सुनील राय
पर्यटन विभाग उत्तर प्रदेश के 16 नगरों में रामायण कॉन्क्लेव का आयोजन करने जा रहा है. इस आयोजन को 'जन-जन में राम' का नाम दिया गया है.
पर्यटन विभाग की महत्वपूर्ण योजना ‘रामायण कान्क्लेव’ के संबंध में धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.नीलकंठ तिवारी ने बैठक कर तैयारियों की समीक्षा की. 16 नगरों में आयोजित होने वाले रामायण कॉन्क्लेव की रूपरेखा तय की गई. योजना के अन्तर्गत हर नगर में दो दिनों के उत्सव में संगोष्ठी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, कला प्रदर्शनी तथा प्रतियोगिताओं के आकर्षक कार्यक्रम होंगे. इस उत्सव श्रृंखला को ‘जन-जन में राम’ का नाम दिया गया है जिसमें स्थानीय रूप से आयोजन के अतिरिक्त आनलाइन प्रसारण की व्यवस्था भी होगी. उत्सव में ढाई हजार से अधिक विद्वानों, कलाकारों, संस्कृति कर्मियों की भागीदारी होगी.
बैठक में डॉ. तिवारी ने कहा कि इस माह से प्रदेश के 16 नगरों में दो-दो दिवसीय ‘जन-जन में राम’ रामायण कॉन्क्लेव का आयोजन किया जाएगा, जो अगले माह तक चलेगा. इन नगरों में श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या सहित गोरखपुर, वाराणसी, चित्रकूट, श्ऋंगवेरपुर, बिठूर (कानपुर), मथुरा, बरेली, मेरठ, ललितपुर, सहारनपुर, बलिया, बिजनौर, गढ़मुक्तेश्वर, गाजियाबाद शामिल हैं जबकि इस उत्सव श्रृंखला का समापन लखनऊ में होगा. अयोध्या में उद्घाटन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से निवेदन किया गया है. प्रत्येक नगर में दो दिवसीय आयोजन के प्रत्येक दिवस प्रातः भगवान श्रीराम के जीवन दर्शन पर आधारित वृहद संगोष्ठी एवं परिचर्चा तथा सायंकाल भगवान श्रीराम के जीवन के विविध प्रसंगों पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन किए जाएंगे. संगोष्ठी में देश-विदेश के भगवान श्रीराम के जीवन-दर्शन के जानकारों, विद्वानों को आमंत्रित किया जाएगा जबकि सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अन्तर्गत रामलीला के साथ ही श्रीराम के जीवन पर आधारित नाटक, नौटंकी, कठपुतली, गायन, वादन, नृत्य लोक संगीत एवं कवि सम्मेलन सहित विविध कार्यक्रम होंगे. इसके साथ ही उन नगरों में उत्सव के अवसर पर भगवान श्रीराम के जीवन दर्शन पर आधारित चित्रकला, मूर्तिकला की प्रदर्शनी लगाई जाएगी तथा बच्चों में भगवान श्रीराम के जीवन दर्शन के प्रति अभिरुचि उत्पन्न करने के उद्देश्य से प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाएगा.
डा. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि संगोष्ठी एवं परिचर्चा में जन-जन में राम, लोकमानस में राम, राम कथा में सामाजिक समरसता, रामकथा में भातृप्रेम, रामकथा में पितृभक्ति, रामकथा में वसुधैव कुटुम्बकम, रामकथा में लोकतंत्र, शबरी के राम, संस्कृत वांग्मय में राम, राम कथा में ऋषि परंपरा, रामायण और विज्ञान, सखाभक्ति और राम कथा, राम के शिव, शिव के राम, राम भक्त हनुमान, जड़-चेतन में राम, रामलीला का भारतीय संस्कृति में योगदान, राम वन गमन, राम और आस्था, लोकगीतों में राम, नारी सम्मान और रामकथा, तुलसी के राम, वाल्मीकि के राम, रामराज्य की परिकल्पना, लोकनायक राम सहित विविध सत्र आयोजित किए जाएंगे. इनमें श्रीराम के जीवन एवं दर्शन पर कार्य करने वाले विद्वानों के साथ ही विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, विषय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा. इसके साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों में क्षेत्रीय लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां कराई जाएंगी और प्रदर्शनियों में स्थानीय कलाकारों को प्रमुखता दी जाएगी।
आयोजन की विस्तृत रूपरेखा तय करने के बाद नगरों के अनुसार तिथियों की घोषणा की जायेगी. सभी आयोजनों में कोविड-19 के मार्गदर्शन सिद्धांतों का कड़ाई से पालन कराया जाएगा. इसका प्रसारण विभिन्न चैनलों, यू-ट्यूब, वेबसाइट, फेसबुक आदि माध्यमों से किया जाएगा. बैठक में संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम, संस्कृति विभाग के विशेष सचिव आनंद कुमार, अकादमी के प्रोड्यूसर तरुण राज, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कीर्ति सहित कई अधिकारी उपस्थित थे.
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