आलोक गोस्वामी
अनेक देशों में फिलिस्तीन के आतंकी संगठन के नाम से चिन्हित हमास के झंडे नहीं लहराए जाएंगे जर्मनी में धरनों-प्रदर्शनों में, सख्त हुए जर्मन की मार्केल सरकार
फिलस्तीन के समर्थकों ने पिछले दिनों प्रदर्शनों की आड़ में जर्मनी में ऐसा उत्पात मचाया, यहूदी-विरोधी हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया कि जर्मन सरकार ने आखिरकार सख्त कदम उठाने का फैसला लिया है। जर्मन सरकार ने हमास के झंडे लहराने पर पाबंदी लगाने की ठान ली है। इस कदम के जरिए वह अपने यहां रह रहे यहूदी नागरिकों को भी एक संदेश देना चाहती है।
'वेल्ट अम जोनटाग' समाखर पत्र में छपी खबर के अनुसार, जर्मनी की गठबंधन सरकार में शामिल सभी दल कैसे भी प्रदर्शनों के दौरान हमास के झंडे के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाए जाने की बात पर सहमत हो गए हैं। बता दें कि हमास फिलस्तीन का मजहबी उन्मादी संगठन है। हमास को अमेरिका सहित अनेक देशों ने आतंकवादी संगठनों की सूची में रखा है।
इस संगठन के झंडे पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव सबसे पहले चांसलर एंजला मार्केल की पार्टी क्रिश्चन डेमोक्रेटिक यूनियन यानी सीडीयू की ओर से रखा गया था। सीडीयू और उसकी बावेरियाई सहयोगी पार्टी क्रिश्चन सोशल यूनियन का साफ मानना है कि हमास के झंडे आतंकी संगठन के झंडे हैं। पार्टी के संसदीय उपप्रवक्ता थॉर्स्टन फ्राई ने कहा है, "हम नहीं चाहते कि आतंकी संगठनों के झंडे जर्मनी की जमीन पर लहराए जाएं।”
सीडीयू के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल वामपंथी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) ने पहले तो हमास के झंडे पर प्रतिबंध को लेकर कुछ कानूनी चिंताएं सामने रखी थीं। पर बाद में उस पार्टी ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया है। फ्राई ने 'वेल्ट अम जोनटाग' को बताया, "मुझे खुशी है कि एसपीडी ने हमारी सोच का समर्थन किया है। हम यह इसलिए कर रहे हैं ताकि अपने यहूदी नागरिकों को एक साफ संदेश दें।''
उल्लेखनीय है कि सितंबर, 2021 में होने वाले चुनावों में सीडीयू की ओर से चांसलर पद के उम्मीदवार आर्मिन लाशेट ने गत माह हमास के झंडे पर पाबंदी लगाने की मांग की थी। इस्राएल और हमास के बीच मई 2021 में गाजा में संघर्ष हुआ था। 11 दिन की लड़ाई के बाद संघर्ष विराम हुआ। इस लड़ाई में लगभग 250 फिलिस्तीनियों की मौत हुई थी। बताते हैं उनमें बड़ी तादाद में बच्चे और महिलाएं भी थीं। इस संघर्ष में 13 इस्राएली नागरिक भी मारे गए थे। युद्ध विराम समझौता मिस्र की मध्यस्थता पर हुआ था। उस दौरान दुनिया के कई देशों में यहूदी विरोधी प्रदर्शन हुए थे। जर्मनी में हुए फिलस्तीन समर्थक ऐसे प्रदर्शनों के दौरान सिनोगॉग पर हमले किए गए थे, इस्राएल के झंडे जलाए गए थे और यहूदी विरोधी नारे लगाए गए थे।
इस्राएल को समर्थन व्यक्त करने वाले ऐसे काम जर्मनी में पहले भी हुए हैं। मध्य-पूर्व एशिया के लोगों के इस्राएल विरोधी गुटों के खिलाफ भी ऐसी कार्रवाई की गई थी। अप्रैल 2020 में जर्मनी के गृह मंत्री ने लेबनान के संगठन हिजबुल्ला पर पाबंदी लगाने का और उसे आतंकवादी गुटों की सूची में जोड़ने की घोषणा की थी। इस कदम के बाद हिजबुल्ला के लिए सार्वजनिक तौर पर समर्थन जताना और उसके झंडे लहराना गैरकानूनी हो गया था।
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