नेपाल को 'लाल राह' पर बढ़ाने में जुटे चीन ने उससे वैक्सीन का गुप्त समझौता किया, लगभग 740 रुपए प्रति खुराक की कीमत का राज हुआ सार्वजनिक
मीडिया में लीक हुई जानकारी के मुताबिक, चीन अब नेपाल के खजाने पर हाथ साफ करने की तैयारी में है। पता चला है कि वह महंगी कीमत पर नेपाल को कोरोना वायरस की वैक्सीन बेचने जा रहा है। वैक्सीन पर हुई बातचीत का ब्यौरा नेपाल के कुछ मीडिया समूहों ने लीक किया है। इसके अनुसार, चीन की सिनोफार्फ वैक्सीन को लेकर दोनों देशों के बीच जो बात हुई है उसमें एक वैक्सीन की कीमत 10 डॉलर यानी 741.44 भारतीय रुपए तय हुई है। नेपाल चीन से खुराक के हिसाब से वैक्सीन खरीदेगा। लेकिन इसके साथ ही, खबर यह भी है कि जानकारी लीक होने को लेकर चीन नेपाल से गुस्सा हो गया है।
नेपाल—चीन में गुप्त समझौते में है कि 'नेपाल को चीन से वैक्सीन की 40 लाख खुराक खरीदनी हैं। वैक्सीन की कीमत साथ-साथ उसके नेपाल पहुंचने की तारीख भी सबसे छुपाकर रखी जानी है।' नेपाल के दैनिक ‘द काठमांडू पोस्ट’ के अनुसार, चीन ने नेपाल से अपनी नाराजगी साफ जाहिर भी कर दी है। काठमांडू में स्थित चीनी दूतावास ने भी इस समझौते की बारीकियों के बारे में नेपाल की 'याद्दाश्त दुरुस्त की है'। याद दिलाया है कि समझौते को राज रखना है।
वैक्सीन का ब्यौरा लीक होने के बाद, नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि जिस तरह मीडिया ने वैक्सीन के मूल्य और अन्य जानकारियों को सार्वजनिक किया, उसके बाद लगता नहीं कि चीन से नेपाल को और वैक्सीन मिल पाएंगी। यह बहुत संवेदनशील मामला है। उल्लेखनीय है कि नेपाल को चीन से कोरोना वैक्सीन की 18 लाख खुराक मिल चुकी हैं। पता यह भी चला है कि नेपाल चीन के अलावा दूसरे देशों से भी वैक्सीन लेने की योजना बना रहा है।
वैक्सीन की कीमत, मात्रा और देने की तिथि सहित तमाम जानकारियों से जुड़ी मीडिया रपटों खंडन किया है नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने। उसने इसे 'अफवाह' बताया है। नेपाल ने यहां तक कहा है कि ये करार अभी तय नहीं हुआ है। दिलचस्प बात है कि जिस खबर को नेपाल का स्वास्थ्य मंत्रालय अफवाह बता रहा है उसमें नेपाल के दो मंत्रियों तथा दो सरकारी सचिवों के बयान के बाद वैक्सीन की कीमत का ब्यौरा प्रकाशित हुआ था।
नेपाली मीडिया ने यह भी लिखा है, भारत ने कोरोना वैक्सीन को देश से बाहर भेजे जाने पर अब रोक लगा दी है, इसीलिए उसके आसरे रहे नेपाल को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। देश के प्रधानमंत्री ओली और स्वास्थ्य मंत्री खुद चीन से वैक्सीन खरीदने के बारे में बयान दे चुके हैं। लेकिन मंत्रालय खंडन कर रहा है तो यह गलत ही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के खंडन की सर्वत्र आलोचना भी हो रही है।
एक और बात सुनने में आ रही है। नेपाल के कुछ राजनीतिक जानकार यह कह रहे हैं कि चीन यूं तो नेपाल से बड़ी दोस्ती जताता है, यहां की राजनीति पर प्रभाव जमाता है, परियोजनाओं में पैसा लगाता है, भारत से दूरियां बढ़ाने को 'हमदर्द' के नाते सलाह देता है, लेकिन कोरोना से इस देश के लोगों को निजात दिलाने वाली वैक्सीन इतने ज्यादा दाम पर क्यों बेच रहा है!
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