टी. सतीशन, केरल
पथनापुरम वन क्षेत्र में जांच करते हुए सुरक्षा अधिकारी
कोल्लम जिले के पुन्नाला वन क्षेत्र में पीएफआई के हथियार प्रशिक्षण शिविर का खुलासा। जांच दल को मिले महत्वपूर्ण सुराग, अधिकारियों पर संदेह
केरल के कोल्लम जिले के पथनापुरम के वन क्षेत्र से गत 14 जून को जिलेटिन की छड़ें, डेटोनेटर, तार, बैटरी आदि बरामद होने के बाद से, केरल को लेकर सुरक्षा एजेंसियों की सरगर्मी बढ़ गई है। इस प्रकरण की जांच के दौरान राज्य के सरकारी अधिकारियों की इसमें संलिप्तता के तथ्य सामने आने के बाद स्थिति गंभीर हो गई है। खबर है कि आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े होने की अत्यधिक संभावना वाली इस बरामदगी के संबंध में जांच दल वन विभाग की इसमें संलिप्तता की जांच कर रहा है।
कुछ समय पहले ऐसी खबरें आई थीं कि पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया (पीएफआई) नामक कट्टर मजहबी संगठन पदम नामक स्थान पर वेगामॉन हथियारों का प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रहा है। आरोप हैं कि इसके चलते वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने जंगल के अग्निशमन कर्मियों की नियुक्ति में देरी की। पीएफआई ने 17 फरवरी, 2021 को वहां यूनिटी मार्च का आयोजन किया था। जांच दल को पता चला है कि 17 फरवरी के पीएफआई के इसी मार्च के मद्देनजर वन अधिकारियों ने अग्निशमन कर्मियों की नियुक्ति पर 16 फरवरी तक रोक लगाई हुई थी। उल्लेखनीय है कि राज्य के अन्य हिस्सों में इन कर्मियों की नियुक्ति जनवरी के पहले सप्ताह के दौरान हो गई थी। केवल पदम में इसे 16 फरवरी तक के लिए टाल दिया गया था। आधिकारिक सूत्रों से पता चला है कि इन नियुक्तियों को टाले जाने की वजह निश्चित ही 17 फरवरी को होने वाला मार्च था।
पदम वन क्षेत्र कोल्लम जिले के पुनालूर डिवीजन के अंतर्गत पुन्नाला क्षेत्र में आता है। मामले की जांच कर रहे दल के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने उजागर किया है कि तमिलनाडु की ‘क्यू’ शाखा ने राज्य पुलिस को सूचित किया था कि जिले की वन सीमाओं में चरमपंथी संगठन सक्रिय हैं। पिछले वर्षों में भी इसी वन क्षेत्र में पीएफआई के शस्त्र प्रशिक्षण शिविरों जैसी गतिविधियों की जानकारी मिली थी।
ताजा घटनाक्रम रा.स्व.संघ, भाजपा और अन्य हिंदू संगठनों के इस दावे की पुष्टि करता है कि केरल लंबे समय से इस्लामिक आतंकवादियों का सुरक्षित ठिकाना रहा है क्योंकि, माकपा के नेतृत्व वाला एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ पिछले कई दशकों से इस्लामी कट्टरपंथी ताकतों को खुश करने की होड़ में लगे हैं। इस बात की ओर इशारा करने वाले कई उदाहरण हैं। जैसे कि जब अब्दुल नासर मदनी को 1998 के कोयंबतूर विस्फोट के सिलसिले में जेल में डाला गया था, तो एलडीएफ और यूडीएफ दोनों ने उसकी जेल से रिहाई के लिए राज्य विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था। पिछले वर्ष आए नागरिकता संशोधन कानून और कृषि कानूनों पर भी उन्होंने यही किया।
डीवाईएफआई पदाधिकारी निष्कासित
आईएस के खिलाफ फेसबुक पोस्ट करने पर एक डीवाईएफआई नेता को संगठन से निष्कासित कर दिया गया है। पत्तनमथिट्टा जिले के तिरुविला से डीवाईएफआई क्षेत्रीय कमेटी के सदस्य पी.आर. राहुल ने आईएस में शामिल होने के लिए कुछ साल पहले भारत छोड़ने वाली लड़कियों को देश में वापस लाने की मांग के खिलाफ पोस्ट डाली थी। राहुल ने अपनी पोस्ट में लिखा था, ‘आमतौर पर किसी मां की आंखों से बहते आंसू उन्हें उदास कर देते हैं, लेकिन इस मामले में वह इन माताओं के लिए आंसू नहीं बहाएंगे क्योंकि उनकी बेटियां देशद्रोही हैं।’ लेकिन, माकपा को यह बात रास नहीं आई और उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया।
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