चीनी दूतावास द्वारा आयोजित कार्यक्रम में माकपा, भाकपा, फॉरवर्ड ब्लॉक और डीएमके नेता शामिल हुए थे।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की शताब्दी पर चीनी दूतावास ने एक ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया था। इसमें माकपा, भाकपा, फॉरवर्ड ब्लॉक और द्रमुक ने हिस्सा लिया था। इसी को लेकर भाजपा ने कहा कि एक तरफ चीन भारत के साथ सीमा पर गतिरोध बनाए हुए है, वहीं वामदल चीन के कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं।
चीनी दूतावास ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 100वीं वर्षगांठ पर एक ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में वामदलों की मौजूदगी पर भाजपा ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय हितों का विरोध और सीमा पार के प्रति वफादारी की उनकी लंबी परंपरा रही है। अपना बचाव करते हुए वामदलों ने भी पलटवार किया है।
दरअसल, चीनी दूतावास ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की शताब्दी मनाने के लिए 27 जुलाई को एक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया था। इसमें माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा के डी. राजा, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के जी. देवराजन और द्रमुक सांसद एस. सेंथिलकुमार ने भाग लिया और इसे संबोधित किया था।
भाजपा ने क्या कहा?
भारत के साथ चीन सीमा पर तनातनी बढ़ा रहा है, ऐसे में चीन के कार्यक्रम में वामदलों की उपस्थिति पर भाजपा सांसद और पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि दशकों से मैंने कम्युनिस्ट आंदोलनों को देखा है और पाया कि जब अमेरिका ने वियतनाम पर हमला किया तो इन्होंने नारे लगाए और वियतनाम के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किए। उन्होंने आरोप लगाया कि रूस और चीन के प्रति भी इनकी वफादारी थी, लेकिन भारत के प्रति नहीं। सीमा पार के प्रति इनकी ‘अलौकिक निष्ठाएं’ भी रही हैं। वे कहते थे कि चीन का अध्यक्ष हमारा अध्यक्ष है। वाम दलों पर कटाक्ष करते हुए घोष ने कहा कि लोगों ने इन्हीं कारणों से उन्हें खारिज कर दिया है। दशकों से 2011 तक पश्चिम बंगाल में शासन के बावजूद आज स्थिति यह है कि राज्य में इनका एक भी लोकसभा सांसद या विधायक नहीं है।
वामदलों की प्रतिक्रिया
भाजपा के आरोपों पर अपना बचाव करते हुए वामदलों ने कहा कि सरकार स्वयं कई मुद्दों पर चीन के साथ संलग्न है। राजा ने कहा कि सरकार शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन, ब्रिक्स सम्मेलन में भाग ले रही है और चीन के साथ आर्थिक सहयोग जारी रखे हुए है। इसलिए सरकार की विफलताओं पर से ध्यान हटाने के लिए भाजपा इस मुद्दे को उठा रही है। डी. राजा ने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘राष्ट्रहित को लेकर किसी को भी कम्युनिस्टों को ज्ञान देने की जरूरत नहीं है। अंग्रेजों के साथ-साथ पुर्तगालियों से भी लड़ने में कम्युनिस्ट सबसे आगे थे। हमने देश की आजादी के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया… हमें कोई चुनौती नहीं दे सकता। भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में भाजपा, जनसंघ या आरएसएस की क्या भूमिका थी? अब, वे संसद में अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए इस मुद्दे को उठा रहे हैं।’’
Follow Us on Telegram
टिप्पणियाँ