डिजिटल इंडिया अभियान के छह साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि डिजिटल इंडिया में सबको अवसर, सबको सुविधा और सबकी भागीदारी है। यह समान्य नागरिकों की सुविधा और उनके सशक्तीकरण का बहुत बड़ा माध्यम है। इसने न केवल गरीबों, बल्कि मध्यम वर्ग और युवाओं की भी जिंदगी बदल दी।
इस अवसर पर उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों के लोगों से संवाद किया। इस सिलसिले में उन्होंने देहरादून के टैक्सी ड्राइवर हरिराम और बिहार में पूर्वी चंपारण की कांति देवी से बातचीत की। बता दें कि 1 जुलाई, 2015 को प्रधानमंत्री ने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की थी।
भ्रष्टाचार पर चोट
प्रधानमंत्री ने गुरुवार को अपने संबोधन में कहा कि डिजिटल इंडिया पारदर्शी, भेदभाव रहित व्यवस्था और भ्रष्टाचार पर चोट है। इससे समय, श्रम और धन की बचत होती है। डिजिटल इंडिया की बदौलत कोरोना काल में डेढ़ साल के दौरान विभिन्न योजनाओं के तहत करीब सात लाख करोड़ रुपये सीधे लोगों के बैंक खातों में भेजे गए। देश में केवल भीम यूपीआई से ही हर माह करीब पांच लाख करोड़ रुपये का लेन-देन होता है। इसके अलावा, पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 10 करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खातों में 1.35 लाख करोड़ रुपये जमा कराए गए हैं। डिजिटल इंडिया ने वन नेशन, वन एमएसपी की भावना को भी साकार किया है। इस साल गेहूं की रिकॉर्ड खरीद के करीब 85 हजार करोड़ रुपये सीधे किसानों के खाते में पहुंचे हैं। ई-नाम पोर्टल इसलिए बनाया गया है ताकि किसान देश की सभी मंडियों में अपनी फसल बेच सके। इस पोर्टल से बड़ी संख्या में किसान और व्यापारी जुड़ रहे हैं। ई-नाम पोर्टल से अब तक देश के किसान एक लाख 35 हजार करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन कर चुके हैं।
लाभार्थियों से बात
प्रधानमंत्री ने टैक्सी चालक हरिराम से वन नेशन वन कार्ड में आने वाली परेशानियों के बारे में पूछा। हरिराम ने बताया कि शुरू में उन्हें थोड़ी परेशानी हुई थी, क्योंकि उनका राशन कार्ड उत्तर प्रदेश के हरदोई का है। लेकिन विभाग के सहयोग के बाद उन्हें देहरादून में आसानी से राशन मिल रहा है। इसके अलावा, अपने गांव हरदोई जाने पर भी उन्हें राशन मिलता है। लेन-देन के लिए भीम एक का उपयोग करने के लिए प्रधानमंत्री ने हरिराम की सराहना करते हुए पूछा कि उन्होंने एप का इस्तेमाल कब शुरू किया तो हरिराम ने बताया कि जिस दिन इसे लांच किया गया, उसी दिन से। इस पर प्रधानमंत्री मुस्कुराते हुए बोले कि आप वाकई बेहतर काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने पूर्वी चंपारण की 70 वर्षीया कांति देवी का हाल-चाल पूछा। कांति देवी ने बताया कि वह तेजी से ठीक हो रही हैं। लखनऊ के केजीएमसी अस्पताल के डॉक्टर की डिजिटल सलाह के लिए उन्होंने धन्यवाद दिया। कांती देवी ई-संजीवनी योजना की लाभार्थियों में से एक हैं। ई-संजीवनी योजना के जरिए इस साल अप्रैल से लखनऊ के केजीएमसी अस्पताल से उनका डिजिटल उपचार चल रहा है। वे मानसिक स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित थीं। मोतिहारी के एक डॉक्टर से उनका इलाज चल रहा था। डॉक्टर ने उन्हें केजीएमसी अस्पताल रेफर कर दिया, जो उनके घर से 500 किमी दूर है।
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