गलवन घाटी में भारतीय सैनिकों के अदृभुत शौर्य और पराक्रम को भला कौन भूल सकता है। एक साल पहले जिन वीर सैनिकों ने गलवान घाटी में चीनी आक्रामकता का सामना करते हुए एक साल पहले अपने प्राण न्यौछावर किए, उन सभी 20 जवानों की बहादुरी की प्रशंसा थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की।
गलवन घाटी में भारतीय सैनिकों के अदृभुत शौर्य और पराक्रम को भला कौन भूल सकता है। एक साल पहले जिन वीर सैनिकों ने गलवान घाटी में चीनी आक्रामकता का सामना करते हुए एक साल पहले अपने प्राण न्यौछावर किए, उन सभी 20 जवानों की बहादुरी की प्रशंसा थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की।
पहली बरसी पर उन्होंने कहा कि ‘‘सबसे कठिन’’ इलाके में दुश्मन से लड़ते हुए दिया गया यह सर्वोच्च बलिदान राष्ट्र की स्मृति में ‘‘सदैव अंकित’’ रहेगा। सेना ने ट्वीट किया, ‘‘जनरल एमएम नरवणे और भारतीय सेना के सभी रैंक के अधिकारी देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करते हुए लद्दाख की गलवान घाटी में सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुरों को श्रद्धांजलि देते हैं। उनकी वीरता राष्ट्र की स्मृति में ‘‘सदैव अंकित’’ रहेगी।’’
गौरतलब है कि गलवान घाटी में 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ हुई भीषण झड़प में 20 भारतीय सैनिक बलिदान हो गए थे। सेना की लेह स्थित 14 कोर ने भी हिंसक झड़पों की पहली बरसी पर ‘‘गलवान में बलिदान हुए बहादुरों’’ को श्रद्धांजलि दी। इस कोर को ‘फायर एंड फ्यूरी कोर’ के नाम से जाना जाता है। सेना ने कहा, ‘‘20 भारतीय सैनिकों ने अप्रत्याशित चीनी आक्रमण का सामना करते हुए हमारी भूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए और पीएलए (जनमुक्ति सेना) को भारी नुकसान पहुंचाया।’’ साथ ही कहा, ‘‘देश उन वीर सैनिकों का हमेशा आभारी रहेगा, जिन्होंने अत्यधिक ऊंचाई वाले सबसे कठिन इलाकों में लड़ाई लड़ी और राष्ट्र की सेवा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।’’
फायर एंड फ्यूरी कोर के कार्यवाहक जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल आकाश कौशिक ने प्रतिष्ठित लेह युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण करके बलिदानी नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। बता दें कि लद्दाख क्षेत्र में चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की सुरक्षा की जिम्मेदारी 14 कोर की है।
टिप्पणियाँ