बिहार के बाढ़ग्रस्त इलाके में टीकाकरण को गति देने के लिए चल रही हैं इस तरह की नावें
आज तक पूरे देश में 41 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना का टीका लग चुका है। ऐसा देखा जा रहा है कि टीकाकरण में गांव के लोग बहुत बढ़—चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। यही कारण है कि जम्मू—कश्मीर, लद्दाख, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के कई गांवों में शत—प्रतिशत टीकाकरण हो चुका है।
इन दिनों बिहार के बाढ़ग्रस्त इलाकों में 'टीका वाली नाव' की बड़ी चर्चा है। मुजफ्फरपुर जिले के सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित प्रखंड कटरा में टीके वाली नाव पानी में तैर कर कई गांवों में घर-घर पहुंची और उस पर सवार टीकाकर्मियों ने लोगों को टीका लगाया। ऐसे ही बाढ़ग्रस्त अन्य जिलोंं में भी टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है। इस कारण बाढ़ के बावजूद कई गांवों में शत—प्रतिशत टीका लग चुका है।
वहीं, झारखंड के सिमडेगा जिला मुख्यालय से लगभग 44 किमी दूर छत्तीसगढ़ की सीमा से सटा है वनमारा गांव। यहां तक पहुंचने लिए आज भी कच्ची सड़क ही है। इसके बावजूद टीकाकर्मियों ने गांव में जाकर सभी लोगों को कोरोना का टीका लगाया। 442 लोगों के इस गांव में कुल 306 लोगों ने टीका लेकर स्वयं को कोरोना से सुरक्षित कर लिया है। वनमारा सिमडेगा जिले का पहला ऐसा गांव बन गया है, जहां सभी पात्र लोगों को टीका लगा दिया गया है।
पाकिस्तान के साथ लगी नियंत्रण रेखा (एलओसी) के आसपास के कई गांवों में सभी पात्र लोगों को टीका लगाया गया है। एक ऐसा ही गांव है बोबिया। इसे इस क्षेत्र में भारत का अंतिम गांव कहा जाता है। यहां 18 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी लोगों को टीका लग चुका है।
इससे पहले लद्दाख के सभी गांवों में टीकाकरण हो चुका है, जबकि इस सुदूर इलाके मेंं कई तरह की परेशानियां हैं। इसके बावजूद शत—प्रतिशत टीकाकरण होना बड़ी बात है।
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के नौगांव की 95 वर्षीय बुजुर्ग महिला सोनिया बाई शर्मा की प्रेरणा से पूरे गांव का 100 प्रतिशत टीकाकरण हो गया। पहले अफवाहों के कारण गांव के लोग कोरोना का टीका लगवाने से डरते थे। टीका लगवाने के बाद बुजुर्ग महिला ने बताया कि उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई तो और लोग टीका लगवाने के लिए तैयार हो गए।
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