शांतनु गुप्ता
सपा और बसपा के 15 साल के शासन में उत्तर प्रदेश में सिर्फ 467 किलोमीटर लंबाई एक्सप्रेस-वे बनवाए गए, जो केवल पश्चिमी उप्र तक ही सीमित थे। इसके विपरीत योगी सरकार मात्र 5 वर्ष में दिसंबर 2021 से पहले, उत्तर प्रदेश राज्य में एक्सप्रेस-वे के बुनियादी ढांचे में 641 किलोमीटर का विस्तार करते हुए पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे चालू करने जा रही
अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी की कही एक बात काफी मशहूर है, ‘अमेरिकी सड़कें इसलिए अच्छी नहीं, क्योंकि अमेरिका संपन्न है, बल्कि अमेरिकी सड़कें अच्छी हैं, इसलिए अमेरिका संपन्न है।’ देश को समृद्ध बनाने के सपने को साकार करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी ने आधुनिक भारत को दो दशक पहले बेहतरीन सड़क नेटवर्क परियोजनाओं को पूरा करने की राह दिखाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसी सपने को और व्यापक रूप से सफल बनाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की प्रक्रिया को प्रति दिन और प्रति सप्ताह की दर पर तेज करते हुए उच्चतम रफ्तार का रिकॉर्ड बनाया। योगी आदित्यनाथ ने भी अपने पहले मुख्यमंत्री कार्यकाल में ही यह बात समझ ली है कि अगर उन्हें उत्तर प्रदेश, खासकर राज्य के पूर्वी और बुंदेलखंड क्षेत्रों को समृद्ध बनाना है तो अच्छी सड़कों का नेटवर्क तैयार करना बहुत जरूरी है। पिछले 4 वर्ष में योगी सरकार ने जिस अभूतपूर्व दृष्टिकोण और गति के साथ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे परियोजनाओं के नेटवर्क पर काम किया है, उसके लिए उन्हें निश्चित रूप से ‘एक्सप्रेस-वे-मैन’ की उपाधि मिलनी चाहिए। इस लेख में मैं पाठकों को पिछले 51 महीनों में योगी सरकार के तैयार 4 विशाल एक्सप्रेस-वे परियोजनाओं के साथ-साथ उनके धैर्य और दृढ़ संकल्प की यात्रा का परिचय देने जा रहा हूं।
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे परियोजना
2017 से पहले उत्तर प्रदेश का पूर्वी हिस्सा राज्य का सबसे उपेक्षित क्षेत्र था। हालांकि मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव, दोनों ने पूर्वी उत्तर प्रदेश से ही अपनी संसदीय सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन उन्होंने इस क्षेत्र के विकास की कभी परवाह नहीं की। सपा और बसपा ने इस क्षेत्र के लिए चुनावी वादे तो बहुत किए, लेकिन वे सारे वादे कोरे निकले।
उप्र का मुख्यमंत्री बनने से पहले योगी आदित्यनाथ पूर्वी उप्र की लोकसभा सीट गोरखपुर से 5 बार सांसद रहे हैं। लिहाजा, इस क्षेत्र की चुनौतियों को जितना वह जानते हैं, उतना कोई और नहीं समझ सकता। योगी बखूबी जानते थे कि अगर पूर्वी उत्तर प्रदेश में कोई एक्सप्रेस-वे बनता है तो उसके दायरे में आने वाले सभी क्षेत्रों के सामाजिक और आर्थिक विकास के साथ-साथ वहां कृषि, वाणिज्य, पर्यटन और उद्योगों से होने वाली आय तेजी से बढ़ेगी। यह एक्सप्रेस-वे वहां के हथकरघा उद्योग, फूड प्रॉसेसिंग (खाद्य प्रसंस्करण) इकाइयों, भंडारण संयंत्र, मंडी और दूध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए बेहतर संभावनाएं तैयार करेगा।
योगी सरकार ने लखनऊ से गाजीपुर तक 341 किलोमीटर लंबे विश्व स्तरीय एक्सप्रेस-वे की योजना बनाई। चूंकि यह एक ग्रीनफील्ड परियोजना थी, इसलिए चुनौतियां भी काफी थीं। लेकिन, योगी की टीम ने इसे बहुत ही कुशलता और प्रभावी ढंग से संभाला। इस परियोजना में न्यूनतम निविदा अनुमानित लागत से लगभग 5.19 प्रतिशत कम रही, जिससे एक्सप्रेसवे के काम का प्रबंधन करने वाली संस्था यूपीईआईडीए को लगभग 614 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है।
कोविड-19 महामारी के कारण काम में रुकावट आने के बावजूद योगी की टीम ने यह सुनिश्चित किया कि जिन निर्माताओं को परियोजनाओं को पूरा करने का काम मिला है, वे एक्सप्रेस-वे का निर्माण उसी गति से कराएं, जो महामारी के पहले चल रही थी। जून के मध्य तक सफाई और खुदाई का काम 100 प्रतिशत पूरा हो गया है, मिट्टी का काम 99.89 प्रतिशत पूरा हो गया है, सबग्रेड का काम 99.28 प्रतिशत, ग्रेन्युलर सब बेस (जीएसबी) का काम 99 प्रतिशत, रोड़ी बिछाने (डब्ल्यूएमएम) का काम 98.53 प्रतिशत, डेन्स बिटुमिन मैकेडम (डीबीएम) का काम 98 प्रतिशत, तो बिटुमिनस कंक्रीट (बीसी) का काम 76 प्रतिशत पूरा हो चुका है और संरचना का काम 99 प्रतिशत पूरा हो चुका है। इस तरह कुल 90 प्रतिशत निष्पादित कार्यों के साथ परियोजना अब पूरी हो चली है। वैसे इसकी पूरी होने की निर्धारित तिथि अक्तूबर, 2021 है, जो आसानी से हासिल हो जाएगी। उम्मीद है कि वाहनों की आवाजाही के लिए एक्सप्रेस-वे का मुख्य भाग अगले दो महीनों में खुल जाएगा।
341 किलोमीटर लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर यातायात शुरू होते ही यह पूर्वी उप्र का सबसे महत्वपूर्ण मार्ग बन जाएगा। लखनऊ जिले के ग्राम चंदसराय से शुरू होकर गाजीपुर जिले में हैदरिया गांव तक—जो उप्र-बिहार सीमा से सिर्फ 18 किमी पहले स्थित है— यह 9 जिलों को जोड़ता है जो इस प्रकार हैं-
1. लखनऊ, 2. बाराबंकी, 3. अमेठी, 4. सुल्तानपुर, 5. अयोध्या, 6. अंबेडकर नगर, 7. आजमगढ़, 8. मऊ और 9. गाजीपुर। यह छह लेन का विश्व स्तरीय राजमार्ग है जिसे बाद में आठ लेन तक बढ़ाया जा सकता है। सुल्तानपुर जिले में एक्सप्रेस-वे पर एक हवाई पट्टी भी विकसित की जा रही है जिसे वायु सेना आपात स्थिति में इस्तेमाल कर सकती है। गौरतलब है कि इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य में करीब 9000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है।
बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे परियोजना
पिछली सरकारों के कार्यकाल के दौरान कोई भी परियोजना या स्कीम लखनऊ से राज्य के बुंदेलखंड क्षेत्र के दूरदराज जिलों तक कभी नहीं पहुंच सकी। बुंदेलखंड से संबंधित कई पैकेज की घोषणा हुई, पर सभी ठंडे बस्ते में ही कैद रहे। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे परियोजना के साथ योगी ने इस क्षेत्र के साथ दशकों से हो रहे सौतेले व्यवहार का खात्मा किया है।
योगी सरकार ने 7 जिलों—चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा को जोड़ते हुए चित्रकूट से इटावा तक 300 किलोमीटर की बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे परियोजना शुरू की है जो 4-लेन की है, लेकिन इसे 6 लेन तक बढ़ाया जा सकता है।
सुनियोजित, पारदर्शी और कुशल ई-निविदा प्रक्रिया के जरिए आई न्यूनतम निविदा राशि अनुमानित लागत से करीब 12.72 प्रतिशत कम दर्ज हुई, जिससे योगी सरकार को 1,132 करोड़ रुपये का लाभ मिला।
पिछले सप्ताह तक 99.37 प्रतिशत सफाई और खुदाई का काम पूरा किया गया था, मिट्टी का काम 92 प्रतिशत पूरा हुआ था, 818 नियोजित संरचनाओं में से 601 संरचनाएँ पूरी हो चुकी हैं। परियोजना 63 प्रतिशत पूरी हो चुकी है। इस परियोजना को पूरा करने की निर्धारित तिथि मार्च, 2022 है। लेकिन बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का मुख्य मार्ग दिसंबर 2021 तक चालू हो जाने की उम्मीद है।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे परियोजना
4 लेन (जिसे बाद में 6 लेन तक बढ़ाया जा सकता है) के 91.3 किलोमीटर लंबा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे पूर्वी उप्र के 4 जिलों- गोरखपुर, आजमगढ़, अंबेडकरनगर एवं संत कबीरनगर को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ेगा। जून-2021 के मध्य तक 97.18 प्रतिशत क्लियरिंग और ग्रबिंग और 49 प्रतिशत मिट्टी का काम पूरा हो जाएगा। परियोजना का करीब 24 प्रतिशत काम हो चुका है। इस परियोजना को पूरा करने की निर्धारित तिथि अप्रैल, 2022 है।
गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना
लगभग 600 किमी लंबी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे परियोजना के साथ योगी सरकार भारत का दूसरा सबसे लंबा एक्सप्रेसवे बनाने की तैयारी कर रही है, जो मेरठ के बिजौली गांव से शुरू होकर प्रयागराज तक उप्र के 12 जिलों – मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज को जोड़ेगा। यह 6 लेन वाला एक्सप्रेसवे होगा जिसे 8 लेन तक बढ़ाया जा सकेगा। एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ करीब 120 मीटर चौड़ा रास्ता प्रस्तावित है। गंगा एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण कार्य तेजी से चल रहा है। इस एक्सप्रेसवे के लिए आवश्यक कुल 7800 हेक्टेयर भूमि में से लगभग 64 प्रतिशत का अधिग्रहण किया जा रहा है। गंगा एक्सप्रेसवे के लिए निविदा पूर्व चर्चा समाप्त हो चुकी है। सवालों के जवाब दिए जा चुके हैं। अब बहुत जल्द ही निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी।
उत्तर प्रदेश के बुनियादी ढांचे से संबंधित किसी भी टीवी बहस में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रवक्ता जहां अपनी पार्टी के कार्यकाल में बने 165 किलोमीटर लंबे ग्रेटर नोएडा-आगरा एक्सप्रेसवे की बात करते हैं, वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रवक्ता उनके समय में बने 302 किलोमीटर लंबे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे का गुणगान करते हैं। सपा और बसपा के पिछले 15 साल के शासन में उत्तर प्रदेश में सिर्फ 467 किलोमीटर के एक्सप्रेसवे बने हैं, जो केवल पश्चिमी उप्र तक ही सीमित थे। इसके विपरीत दिसंबर 2021 से पहले योगी सरकार उत्तर प्रदेश राज्य में एक्सप्रेसवे के बुनियादी ढांचे में 641 किलोमीटर का विस्तार करते हुए पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे चालू करने जा रही है। योगी सरकार ने 641 किलोमीटर का यह विस्तार महज 5 साल में हासिल किया है जबकि 467 किलोमीटर का मार्ग तैयार करने में सपा और बसपा सरकार ने 15 साल का समय खर्च किया। इसके अलावा 91 किमी लंबे गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे और 600 किमी लंबे गंगा एक्सप्रेसवे के साथ राज्य भर में बेहतरीन सड़कों का नेटवर्क तैयार करके उत्तर प्रदेश सड़क नेटवर्क की एक अलग लीग में प्रवेश करने वाला है। 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करते हुए कहा था कि उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश एक ‘एक्सप्रेस स्टेट’ बन रहा है। इसलिए मैं योगी आदित्यनाथ को उप्र का ‘द एक्सप्रेसवे-मैन’कहता हूं।
(लेखक और पॉलिसी कमेंटेटर हैं)
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