डर और झूठ के सौदागर कौन!
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम सम्पादकीय

डर और झूठ के सौदागर कौन!

by WEB DESK
Jun 25, 2021, 05:39 pm IST
in सम्पादकीय, दिल्ली
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

  हितेश शंकर


गाय को सिर्फ जानवर समझने वाले, तोप और बंदूक के बल पर दमन करने वाले अंग्रेज बाहर से आए मगर तोप-तलवार से न दबने वाले लोग मंगल ग्रह से नहीं आए थे। वे यहीं के, इसी माटी के लोग थे। वे आस्था की लड़ाई में अपनी जान झोंककर लड़ रहे थे।

 
 
इस सप्ताह की दो खबरों पर ध्यान दें –
● गाजियाबाद के लोनी इलाके में एक मुस्लिम की पिटाई हुई और पिटाई करने वालों ने उससे जबर्दस्ती ‘जय श्री राम’ के नारे लगवाए।
● राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में मवेशियों की तस्करी के शक में एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई, जबकि एक अन्य को लोगों के गुट ने घायल कर दिया।

पहली नजर में छोटी सी दिखने वाली इन खबरों में वह सारा मसाला था जो खबर के नाम पर खिलवाड़  करने वाली ‘ब्रिगेड’ को चाहिए था –
जय श्रीराम का नारा, मवेशी के रूप में गाय और तस्कर को मौके पर सबक सिखाने के लिए कानून हाथ में लेती गुस्साई भीड़।
यह भारत में बढ़ती असहिष्णुता, गोहत्या और ‘लिंचिंग’ के विमर्श को धार देने वालों की नेटवर्किंग का ही कमाल था कि भारत में विपक्षी दलों के बयानों से लेकर पाकिस्तान के अखबारों की ‘सुर्खियों’ तक यह खबरें लहराने लगीं।
किसी आपराधिक घटनाक्रम को लपकने और भारत की छवि खराब करने के लिए विशेष प्रकार से प्रस्तुत करने का यह कोई पहला मामला नहीं था।
याद कीजिए जब फिल्मी कलाकार आमिर खान को भारत में डर लगा था! नसीरुद्दीन शाह ने ‘गाय’ की हत्या की ‘पुलिसकर्मी’ की हत्या से तुलना करने की धूर्तता करते हुए भारत में डर लगने की बात
की थी।
बाद में कुछ इसी तर्ज पर बॉलीवुड और वामपंथ से जुड़े कुछ बड़े लोगों ने प्रधानमंत्री को पत्र
लिखा था।
इस सबका सार यह था कि-भारत में जब से भाजपानीत राजग सरकार आई है तब से –
● जय श्रीराम का उद्घोष भड़काऊ नारा बनता जा रहा है!
● देश में असहिष्णुता का प्रेत पैर पसार रहा है!
● देश की जनता मुसलमानों के प्रति इस कदर गुस्से से भरी बैठी है कि पीट-पीटकर उनकी जान ले रही है!

परंतु क्या भारत वास्तव में ऐसा ही है, जैसा उसे दिखाने की कोशिश हो रही है?
बिल्कुल नहीं!
इसके उलट, ठोस आंकड़ों की कसौटी पर परखा जा सकने वाला सत्य यह है कि विपुल जनसंख्या और विविधताओं के बाद भी हिंसा, बलात्कार, रंगभेद तथा अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार कुचलने के पैमाने पर भारत का रिकॉर्ड अनेक स्वनामधन्य ‘विकसित और सभ्य’ देशों से कहीं अच्छा है।
अपराध तो बहुत बड़ी बात है। हम भारतीयों की सामान्य जीवनशैली में सात्विकता पर ही गौर कीजिए, भारत आज भी ऐसा देश है जहां शराब पीने वालों के मुकाबले शराब को न छूने वालों की संख्या ज्यादा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शराब की खपत के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं। इस देश की परंपरा, नैतिकता, भावनात्मकता और आस्थाओं का संगम लोगों को ‘कॉकटेल’ से दूर करता है।
भारत आज भी ऐसा देश है जहां गाय तो छोड़िये, किसी भी प्रकार के मांस, और तो और, अंडे तक को हाथ न लगाने वाले शाकाहारियों की संख्या और अनुपात दुनिया के किसी भी अन्य देश से निस्संदेह ज्यादा है।
यह बातें और किसी को आश्चर्यचकित कर सकती हैं परंतु हम भारतीयों को इस बात से कोई आश्चर्य नहीं होता। परंपराएं हैं तो उनका पालन होता है। आस्था है तो अगाध है। हम ऐसे हैं, क्योंकि हम भारतीय सदियों से ऐसे ही हैं।
● जय श्रीराम! यह उद्घोष भारत की सांस्कृतिक पहचान है। सामाजिक अभिवादन के सबसे सहज रूप में स्वीकार्य इस नाम में ना तो लेश मात्र हिंसा है और ना ही रत्ती भर राजनीति। सब जानते हैं कि भारत को भाजपा ने यह नारा नहीं दिया।
● लिंचिंग! यह शब्द तक भारत के लिए विदेशी है। अमेरिकी इतिहास के सबसे हिंसक दौर में इस शब्द को 1780 में जन्म दिया चार्ल्स और विलियम लिंच ने। राजनीतिक रक्तस्नान के आदी वामपंथी और सिख नरसंहार के दागी कांग्रेसी जब वर्तमान समय को सबसे खराब बताते हैं तो इस तर्क के पीछे छुपी छटपटाहट और उनके गुस्से को समझा जा सकता है।
● और गाय! गाय को यह देश 2013 से नहीं बल्कि उस समय से पावन, आस्था का केंद्र मानता रहा है जब ‘डिस्कवरी आॅफ इंडिया’ की मानसिकता वाले लोग भारत को देश तक नहीं मानते थे। ऐसा नहीं है कि केंद्र में नरेंद्र्र मोदी की अगुआई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार बनने के बाद से ही भारत के लोग गो-ग्रास निकालने लगे हैं?

ऐसे में श्रीराम के नारे को निशाना बनाने वाली गाजियाबाद की खबर के सिरे से झूठी निकलने पर किसी को हैरानी नहीं हुई। लोगों को इस बात पर भी हैरानी नहीं हुई कि ‘फैक्ट चेकर’ की आड़ में झूठ और नफरत का धंधा चलाने वाले कथित पत्रकार इस मामले को गरमा कर निहित स्वार्थों की रोटियां सेंक रहे थे। संकेत ऐसे हैं कि संभवत यह बरेलवी और देवबंदी मुसलमानों का आपसी झगड़ा था, जिसमें श्रीराम के नारे के बहाने हिंदुत्व को लांछित करने की कोशिश की गई।
दूसरा मामला चित्तौड़ का था। निस्संदेह किसी भी मुद्दे पर कानून को हाथ में लेना गलत है। तिस पर भी हत्या! यह तो निरी बर्बरता है। मगर क्या गाय के पास सिर्फ मुस्लिम कसाई को देखकर यह समाज आक्रोशित होता है? नहीं! चित्तौड़ की घटना में ऐसा कहां था? हिन्दू-मुस्लिम रार का बारूद तलाशते तत्वों ने गौहत्या की आशंका से आक्रोश की बात उछाली मगर यह तथ्य दबा गए कि गुस्साई जनता और दुर्भाग्यशाली मृतक दोनों हिन्दू समाज से थे।
वैसे, श्रीराम और गाय दोनों के लिए भारतीय मानस में श्रद्धा-सम्मान है तो इनका परस्पर सम्बन्ध भी है।
कामधेनु के सन्तान बाधा श्राप से उबरने के लिए नंदिनी
नामक गाय की सेवा-रक्षा करने वाले राजा दिलीप रामजी के ही तो पुरखे थे!
1872 में ब्रिटिश राज के दौरान गोहत्यारों को सबक सिखाने वाले ‘कूका’ आंदोलनकारी सतगुरु राम सिंह थे?
महाराजा दिलीप का गौसेवा के लिए प्राण उत्सर्ग के लिए उद्धत होना और अंग्रेजों द्वारा गायों की हत्या को बढ़ावा देने के विरोध में 66 कूके वीरों का बलिदान, यह ऊपरी तौर पर भिन्न कालखण्डों की दो अलग-अलग घटनाएं दिखें परंतु यह भारत के आत्मसम्मान, इस देश की आस्था और आजादी से जुड़ी अभिन्न कड़ियां हैं।
गाय को सिर्फ जानवर समझने वाले, तोप और बंदूक के बल पर दमन करने वाले अंग्रेज बाहर से आए मगर तोप-तलवार से न दबने वाले लोग मंगल ग्रह से नहीं आए थे। वे यहीं के, इसी माटी के लोग थे। वे आस्था की लड़ाई में अपनी जान झोंककर लड़ रहे थे। नहीं भूलना चाहिए कि अंग्रेजों द्वारा तोपों के मुंह से बंधवाकर उड़ा देने पर भी उनके आंदोलन का उबाल ठंडा नहीं पड़ा था!
गोरक्षा में हिंसा न हो, इसकी चिंता करने के साथ ही गोहत्या न हो, इस बात को सुनिश्चित किए बिना इस भावुक-आस्थावान समाज का आक्रोश कैसे थामा जा सकता है।
बहरहाल, इक्का-दुक्का घटनाओं और अधकचरे तथ्यों को ‘नैरेटिव’ के तौर पर स्थापित करने की चाल चलते स्वार्थी तत्वों से बचना इस समाज के तौर पर हम सबके लिए जरूरी है। बात सिर्फ झूठी खबरों  और समाज को आपस में लड़ाने भर की नहीं, बात ऐसी लामबंदी को चिन्हित और खारिज करने की है जो उस भारतीय समाज की गलत छवि स्थापित कर रही है जो स्वभावत: शांत, भावुक, संवेदनशील और नैतिकता का पालन करने वाला है। इस समाज से किसे डर लगता है? सेकुलर तस्बीह फिराती ‘भारत तोड़ो ब्रिगेड’ को इस समाज की शांति और एकता से डर लगता है।
हैरानी तब होती है जब ‘डर’ और ‘असहिष्णुता’ का हौवा खड़ा करने वाले चेहरे आईएस जैसे दुर्दांत इस्लामी संगठनों की भारत में बढ़ती दिलचस्पी से, नौजवानों की भर्ती से, आतंकियों की धरपकड़ से जरा नहीं घबराते। इन्हें ‘भारत तोड़ो’ के नारों से डर नहीं लगता बल्कि वहां इन्हें भविष्य की राजनीति के लिए मुफीद मासूम चेहरे दिखते हैं। कोई हैरानी नहीं कि किसी दिन प्रगतिशील राजनीति का कोई प्यादा कह बैठे कि उसे ‘गाय के बछड़े से ज्यादा मासूम जिहादी आतंकी’ लगता है। कट्टर पीएफआई को सहलाती कांग्रेस को जनेऊ दिखाने और केरल में सड़क पर बछड़ा काटकर खाने का स्वांग आता होगा, फिल्मी कलाकारों और झूठे ‘पत्रकारों’ को भी डर बेचने की कला आती होगी, परंतु इस देश के लोग भोले हैं। इन भोले लोगों को दोहरे-दोमुंहे दल और किरदारों से जरूर डरना चाहिए।
@hiteshshankar
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

यह युद्ध नहीं, राष्ट्र का आत्मसम्मान है! : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ऑपरेशन सिंदूर को सराहा, देशवासियों से की बड़ी अपील

शाहिद खट्टर ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

मोदी का नाम लेने से कांपते हैं, पाक सांसद ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

ऑपरेशन सिंदूर पर बोले शशि थरूर– भारत दे रहा सही जवाब, पाकिस्तान बन चुका है आतंकी पनाहगार

ड्रोन हमले

पाकिस्तान ने किया सेना के आयुध भण्डार पर हमले का प्रयास, सेना ने किया नाकाम

रोहिंग्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब कुछ शेष नहीं: भारत इन्‍हें जल्‍द बाहर निकाले

Pahalgam terror attack

सांबा में पाकिस्तानी घुसपैठ की कोशिश नाकाम, बीएसएफ ने 7 आतंकियों को मार गिराया

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

यह युद्ध नहीं, राष्ट्र का आत्मसम्मान है! : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ऑपरेशन सिंदूर को सराहा, देशवासियों से की बड़ी अपील

शाहिद खट्टर ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

मोदी का नाम लेने से कांपते हैं, पाक सांसद ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

ऑपरेशन सिंदूर पर बोले शशि थरूर– भारत दे रहा सही जवाब, पाकिस्तान बन चुका है आतंकी पनाहगार

ड्रोन हमले

पाकिस्तान ने किया सेना के आयुध भण्डार पर हमले का प्रयास, सेना ने किया नाकाम

रोहिंग्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब कुछ शेष नहीं: भारत इन्‍हें जल्‍द बाहर निकाले

Pahalgam terror attack

सांबा में पाकिस्तानी घुसपैठ की कोशिश नाकाम, बीएसएफ ने 7 आतंकियों को मार गिराया

S-400 Sudarshan Chakra

S-400: दुश्मनों से निपटने के लिए भारत का सुदर्शन चक्र ही काफी! एक बार में छोड़ता है 72 मिसाइल, पाक हुआ दंग

भारत में सिर्फ भारतीयों को रहने का अधिकार, रोहिंग्या मुसलमान वापस जाएं- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

शहबाज शरीफ

भारत से तनाव के बीच बुरी तरह फंसा पाकिस्तान, दो दिन में ही दुनिया के सामने फैलाया भीख का कटोरा

जनरल मुनीर को कथित तौर पर किसी अज्ञात स्थान पर रखा गया है

जिन्ना के देश का फौजी कमांडर ‘लापता’, उसे हिरासत में लेने की खबर ने मचाई अफरातफरी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies