दक्षिण चीन सागर में चीनी पनडुब्बी (फाइल चित्र)। (प्रकोष्ठ में) बिल हेटन
दक्षिण चीन सागर एक विवादित क्षेत्र है लेकिन चीन उसके 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से पर अपना दावा ठोकता है। उसे भय है कि वहां उसकी धमक को बड़ी चुनौती मिल सकती है इसलिए वह उस जलक्षेत्र में अपनी सुरक्षा के इंतजाम कर रहा है
पिछले दिनों एशिया-पैसिफिक कार्यक्रम में यह सनसनीखेज खुलासा हुआ कि चीन गुपचुप दक्षिण चीन सागर में अपनी परमाणु पनडुब्बियां छुपा रहा है। उस कार्यक्रम के एसोसिएट फेलो बिल हेटन का यह दावा है। उनका कहना है कि चीन अपनी रक्षा रणनीति के तौर पर उस दक्षिण चीन सागर में परमाणु पनडुब्बियों को छुपाना चाह रहा है जो विवादित है। हेटन की मानें तो दक्षिण चीन सागर में चीन को कई खतरों का अंदेशा है। वह मानता है कि उस सागर में उसकी सीमा 'नाइन डैश लाइन' है।
चीन दक्षिणी चीन सागर में जिन परमाणु पनडुब्बियों को छुपा रहा है वे न सिर्फ परमाणु ईंधन से चलती हैं, बल्कि उन पर परमाणु हमले में सक्षम मिसाइलें तैनात हैं। पता चला है कि ड्रेगन ने इन पनडुब्बियों को दक्षिण चीन सागर में अलग-अलग जगह तैनात किया हुआ है। रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स (चैथम हाउस), ब्रिटेन का यह भी कहना है कि चीन इस विवादित सागर में किसी भी हमले से बचने के लिए अपनी सुरक्षा चाकचौबंद कर रहा है।
एक पोर्टल एक्सप्रेसडॉटकोडॉटयूके से एक बातचीत में चैथम हाउस में एशिया-प्रशांत कार्यक्रम के विशेषज्ञ हेटन का दावा है कि चीन अपनी रक्षा रणनीति के तहत दक्षिण चीन सागर के बीच परमाणु पनडुब्बियों को छुपा रहा है। उसे वहां एक नहीं, अनेक खतरे हैं। चीन का मानना है कि दक्षिण चीन सागर में उसकी सीमा 'नाइन डैश लाइन' है, जबकि अन्य देश और साथ ही, संयुक्त राष्ट्र संघ उसका यह दावा खारिज कर चुका है। चीन यह भी मानता है कि सागर में मौजूद चट्टानें और रीफ उसके देश के अंग हैं। जबकि हेटन का शोध इसे एक मिथक से अधिक कुछ नहीं मानता।
चीन का दावा खोखला
हेटन का कहना है कि चीन ने दूसरे विश्वयुद्ध तक समुद्र के दक्षिणी हिस्से की चट्टानों और रीफ पर चीन ने कोई दावा नहीं किया था। लेकिन अब अगर वह बार-बार यह कहता है कि वे उसके अंग हैं, यह बात एकदम झूठ है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी मान्यता है कि चीन दक्षिण चीन सागर में तेल और गैस के अलावा वहां की मछलियों के कारोबार पर भी कब्जा करने की इच्छा रखता है। बिल का कहना है कि चीन की अपनी बैलिस्टिक मिसाइलों वाली परमाणु पनडुब्बियों को दक्षिण चीन सागर में छुपाने की हरकत संभावित परमाणु हमले की सूरत में उसकी जवाबी कार्रवाई के लिए हो रही है। इससे चीन को दूसरे प्रतिघात की सामर्थ्य मिल जाएगी। उन्हें यह भी लगता है कि चीन एशिया ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की महाशक्ति बनने के सपने देख रहा है।
चीन दक्षिणी चीन सागर में जिन परमाणु पनडुब्बियों को छुपा रहा है वे न सिर्फ परमाणु ईंधन से चलती हैं, बल्कि उन पर परमाणु हमले में सक्षम मिसाइलें तैनात हैं। ड्रेगन ने इन पनडुब्बियों को दक्षिण चीन सागर में अलग-अलग जगह तैनात किया हुआ है। रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स (चैथम हाउस), ब्रिटेन का यह भी कहना है कि चीन इस विवादित सागर में किसी भी हमले से बचने के लिए अपनी सुरक्षा चाकचौबंद कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण चीन सागर के अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में आसपास के देशों की जासूसी करने के लिए चीन द्वारा पानी के नीचे एक लंबी दीवार बनाने की हरकत पहले ही उजगार हो चुकी है। यह दरअसल चीन दक्षिण चीन सागर की निगरानी के लिए उसके कुछ हिस्सों में एक कड़ी में निगरानी के आधार बना रहा है। यूं तो बहुत से नौवहन रडार चीन की जलसीमा में रहते हैं, परन्तु उनमें से कुछ अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में मौजूद हैं।
गौर करने की बात यह है कि चीन के अलावा दुनिया के सभी देश न सिर्फ दक्षिण चीन सागर में बल्कि पूरे हिन्द्र—प्रशांत इलाके में स्वतंत्र नौ परिवहन के समर्थक हैं। जबकि चीन दक्षिण चीन सागर के 80 प्रतिशत हिस्से पर अपना दावा ठोकता है।
उपग्रह चित्र सेवा, ओरियन ने चीन के उन निगरानी यंत्रों और रडार केन्द्रों का खाका तैयार किया है। इससे पता चलता है कि चीन इस क्षेत्र के अन्य देशों पर रणनीतिक लाभ पाने के लिए इन केन्द्रों को इस्तेमाल कर रहा है। इतना ही नहीं, चीन रडार और सेंसरों के जरिए अमेरिकी नौसेना की गतिविधियों पर भी नजर रखे है।
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