रितेश कश्यप
झारखंड सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कहा था कि 19 राज्यों में 48 आक्सीजन प्लांट लगाए जाएंगे, लेकिन इनमें से अब तक एक भी प्लांट नहीं लग पाया है। केवल 10 प्लांट के लिए भूमि चयन किया गया है। इसलिए लोग आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि दुर्भाग्य से झारखंड में कोरोना की तीसरी लहर आ गई, तो भयावह स्थिति हो सकती है।
झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रांची स्थित रिम्स के गहन चिकित्सा केंद्र के प्रभारी डॉ. प्रदीप भट्टाचार्य के अनुसार पूरे देश में 15 जुलाई तक कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है, वहीं झारखंड में 26 जुलाई तक तीसरी लहर के आने की आशंका है। बताया जा रहा है कि तीसरी लहर में बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं। इसके बावजूद झारखंड सरकार तीसरी लहर को रोकने की तैयारी में वैसी रुचि नहीं दिखा रही है, जैसी जरूरत है। बता दें कि दूसरी लहर के दौरान और राज्यों की तरह झारखंड में भी सैकड़ों लोग आक्सीजन के बिना मरे थे। इसको देखते हुए राज्य सरकार ने 19 जिलों 48 आक्सीजन प्लांट लगाने की मंजूरी दी थी, लेकिन लगभग दो महीने बीतने के बाद भी एक भी आक्सीजन प्लांट नहीं लगा है। पता चला है कि लगभग 10 जिलों में प्लांट लगाने के लिए सिर्फ स्थल चयन ही हो पाया है। ऐसे में लोगों को लग रहा है कि यदि दुर्भाग्यवश तीसरी लहर आई तो स्थिति दूसरी से भी ज्यादा भयावह हो सकती है।
अब राज्य में बेड की स्थिति पर बात करते हैं। पूरे राज्य में बच्चों के लिए अस्पतालों में 1,500 बिस्तर की आवश्यकता है। पहले से केवल 436 बिस्तर हैं। यानी शेष को तैयार करना है, लेकिन इस दिशा में बहुत ही धीमी गति से काम चल रहा है। इस कारण अब तक 300 बिस्तर ही तैयार हो पाए हैं। यहां तक कि प्रदेश के ज्यादातर जिलों में अब तक चिल्ड्रन वार्ड भी नहीं बन पाए हैं। एक जानकारी के अनुसार रांची में 40 पीआईसीयू बिस्तर तैयार हो रहे हैं। जमशेदपुर में 30 बिस्तर का काम चल रहा है। गिरिडीह और हजारीबाग के सीएचसी और सदर अस्पताल में 130 बिस्तर का बाल वार्ड बन रहा है, धनबाद और खूंटी में भी 70 से अधिक बिस्तर का काम पूरा होने वाला है। इन सबके बावजूद राज्य में बच्चों के बिस्तर की भारी कमी है।
एक जानकारी के अनुसार राज्य में बच्चों के लिए अब तक 104 चिकित्सक उपलब्ध हैं, जबकि 180 चिकित्सकों की जरूरत है। पूरे प्रदेश में 14 वर्ष तक के बच्चों की आबादी लगभग 97,00,000 है। ऐसे में 104 शिशु रोग विशेषज्ञों के भरोसे झारखंड सरकार तीसरी लहर से कैसे निपटेगी, यह भी विचारणीय है।
डॉक्टरों की कमी की वजह से दूसरी लहर में भी लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। तीसरी लहर के आने की आशंका को देखते हुए झारखंड के स्वास्थ्य विभाग ने 2,219 डॉक्टरों की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा था। मेडिकल कॉलेज के लिए 130 नियमित सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति का भी प्रस्ताव है। साथ ही अनुबंध पर 150 डॉक्टरों की नियुक्ति की जानी है। पैरामेडिकल स्टाफ की कमी झारखण्ड पहले से ही झेल रहा है। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जो काम पिछले चार महीने में नहीं हो पाया, वह काम अगले एक माह में तीसरी लहर आने से पहले कैसे हो पाएगा?
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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