मंदिर के अंदर शिलाओं पर लिखा है 'अल्लाह' और '786' (चित्र साभार: कथिर न्यूज)
तमिलनाडु के मंदिर एक बार फिर मजहबी उन्मादियों के निशाने पर हैं। देव—प्रतिमाओं को तोड़ना, मंदिर की जमीन कब्जाने की कोशिश और देव—आभूषण चुराने जैसी घटनाएं आएदिन हो रही हैं, लेकिन सेकुलर सरकार सोई हुई है
तमिलनाडु से एक चौंकाने वाली खबर आई है। वहां तिरुनेलवेल्ली शहर में एक पहाड़ी पर बने मंदिर के अंदर उन्मादी मुस्लिमों ने 'अल्लाह' और '786' लिखकर अपने मजहबी उन्माद और सत्ता की शह पर बेखौफ होने का परिचय दिया है। मंदिर की पूजी जाने वाली शिलाओं पर 'अल्लाह' और '786' लिखकर उसे अपवित्र करने की आनन—फानन में हुई इस हरकत से स्थानीय श्रद्धालुओं में जबरदस्त गुस्सा है।
रिपोर्ट के अनुसार, तिरुनेलवेल्ली में अलवरकुरिची स्थित अथथ्री पहाड़ी पर चट्टानों को काट कर बनाए गए प्राचीन मंदिर को इस तरह अपवित्र किया गया है। पता चला है कि यह घृणित कार्य स्थानीय मजहबी उन्मादियों ने सत्ता को सेकुलर मानकर बिना किसी डर के किया है। मंदिर के अंदर पवित्र शिलाओं पर मुस्लिम निशानी आधे चांद के बगल में '786' और ‘अल्लाह’ लिख दिया गया है। स्वाभाविक है कि इस घटना से श्रद्धालुओं में असंतोष है, वे गुस्से में हैं और उन्होंने तमिलनाडु की स्टालिन सरकार एवं उसके हिन्दू धार्मिक और चैरिटेबल एंडोमेंट विभाग से मजहबी उन्मादियों की इस हरकत के विरुद्ध तुरंत कार्रवाई करने को कहा है। हिन्दू समाज ने राज्य के अन्य मंदिरों की कड़ी सुरक्षा की मांग भी की है।
मजहबी उन्मादियों द्वारा मंदिरों को अपवित्र करने की यह कोई पहली घटना नहीं है। पिछले दिनों ही पुदुकोट्टाई स्थित चोल वंश के जमाने के कैलाशनाथर शिव मंदिर में भी तोड़-फोड़ की गई थी। कुछ लोगों ने मंदिर में स्थापित देव प्रतिमाओं के दो टुकड़े कर दिए थे। रानीपेट के एक मंदिर में भी हिन्दू धर्म के प्रति मजहबी नफरत का उदाहरण देखने को मिला था। वहां देवी अम्मन और मां दुर्गा की प्रतिमाओं को अस्त-व्यस्त कर दिया गया था।
उल्लेखनीय है कि तिरुनेलवेल्ली स्थित अरुल्मिगु अनुसूइया देवी सहित अथथ्री परमेश्वर मंदिर तथा गोरक्कर मंदिर के प्रशासन की जिम्मेदारी भी हिन्दू धार्मिक और चैरिटेबल एंडोमेंट विभाग के पास है। अथथ्री गंगा तीर्थम के नाम से जानी जाते वाली कदाना नदी में अलभ्य श्वेत कछुए रहते हैं। लेकिन इस घटना के बाद हिन्दू श्रद्धालुओं को यह आशंका है कि इस पवित्र पहाड़ी और यहां बने मंदिरों, आसपास की जमीन पर मजहबी उन्मादी अवैध अतिक्रमण कर लेंगे। उन्हें डर है कि राज्य की सेकुलर सरकार हिन्दू समाज की मदद के लिए कोई कदम नहीं उठाएगी। हिन्दू समाज के प्रतिनिधियों ने यह आशंका जताई है कि इस्लामिक संगठनों के पवित्र पहाड़ी पर अतिक्रमण के प्रयासों की राज्य का वन विभाग भी सहायता कर रहा है।
मजहबी उन्मादियों द्वारा मंदिरों को अपवित्र करने की यह कोई पहली घटना नहीं है। पिछले दिनों ही पुदुकोट्टाई स्थित चोल कालीन कैलाशनाथर शिव मंदिर में भी तोड़—फोड़ की गई थी। कुछ लोगों ने मंदिर में स्थापित देव प्रतिमाओं के दो टुकड़े कर दिए थे। रानीपेट के एक मंदिर में भी हिन्दू धर्म के प्रति मजहबी नफरत का उदाहरण देखने को मिला था। वहां देवी अम्मन और मां दुर्गा की प्रतिमाओं को अस्त-व्यस्त कर दिया गया था।
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