कर्नाटक में मंदिरों का पैसा गैर—हिंदुओं के लिए नहीं होगा खर्च
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होम भारत तमिलनाडु

कर्नाटक में मंदिरों का पैसा गैर—हिंदुओं के लिए नहीं होगा खर्च

by WEB DESK
Aug 3, 2021, 11:17 am IST
in तमिलनाडु
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कर्नाटक सरकार ने निर्णय लिया है कि राज्य के मंदिरों से मिलने वाले पैसे का उपयोग किसी और मत या मजहब के लिए नहीं होगा। आशा है कि और राज्य सरकारें भी इस तरह का निर्णय लेंगी।


कर्नाटक सरकार ने हिंदू मंदिरों से जुड़ा एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। गत 23 जुलाई को हिंदू रिलीजियस एण्ड चैरिटेबल एंडोवमेंट्स (मुजराई) विभाग के कोष को हिंदू मंदिरों के अतिरिक्त अन्य कार्य में उपयोग करने से रोक दिया गया है। हिन्दू रिलीजियस एण्ड चैरिटेबल एंडोवमेंट्स विभाग द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया है कि हिंदू मंदिरों से प्राप्त किए गए पैसे या मंदिरों की संपत्ति का उपयोग किसी भी तरह के गैर-हिंदू कार्य अथवा गैर-हिंदू संगठन के लिए नहीं किया जाएगा।

बता दें कि विश्व हिंदू परिषद सहित कुछ अन्य हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों को 24 मई, 2021 को पता चला था कि मंदिरों की आय का पैसा मस्जिदों के इमामों, मदरसों के मौलवियों और चर्च के लोगों को वेतन के रूप में दिया जाता था। हर इमाम, मौलवी या चर्च के पादरी को प्रतिमाह 48,000 रु. वेतन के रूप में कर्नाटक सरकार देती थी। यह व्यवस्था कर्नाटक   में उस समय से ही थी, जब राज्य में केवल कांग्रेस की सरकारें हुआ करती थीं। कांग्रेस ने वोट बैंक के लिए हिंदू मंदिरों से मिलने वाले पैसे का दुरुपयोग किया और उसे गैर—हिंदुओं के बीच बांटने की परम्परा शुरू की थी।

इसलिए विहिप की कर्नाटक इकाई और कुछ अन्य संगठनों ने मांग की थी कि हिंदू मंदिरों का पैसा केवल और केवल हिंदू मंदिरों में ही खर्च हो। इसके लिए विहिप ने कुछ समय पहले रिलीजियस एण्ड चैरिटेबल एंडोवमेंट्स विभाग के मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी को एक ज्ञापन सौंपा था। इसमें कहा गया था, “हिंदू मंदिरों के पैसे का उपयोग केवल मंदिरों और हिंदू समाज के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए।” इसके बाद सरकार ने उपरोक्त निर्णय लिया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार इस समय कर्नाटक सरकार के अधीन 34,526 मंदिर हैं। इन मंदिरों को आय के आधार पर ए, बी और सी तीन श्रेणी में बांटा गया है। ए और ब श्रेणी वाले मंदिरों की आय अच्छी है, लेकिन सी श्रेणी वाले लगभग 6,000 मंदिरों की आय सालाना लगभग 10,000 रु है। इतनी कम आमदनी होने के कारण उन मंदिरों में प्रात: — सायं एक दीया भी नहीं जल पाता है। इसलिए हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों की मांग है कि सरकार बड़े मंदिरों से मिले पैसे का उपयोग छोटे मंदिरों के लिए करे।
उम्मीद है कि कर्नाटक सरकार हिंदू संगठनों की बात मानेगी।  

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