आलोक गोस्वामी
दो बच्चों की नीति को लेकर असम सरकार गंभीर दिखती है। मुस्लिम आबादी 29 प्रतिशत और हिन्दू आबादी का 10 प्रतिशत की दर से बढ़ना जनसांख्यिक असंतुलन पैदा कर रहा है
असम के मुख्यमंत्री का पद संभाले हिमंत बिस्व सरमा को अभी लगभग डेढ़ महीना ही हुआ है, लेकिन इस बीच उनके अनेक फैसलों से जनता में एक उम्मीद जगी है। कोरोना के टीकाकरण में तेजी, बांग्लादेशी घुसपैठियों के अतिक्रमण हटवाना, विभिन्न विकास योजनाओं का क्रियान्वयन आदि ऐसे कदम हैं जिनसे राज्य तेजी से आगे बढ़ता दिख रहा है। लेकिन व्यावहारिक दिक्कतों की तरफ भी सरकार का पूरा ध्यान है, ऐसा मुख्यमंत्री द्वारा 28 जून को भाषा को दिए एक साक्षात्कार से झलकता है।
बढ़ती आबादी दर
इस साक्षात्कार में मुख्यमंत्री हिमंत ने एक बार फिर ज्यादा ही तेजी से बढ़ती मुस्लिम आबादी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम आबादी 29 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। इसकी वजह से विकास में बाधा आ रही है। इसे सही करने का उपाय मुस्लिम समुदाय को सोचना चाहिए। उल्लेखनीय है कि पिछले ही दिनों मुख्यमंत्री ने कहा था कि राज्य सरकार दो बच्चों के नियम वाली एक जनसंख्या नीति लाने की तैयारी में है। इसका पालन करने वाले परिवारों को खास योजनाओं के तहत लाभ मिलेगा। गौर करने की बात यह है कि उत्तर प्रदेश में भी इस दृष्टि से गंभीरता से सोचा जा रहा है।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मुस्लिम आबादी दर के संबंध में आगे कहा कि राज्य सरकार अल्पसंख्यकों की आबादी की वृद्धि दर कम करने के लिए नीतिगत कदम उठाएगी, जिसका लक्ष्य गरीबी और निरक्षरता का उन्मूलन करना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का पहला लक्ष्य स्वास्थ्य एवं शैक्षणिक कार्यक्रमों का प्रसार करना है। इस तरह के कदमों के जरिए मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर पर रोक लगाने में सहायता मिलेगी। सरमा ने एक बार इस बात पर बल दिया कि इस तरह का दृष्टिकोण मुस्लिम समुदाय के भीतर बनना चाहिए। अन्यथा सरकार के 'बाहर' से ऐसा करने पर उसे राजनीतिक चश्मे से देखा जाएगा।
मुख्यमंत्री का स्पष्ट कहना था कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि हमारी माताओं—बहनों के कल्याण की बात है। इससे भी बढ़कर यह कदम समुदाय के कल्याण के लिए है। उन्होंने दावा किया कि असम अपनी वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत रखने में सफल रहा है। लेकिन, इस पर और नजदीकी से ध्यान दें तो पाएंगे कि मुस्लिम आबादी 29 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, जबकि हिंदू आबादी 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है।
अल्पसंख्यकों के लिए अपने योजनाएं
साक्षात्कार में मुख्यमंत्री ने बताया कि वह मुस्लिम समुदाय के नेतृत्व के साथ बराबर संपर्क में हैं। वह समुदाय के अंदर एक तरह का नेतृत्व खड़ा करने के लिए अगले महीने अनेक संगठनों के साथ परामर्श करेंगे। उनका कहना था, 'हमारे नीतिगत मानकों में विश्वविद्यालय स्तर तक की छात्राओं के लिए मुफ्त शिक्षा जैसे अनेक प्रोत्साहन, अल्पसंख्यक महिलाओं का वित्तीय समावेशन, पंचायतों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण तथा अल्पसंख्यक इलाकों में कॉलेज और विश्वविद्यालय खोलने शामिल हैं।'
जहां तक उनकी सरकार के दो बच्चों के नियम वाली एक जनसंख्या नीति लाने की बात है तो उसके अंतर्गत इस नीति का पालन करने वाले परिवारों को विशेष योजनाओं के अंतर्गत लाभ भी मिलने का आश्वासन होगा। ऐसा ही नियम पंचायत चुनाव लड़ने और राज्य सरकार की नौकरियों के लिए पहले से लागू है।
राष्ट्रीय नीति के अनुसार हो रहा काम
बांग्लादेशी घुसपैठियों से सरकारी जमीन पर किए कब्जे हटवाने के बारे में मुख्यमंत्री का कहना था कि बाहर से देखें तो ऐसा लगता है कि इसमें अल्पसंख्यक को निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन कोई वन के अतिक्रमण की इजाजत कैसे दे सकता है? यह बस एक संयोग है कि जिनसे कब्जे हटवाए गए हैं वे समुदाय विशेष के लोग हैं। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय ने एक आदेश जारी किया है। उसके अंतर्गत है कि वन आच्छादन कम न हो, यह सुनिश्चित किया जाए। यह एक राष्ट्रीय चिंता का विषय है और वे राष्ट्रीय नीति के अनुसार ही काम कर रहे हैं। उनका कहना था कि ऐसा नहीं है कि, हम सिर्फ अल्पसंख्यकों के कब्जे हटवा रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य से अल्पसंख्यक समुदाय कब्जे करने में कहीं ज्यादा शामिल है।
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