सामयिक
पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी वेंकटेश प्रसाद ने पिछले ढाई महीने में अपने ट्विटर हैंडल से भारतीयता को समर्पित ट्वीट से लोगों का दिल जीत लिया है
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सदस्य, सुप्रसिद्ध गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद की आज सर्वत्र प्रशंसा हो रही है। 1996 से 2001 तक भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी गेंदबाजी से सबको प्रभावित करने वाले प्रसाद हिन्दू धर्म और संस्कृति के अनन्य उपासक हैं, यह बात अब जगजाहिर हो चुकी है। अभी अप्रैल में ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर पर अपनी पारी शुरू करने वाले इस भारत भक्त ने एक के बाद एक, ऐसे ट्वीट किए हैं जिनसे उनकी प्रखर राष्ट्रभक्ति और संस्कृति साधक की छवि दोनों, अनूठे तालमेल के साथ उभर कर आई हैं। हिन्दू धर्म और भारत के प्रति दुर्भावना रखने वाले तत्वों को उन्होंने न सिर्फ अपने हैंडल के जरिए करारा जवाब दिया है बल्कि ऐसे लोगों को अचरज में डाल दिया है जो सोचते थे कि एक क्रिकेटर इतना ज्ञान कहां रखता होगा। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से वेंकटेश ने अनेक विषयों पर अपनी विशद जानकारी गुजरे ढाई महीनों के दौरान सबके सामने रखी है।
ट्विटर हैंडल के जरिए, वेंकटेश ने अभी 21 जून के दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर भगवान सूर्य की आराधना के साथ सूर्य नमस्कार करते हुए अपना वीडियो सभी चाहने वालों के साथ साझा किया। उन्होंने लिखा,''भगवान सूर्य के प्रति गतिमय श्रद्धा-सूर्य नमस्कार। इसे करते हुए अपनी श्वासों पर ध्यान दें। ये बहुत गर्व की बात है कि योग के लिए एक दिन समर्पित किया गया है हालांकि हर दिन ही #InternationalDayOfYoga है।
इसी तरह गंगा दशहरा पर भी गंगा के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए वेंकटेश ने ट्वीट किया था-''ज्येष्ठ मास में दशमी के दिन देवी गंगा धरती पर अवतरित हुईं, भगीरथ के पुत्रों की आत्माओं को एक श्राप से मुक्त करने के लिए। गंगा मैया हम सभी को दुखों से मुक्त करके प्रेम और आनंद का आशीर्वाद दें। गंगा दशहरा की शुभकामनाएं।''
इससे पहले 2 जून को वेंकटेश ने श्रीराम स्तुति का सस्वर गान करते हुए वीडियो साझा किया था। और 9 मई को मातृ दिवस के अवसर पर तो उन्होंने स्कंद पुराण से एक सूक्त साझा किया
नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमा प्रपा॥
इस सूत्र के साथ उनका संदेश था-मां जैसी कोई छाया नहीं होती, न मां जैसी पनाह होती है, मां जैसी सुरक्षा और कहीं नहीं होती, और न कहीं से हर चीज की सतत प्राप्ति होती है।
हनुमान जयंति पर, 27 अप्रैल को वेंकटेश का खुलकर यह कहना लोगों को बहुत भाया कि उनके जीवन में एक विशेष स्थान रखती है हनुमान चालीसा। उन्होंने ट्वीट किया था—''नमस्कार। आप सबको #HanumanJanmotsav की शुभकामनाएं। हनुमान चालीसा मेरे दैनिक जीवन का एक अहम हिस्सा और ऐसी चीज है जिसने मुझे गजब की शक्ति प्रदान की है। प्रार्थना करता हूं कि भगवान हनुमान की कृपा से हम अपने देश की प्रगति की राह में आने वाली बाधाओं को पार करने में सफल हुए हैं।''
21 अप्रैल को राम नवमी पर शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने ट्वीट किया—''इस #RamNavami श्रीराम आप सबको अपनी कृपा प्रदान करें। आप और आपको परिवार को इस शुभ दिवस की शुभकामनाएं। भगवान राम की कृपा से आप सबके दुख दूर हों, और प्रेम व आनंद सरसे।''
भगवतगीता पर ट्वीट करते हुए 19 अप्रैल को वेंकटेश ने लिखा-भगवतगीता एक अनूठा ग्रंथ है जिसका ज्ञान हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए और भगवतगीता से मुझे बड़ी प्रेरणा मिलती है। अध्याय 3 से 35वां श्लोक साझा करना चाहता हूं-
श्रेयान्स्वधर्मो विगुण: परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।
स्वधर्मे निधनं श्रेय: परधर्मो भयावह:।।
हरे कृष्ण।''
पंथनिरपेक्षता बनाम छद्म सेकुलर
देश भर से वेंकटेश की प्रशंसा में अनेक लोगों ने उनके ट्वीट्स पर अपने विचार साझा करते हुए उनको युवाओं की प्रेरणा बताया है। यह सच है कि आज के दौर में सेकुलर दिखने के लिए अनेक नामी लोग हिन्दू होने के बावजूद हिन्दुत्व के प्रति बोलने में 'अपराधबोध' से ग्रस्त दिखते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वे अन्य मत-पंथों के पर्वों की तो खुलकर बधाइयां बांटते हैं, लेकिन हिन्दू पर्वों पर दुबक जाते हैं। हिन्दू विषयों पर चुप्पी मार जाते हैं, लेकिन दूसरे मतों के विषयों पर सगर्व अपना 'ज्ञान' बघारते हैं। गाय के प्रति प्रेम पर बोलने से कन्नी काट जाते हैं। भारत के क्रिकेट खिलाड़ियोंं की ही बात करें तो, एक तरफ हरभजन सिंह जैसे खिलाड़ी हैं जो 6 जून को खालिस्तानी आतंकवादी भिंडरावाले की बरसी पर उसको 'शहीद' बताते हुए, उनके आगे सिर झुकाते नहीं शर्माते, तो दूसरी तरफ कन्नड़भाषी वेंकटेश जैसे खिलाड़ी हैं जो अन्य मत-पथों के प्रति समादर रखते हुए, अपने प्रशंसकों के बीच सकारात्मक विचार साझा करते हैं, गर्व से हिन्दू पर्वों की शुभकामनाएं देते हैं। अपनी हिन्दू परंपराओं और संस्कृति को शिरोधार्य करने में जिन्हें शर्म नहीं आती और खुलकर कहते हैं कि हनुमान चालीसा पाठ से उन्हें शक्ति मिलती है।
ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार को दिया करारा जवाब
भारत और न्यूजीलैंड के बीच टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल मैच से पहले ऑस्ट्रेलिया के खेल पत्रकार सी.जे. वर्लमैन ने भारत को हारते हुए देखने की दुआ मांगी। इसलिए, क्योंकि 'भारत की हार से हिंदू दुखी होंगे'। उस ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार ने क्रिकेट के मैदान में भी अपनी नफरती सांप्रदायिक सोच फैलानी चाही। लेकिन अफसोस कि ट्विटर ने ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार के उस घृणा फैलाने वाला ट्वीट पर कोई कार्रवाई नहीं की।
लेकिन पूर्व भारतीय गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद ने इस पत्रकार को करारा जवाब दिया। वर्लमैन ने अपने ट्वीट में लिखा, 'मैं चाहता हूं आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल मैच न्यूजीलैंड जीते। इसलिए, क्योंकि मैं भारत के 50 करोड़ हिंदुओं को एक सेकेंड के लिए भी खुश नहीं देखना चाहता। हिंदुओं के खुश होने पर मुझे परेशानी होती है।'
प्रसाद ने 13 जून को ट्वीट कर वर्लमैन को जवाब देते हुए लिखा, 'कोई भी जीते, ठीक है। लेकिन इस आदमी की सोच कितनी घटिया और तुच्छ है। असल में इस आदमी को एक प्लेटफॉर्म मिला हुआ है, जहां ये लिख सकता है, लेकिन इस आदमी की सोच कितनी गंदी है।'
वेंकटेश ने गाई श्रीराम स्तुति, लाखों लोगों ने किया वीडियो पसंद
क्रिकेटर वेंकटेश प्रसाद का हाल में एक नया रूप सामने आया। उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी श्रीराम स्तुति गाई और उसका अर्थ बताया। इसका उन्होंने एक वीडियो साझा किया जिसे करीब डेढ़ लाख से अधिक लोगों ने देखा है।
दो मिनट से अधिक के इस वीडियाे को देखने के बाद लोगों को उनका यह अंदाज बहुत पसंद आ रहा है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, "श्रीराम स्तुति 16वीं शताब्दी में गोस्वामी तुलसीदास की लिखी एक आरती है। यह भगवान राम का एक सुंदर आह्वान है। मैंने कुछ श्लोकों को अर्थ के साथ समझाने की कोशिश की है।’ इसके बाद उन्होंने दो श्लोक गाकर सुनाए, फिर उनका अर्थ बताया। उन्होंने कहा कि, लता मंगेशकर ने इसे बहुत अच्छा गाया है। उन्होंने पहले गाया, 'श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन, हरण भवभय दारुणं, नव कंज लोचन कंज मुख, कर कंज पद कंजारुणं'। इसका अर्थ बताया, "हे मेरे मन कृपा करने वाले भगवान राम को याद कर, जो सभी दुखों को दूर करते हैं। जिनकी आंखें नए खिले कमल के समान हैं। उनका मुख, हाथ और पैर भी कमल की तरह गुलाबी हैं।''
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