कर्ट वेस्टरगार्ड (फाइल चित्र)
कर्ट वेस्टरगार्ड बेलाग कार्टूनिस्ट माने जाते थे। तंत्र, व्यवस्थाओं और सरकार पर उनके चुटीले कार्टून दुनियाभर में प्रसिद्ध थे
डेनमार्क के एक अखबार में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाने के बाद सुर्खियां बटोरने वाले प्रख्यात कार्टूनिस्ट कर्ट वेस्टरगार्ड नहीं रहे। वे 86 साल के थे। कर्ट डेनमार्क के रहने वाले थे। मोहम्मद के कार्टून को लेकर कर्ट वेस्टरगार्ड की दुनियाभर में चर्चा हुई थी और मुस्लिम देशों में उनको लेकर फतवे दिए गए, तलवारें खिंच गई थीं। 'मुस्लिमों की भावनाएं आहत' हो गई थीं। दुनिया के अनेक देशों में विरोध प्रदर्शनों की झड़ी लग गई थी। उनके ऊपर तरह—तरह के आरोप लगाए गए थे। 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के पहरुए होने का दम भरने वाले भी बिलों में दुबक गए थे, सेकुलर जमात के मुंह से बोल नहीं फूट रहे थे। समाचारों के अनुसार कर्ट लंबे समय से बीमार थे। इसी बीमारी में उनकी वेस्टरगार्ड नामक स्थान पर निधन हुआ। 18 जुलाई को डेनमार्क के बर्लिंगस्के सामाचार पत्र को उनके परिवार ने उनकी मृत्यु की पुष्टि की।
शीर्षक ''द फेस ऑफ मोहम्मद'' के साथ वेस्टरगार्ड का उक्त कार्टून 2005 में जिलैंड्स-पोस्टेन नामक अखबार में प्रकाशित हुआ था। इसके फौरन बाद इस्लामी देशों में उनका जमकर विरोध हुआ था। मुसलमान गुस्से से आगबबूला हो गए थे। उनका कहना था कि पैगम्बर मोहम्मद की कोई भी तस्वीर नहीं बनाई जा सकती है। परन्तु कर्ट वेस्टरगार्ड ने उनका कार्टून बना दिया। अल जजीरा ने तब लिखा था कि शुरु के दो हफ्ते कार्टून को लेकर कहीें कोई विवाद देखने में नहीं आया, लेकिन वक्त बीतने के साथ लोगों को कार्टून की जानकारी मिलती गई और बावेला खड़ा कर दिया गया।
कर्ट के कार्टून को लेकर डेनमार्क में मजहबी उन्माद भड़क गया। जबरदस्त हिंसा हुई। गुस्साए मुस्लिमों ने फरवरी, 2006 में डेनमार्क में काफी खूनखराबा मचाया। सरकारी संपत्ति को फूंक डाला। मुस्लिम देशों में डेनमार्क के राजदूतों को बुलाकर आक्रोश जताया गया। डेनमार्क के मीडिया के अनुसार, उस हिंसा में कम से कम 12 लोगों की मौत हुई थी, सैकड़ों घायल हुए थे।
कर्ट के इसी कार्टून को लेकर डेनमार्क में मजहबी उन्माद भड़क गया। जबरदस्त हिंसा हुई। गुस्साए मुस्लिमों ने फरवरी, 2006 में डेनमार्क में काफी खूनखराबा मचाया। सरकारी संपत्ति को फूंक डाला। मुस्लिम देशों में डेनमार्क के राजदूतों को बुलाकर आक्रोश जताया गया। डेनमार्क के मीडिया के अनुसार, उस हिंसा में कम से कम 12 लोगों की मौत हुई थी, सैकड़ों घायल हुए थे।
कर्ट वेस्टरगार्ड 1980 के दशक में डेनमार्क के जिलैंड्स-पोस्टेन समाचार पत्र से जुड़े थे। अपने कार्टूनों के जरिए वे रूढ़िवादी परंपराओं, सरकार, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर तीखे सवाल उठाने के लिए जाने जाते थे। पहले भी उनके कई कार्टूनों पर डेनमार्क में बड़ा भारी विवाद देखने में आया था।
बाद में 2012 में इन्हीं कार्टूनों को फ्रांस के शार्ली एब्दो में प्रकाशित किया गया और तब फ्रांस में जबरदस्त फसाद उठ खड़ा हुआ था। कट्टर मुस्लिम तत्वों ने अखबार के खिलाफ फतवे दिए। 2015 में इस्लामी जिहादियों ने इस अखबार के दफ्तर में घुसकर अंधाधुंध गोलीबारी की और 12 लोगों की जान ले ली। मुस्लिमों की धमकियों, फतवों की वजह से कर्ट आखिरी वक्त तक पुलिस की सुरक्षा में रहे।
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