आता है। बकरीद पर राज्य सरकार ने खुली छूट दी, जिसका परिणाम हुआ कि राज्य में कोरोना तेजी से बढ़ा। पर अब वही सरकार ओणम पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करते दिखाई दे रही है। पिछले दिनों केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने लोगों से कहा कि वे ओणम त्यौहार के दौरान भीड़, कार्यक्रमों और समारोह में जाने से बचें। जितना हो सके रिश्तेदारों और परिवार से मिलने से बचें। खासकर अगर परिवार में छोटे बच्चे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि केरल अभी कोविड-19 की दूसरी लहर से मुक्त नहीं हुआ है, ऐसे में लोगों को संक्रमण फैलने से रोकने और तीसरी लहर से बचाव के लिए अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज का कोरोना के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करना इसलिए हास्यास्पद है क्योंकि बकरीद पर लॉकडाउन में ढील राज्य सरकार द्वारा ही दी गई थी। ऐसे में सवाल उठता है कि तब उन्होंने यह चिंता व्यक्त क्यों नहीं की ? ज्ञात हो कि कोरोना से निपटने में अक्षम साबित होती पिनरई सरकार ने बकरीद के निकट 18 जुलाई से 21 जुलाई यानी तीन दिनों के लिए लॉकडाउन तक हटा दिया था। हद तो तब हो गई जब केरल सरकार ने 17 जुलाई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बकरीद का जश्न मनाने के लिए छूट देने की घोषणा की थी। जबकि उस समय कोरोना के मामले अपने शीर्ष पर थे, बावजूद सारे नियमों को ताक पर रखा गया। यही वजह है कि बकरीद पर कोविड-19 प्रतिबंधों में ढील देने के कारण केरल कोराना महामारी की एक और लहर का सामना कर रहा है।
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