कान फिल्म समारोह में पहली बार प्रदर्शित की गई बेनेडेटा को लेकर फिल्म को देखने वाले दो खेमों में बंट गए हैं, एक खेमा फिल्म की प्रस्तुति की तारीफ कर रहा है तो दूसरा, निर्माता पर ईशनिंदा का आरोप लगा रहा है
गत 9 जुलाई को कान फिल्म समारोह में फ्रांसीसी भाषा की फिल्म बेनेडेटा का प्रदर्शन क्या हुआ, दो खेमों में जैसे तलवारें खिंच गईं। कारण? फिल्म बेनेडेटा में समलैंगिकता और यौन संबंधों का बेबाकी से चित्रण किया गया है और बकौल निर्देशक, यह सत्य कथा पर आधारित है। और यौन संबंध भी दो महिला ननों के बीच चर्च के परिसर में! दो समलैंगिक ननों के दरम्यान यौन संबंधों पर बुनी है बेनेडेटा की कहानी। लिहाजा, भरमार है यौन में रत ननों के दृश्यों की। और एक दृश्य में तो वर्जिन मैरी की काष्ठ मूर्ति को यौन क्रीड़ा के उपकरण के तौर पर दिखाया गया है। जैसी कई फिल्म जानकारों को आशंका थी, फिल्म पर बखेड़ा खड़ा हो गया है। ईशनिंदा का आरोप लगाया गया है।
कहानी यह है कि, 17वीं शताब्दी की कॉन्वेंट की प्रमुख नन थी बेनेडेटा, जो ईसा से बातचीत करती है। उसे प्यार हो जाता है कॉन्वेंट द्वारा बचाई गई किसान की एक लड़की से। इस लड़की की भूमिका निभाई है डैफने पटाकिया ने। फिल्म का कथानक दो समलैंगिक ननों के आस-पास बुना गया है।
हॉलीवुड की रिकार्डतोड़ सफलता पाने वाली फिल्मों के निर्देशक पॉल वर्होवेन ने बनाई है यौन संबंध बनाने वाली महिला ननों पर आधारित यह फिल्म, बेनेडेटा। 9 जुलाई को 74वें कान फिल्म समारोह में बड़े जोरोंशोरों से यह दिखाई गई। फिल्म में कॉन्वेंट में रह रहीं दो समलैंगिक ननों के बीच के संबंधों पर रोशनी डाली गई है। निर्देशन और फिल्मांकन के साथ ही पटकथा और अभिनय के लिए बहुत से लोगों ने इसे सराहा, लेकिन बहुतों को विषयवस्तु हजम नहीं हुई, उन्होंने फिल्म का विरोध किया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, फिल्म के एक दृश्य में वर्जिन मैरी की काष्ठ मूर्ति को 'यौन उपकरण' की तरह इस्तेमाल करना भी 'आस्थावानों' को चुभ गया। ऐसे लोगों ने फिल्म निर्माता पर ईशनिंदा का आरोप लगाया। लेकिन निर्माता भी अडिग रहे, उन्होंने आलोचकों को पलट जवाब दिया, ''मैं सच में नहीं समझ पा रहा कि जो भी हुआ उसे ईशनिंदा कैसे कह सकते हैं…आप मूल रूप से इस तथ्य के बाद इतिहास को नहीं बदल सकते हैं। इस बारे में आप भले बात कर सकते हैं कि वह गलत था या नहीं, लेकिन इतिहास नहीं बदल सकते। मेरा ख्याल है कि इसे लेकर मेरे संदर्भ में इसे ईशनिंदा कहना बेवकूफी ही है।”
जूडिथ सी. ब्राउन ने बेनेडेटा की समलैंगिकता और मिथक पर 1986 में अध्ययन किया था। यह फिल्म उसी अध्ययन रपट ‘इम्मोडेस्ट एक्ट्स: द लाइफ ऑफ ए लेस्बियन नन इन रेनेसां इटली’ पर आधारित है। वर्होवेन ने डेविड बिर्के के साथ मिलकर इसकी पटकथा लिखी है; फिल्म में बेल्जियम की कलाकार वर्जिनी एफिरा ने कॉन्वेंट की प्रमुख नन बेनेडेटा कार्लिनी का मुख्य किरदार निभाया है। दरअसल कहानी यह है कि, 17वीं शताब्दी की कॉन्वेंट की प्रमुख नन थी बेनेडेटा, जो ईसा से बातचीत करती है। उसे प्यार हो जाता है कॉन्वेंट द्वारा बचाई गई किसान की एक लड़की से। इस लड़की की भूमिका निभाई है डैफने पटाकिया ने। फिल्म का कथानक दो समलैंगिक ननों के आस—पास बुना गया है।
फिल्म में नग्न दृश्यों के संदर्भ में पत्रकारों के सवालों पर 86 वर्षीय वर्होवेन ने कहा, “यह नहीं भूलना चाहिए कि यौन क्रियारत लोग सामान्य तौर पर कपड़े उतार देते हैं। इसलिए हैरानी की बात है कि हम जीवन की वास्तविकता को नहीं देखना चाहते।”
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