गिलगित-बाल्टिस्तान विधानसभा। प्रकोष्ठ में (बाएं) इमरान खान और (दाएं) खालिद खुर्शीद
पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर के लोग इमरान खान की सरकार के सौतेले व्यवहार से त्रस्त हो चुके हैं। अब वे सरकार के खिलाफ खुलकर सामने आने लगे हैं
पड़ोसी देश पाकिस्तान में सत्तारूढ़ इमरान सरकार के खिलाफ खुलकर मैदान में उतर आए हैं गिलगित—बाल्टिस्तान के विपक्षी दल। पाकिस्तान अधिक्रांत इस क्षेत्र के न सिर्फ राजनीतिक दल बल्कि आम लोग भी इस्लामाबाद की अनदेखी से त्रस्त हैं। 14 जुलाई को इमरान सरकार के विरुद्ध यहां जबरदस्त प्रदर्शन हुआ, सड़कें जाम की गईं, आगजनी देखने में आई। लोगों ने इस सूबे के मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की।
उल्लेखनीय है कि इस बार के बजट में इस इलाके के लिए सबसे कम राशि आवंटित की गई है। स्थानीय लोग इस बात पर गुस्सा हैं कि एक तरफ पाकिस्तानी हुकूमत की सेना ने उनका जीना हराम किया हुआ है तो दूसरी तरफ सियासत करने वाले भी उन्हें अनदेखा कर रहे हैं। अर्थात पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू—कश्मीर में जनता सेना और सरकार, दोनों के अत्याचार सहने को मजबूर कर दी गई है। स्थानीय सरकार ने 2021 के बजट में यहां के लिए सबसे कम धन आवंटित करके एक बार फिर दिखाया है कि सरकार की नजर में इस क्षेत्र का विकास कोई मायने नहीं रखता है। यही वजह है कि इमरान सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के साथ ही जनता ने भी तलवारें खींच रखी हैं। पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू—कश्मीर की लगातार अनदेखी करती आ रही पाकिस्तानी सत्ता की इन्हीं दोहरी नीतियों के विरुद्ध विपक्ष ने कमर कसी है। नेताओं के साथ उस इलाके के आमजन भी बेरोजगारी, गरीबी, पिछड़ेपन आदि से परेशान हो चुके हैं। यही वजह है कि 14 जुलाई को वहां हुए प्रदर्शन बेहद तीखे माने जा रहे हैं।
इस पूरे प्रकरण पर विधानसभा में गिलगित-बाल्टिस्तान से विपक्ष के नेता अमजद हुसैन का कहना है कि अगर इस क्षेत्र में विकास योजनाओं के लिए पर्याप्त राशि उपलब्ध नहीं कराई गई तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
पाकिस्तान के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक द डान में पिछले दिनों खबर कहती है कि, 2021—22 के इस बजट में गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र की सरकार ने अब तक सबसे कम यानी सिर्फ 1.6 खरब रुपए आवंटित किए हैं। वित्त मंत्री जावेद अली मनवा द्वारा इस बजट को पेश किए जाने के दौरान पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग—नवाज, जमीयत उलेमा—ए—इस्लाम—फजल और बलवारिस्तान नेशनल फ्रंट—नाजी गुट के विधायकों ने अपने स्थान पर खड़े होकर विरोध दर्ज कराया। बाद में वे सदन से बाहर चले गए थे।
पाकिस्तान के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक द डॉन में छपी खबर कहती है कि, 2021-22 के इस बजट में गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को अब तक का सबसे कम पैसा आवंटित किया गया है। इस वजह से पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और जनता ने मिलकर वहां एक बड़ा आंदोलन छेड़ा है। विपक्षी नेताओं के साथ हजारों की तादाद में आमजन ने गिलगित, स्कार्दू तथा गांचे जिलों के साथ ही अन्य अनेक स्थानों पर विशाल प्रदर्शन किए हैं।
लेकिन अब सदन के बाहर, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और जनता ने मिलकर वहां एक बड़ा आंदोलन छेड़ दिया है। विपक्षी नेताओं के साथ हजारों की तादाद में आम जन ने गिलगित, स्कार्दू तथा गांचे जिलों के साथ ही अन्य अनेक स्थानों पर विशाल प्रदर्शन किए हैं। लोगों ने कराकोरम हाईवे जाम करने के लिए वहां जलते टायर डाल दिए, कई और जगहों पर ऐसी आगजनी करके रास्ते जाम किए गए। स्थानीय लोग वहां के मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद पर भी आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि खुर्शीद इलाके की तरक्की के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि अभी 5 जुलाई को इमरान खान ग्वादर गए थे जहां उन्होंने 'नए पाकिस्तान' के जुमले उछालते हुए, अलगाववादियों से बात करने का संकेत दिया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की अब तक रही सरकारों द्वारा इस इलाके की अनदेखी के कारण यहां लोगों में आक्रोश रहा है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
इमरान जनता के बीच भले कुछ भी कहें, लेकिन असल में तो अनदेखी उनके कार्यकाल में भी जारी है। गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग भी न जाने कबसे पिछड़ेपन से आहत हैं, उनकी आवाज सरकार के बहरे कानों से टकराकर लौटती रही है। अब हारकर उन्होंने आंदोलन को और धार देने का मन बनाया है।
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