देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में नए आईटी कानून को चुनौती देने वाली याचिकाएं अब सर्वोच्च न्यायालय में स्थानांतरित होंगी। शीर्ष अदालत ने केंद्र की याचिका मंजूर की। लेकिन अंतरिम रोक लगाने से इनकार किया।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की याचिका को मंजूर कर लिया है। इसमें देश की विभिन्न उच्च अदालतों में नए आईटी कानून-2021 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की गई है। अब शीर्ष अदालत इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय में मंगलवार को यह याचिका दायर की थी। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय में कुछ मीडिया संस्थानों की ओर से आईटी कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया।
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्च न्यायालयों की कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। इस पर, शीर्ष अदालत ने कहा, "हम कुछ नहीं कह रहे हैं। हम इसे टैग करने के अलावा कोई अन्य आदेश पारित नहीं कर रहे हैं और उन्हें उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दे रहे हैं।" इसी के साथ शीर्ष अदालत ने मामले को 16 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
इसी के साथ न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने केंद्र की उस याचिका को टैग किया, जिसमें आईटी नियम– 2021 को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को विभिन्न हाईकोर्ट से शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। ये याचिकाएं ओटीटी मंचों पर परोसी जाने वाली सामग्री के नियमन को लेकर हैं।
यह है मामला
दरअसल, केंद्र सरकार ने हाल ही में आईटी कानून-2021 को लागू किया है। इसका उद्देश्य ऑनलाइन मीडिया पोर्टल और प्रकाशकों, फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों और ओटीटी मंचों के कामकाज को विनियमित कर उनकी सेवाओं को ‘मध्यस्थ’ रूप देना है। इसी के खिलाफ दिल्ली, बॉम्बे, मद्रास और केरल सहित अन्य उच्च न्यायालयों में याचिकाएं दाखिल की गई हैं। केंद्र सरकार ने आईटी कानून-2021 को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को विभिन्न हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने के लिए याचिका दाखिल की है। इसमें मांग की गई है कि उच्च न्यायालयों लंबित मामलों पर फैसला शीर्ष अदालत द्वारा किया जाए। केंद्र की याचिका में कहा गया है कि यदि ऐसी व्यक्तिगत याचिकाओं पर उच्च न्यायालयों द्वारा स्वतंत्र रूप से निर्णय लिया जाता है इसका परिणाम ‘उच्च न्यायालयों और शीर्ष अदालत के फैसलों के बीच संघर्ष की संभावना हो सकती है।’ विभिन्न उच्च न्यायालयों में कार्यवाही की बहुलता से बचने और चुनौती के तहत नियमों के विचार में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए यह याचिका दाखिल की गई है।
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