सीबीआई ने उच्च न्यायालय से अपील की है कि इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन के विरुद्ध षड्यंत्र रचने के आरोपी पूर्व पुलिस अधिकारियों को जमानत न दें
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई ने सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक नंबी नारायण मामले में केरल उच्च न्यायालय में कहा कि क्योंकि यह राष्ट्रीय महत्व का विषय है, नंबी नारायणन के खिलाफ रचे गए षड्यंत्र में दो प्रमुख आरोपितों की बड़ी भूमिका रही है। अत: इनका अपराध बेहद गंभीर है। यह कहते हुए सीबीआई ने इस मामले में दोनों आरोपियों को जमानत न देने की अपील की है। ये दोनों तत्कालीन पुलिस अधिकारी हैं।
सीबीआई ने 7 जुलाई को उच्च न्यायालय में इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन की जासूसी और उन्हें षड्यंत्र के तहत गिरफ्तार करने के आरोपित केरल पुलिस के दो अधिकारियों की जमानत याचिका का विरोध किया। जांच एजेंसी ने यह भी कहा है कि नारायणन को ‘फर्जी मामले’ में फंसाए जाने की वजह से देश में क्रायोजेनिक तकनीक के विकास में देर हुई थी। यह राष्ट्र की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण विषय है। नारायणन के विरुद्ध रची गई साजिश में इन दोनों आरोपियों की बड़ी भूमिका रही है। इनके दोनों के साथ ही अन्य अज्ञात आरोपितों का अपराध गंभीर है। उल्लेखनीय है कि इसरो में क्रायोजेनिक तकनीक पर काम कर रहे नारायणन के खिलाफ देशद्रोह के आरोप लगाकर उनका मानसिक उत्पीड़न किया गया। साथ ही उनकी जासूसी की गई। इन्हीं सब कारणों से देश क्रायोजेनिक तकनीक के विकास में पिछड़ गया। सीबीआई की अपील में इन बातों का भी स्पष्ट रूप से उल्लेख है।
गत 15 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन पर साल 1994 में लगे देशद्रोह के आरोप और उसके बाद उन पर हुए अत्याचार के मामले में सीबीआई ने जांच शुरू की है। जांच तीन सदस्यीय कमेटी कर रही है। अभी तक सीबीआई ने 18 लोगों को आरोपित बनाया है। इनमें केरल पुलिस के पूर्व अधिकारी एस. विजयन, थम्पी एस. दुर्गादत्त और पूर्व महानिदेशक सिबी मैथ्यूज भी शामिल हैं।
दो आरोपित पुलिस अधिकारी हैं केरल पुलिस से सेवानिवृत्त एस. विजयन तथा थम्पी एस. दुर्गादत्त। इन दोनों ने ही केरल उच्च न्यायालय में जमानत के लिए याचिका दायर की थी। ये दोनों उस विशेष जांच दल में थे, जिसने नंबी नारायणन को गिरफ्तार किया था। इनके अलावा डॉ. नंबी के विरुद्ध साजिश रचने के मामले में आरोपित केरल के पूर्व पुलिस महानिदेशक सिबी मैथ्यूज ने स्पष्ट कहा कि आईबी के दबाव की वजह से ही उन्होंने और केरल पुलिस के अन्य वरिष्ठ अफसरों ने साल 1994 में जासूसी मामले में नारायणन को गिरफ़्तार किया था। मैथ्यूज ने अपनी जमानत याचिका में कहा है कि रॉ तथा आईबी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े ऐसे मामलों में बेहद सक्रिय रहते हैं। पुलिस तो ऐसे मामलों में इन्हीं सुरक्षा एजेंसियों की सूचनाओं पर कार्रवाई करती है।
उल्लेखनीय है कि गत 15 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन पर साल 1994 में लगे देशद्रोह के आरोप और उसके बाद उन पर हुए अत्याचार के मामले में सीबीआई ने जांच शुरू की है। जांच तीन सदस्यीय कमेटी कर रही है। अभी तक सीबीआई ने 18 लोगों को आरोपित बनाया है। इनमें केरल पुलिस के पूर्व अधिकारी एस. विजयन, थम्पी एस. दुर्गादत्त और पूर्व महानिदेशक सिबी मैथ्यूज भी शामिल हैं। इन सबके विरुद्ध आपराधिक षड्यंत्र रचने, अपहरण और साक्ष्यों को मिटाने जैसे अपराधों में भारतीय दंड संहिता की अलग-अलग धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।
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