कोरोना काल में लोगों ने आयुर्वेद के महत्व को जाना है। यही कारण है कि इस समय आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इसे देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान ने औषधीय पौधों को लगाने पर जोर दिया है। पूरे देश में 16 जुलाई से इस तरह के पौधों को लगाने के लिए विशेष अभियान शुरू हो रहा है। इसी के तहत भागलपुर में 'एक मेड़, एक पेड़' अभियान शुरू हो रहा है।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (भागलपुर) के तत्वावधान में 16 जुलाई को नीम के 6,000 पौधे लगाने का अभियान चलाया जाएगा। इस दिन विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र के छह वैज्ञानिक छह गांवों में जाएंगे और 6,000 पौधे लगवाएंगे। किसानों को ये पौधे कृषि विज्ञान केंद्र ही उपलब्ध कराएगा। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि नीम का पौधा अपनी ऊँचाई से 20 गुणा वातावरण को स्वच्छ करता है। इससे प्रदूषण कम होता है। प्रदूषण कम होने पर आक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। पौधे मिट्टी के क्षरण को भी रोकता है। कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ किसानों को नीम की पत्तियों और बीज से कीटनाशक बनाने का तरीका भी बताएंगे।
इससे रासायनिक कीटनाशक का उपयोग कम होगा और खेती की लागत कम होगी। इसका लाभ किसानों को मिलेगा।
इन सबको देखते हुए ही औषधीय पौधे लगाने का काम जगह—जगह चल रहा है।
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