योग और आयुर्वेद को हीन मानने वाले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. जे.ए. जयालाल को दिल्ली उच्च न्यायालय से नहीं मिली कोई राहत। न्यायालय ने कहा कि 16 जून को दूसरे पक्ष की बात सुनने के बाद ही वह कोई निर्णय देगा
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. जे.ए. जयालाल को दिल्ली उच्च न्यायालय से निराशा हाथ लगी है। बता दें कि डॉ. जयालाल ने उच्च न्यायालय में द्वारका जिला न्यायालय की उस टिप्पणी को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि वे आईएमए जैसी संस्था का प्रयोग किसी मत या मजहब के प्रचार के मंच के तौर पर न करें। यह भी कहा था कि आईएमए जैसे संगठन के मुखिया से किसी भी मत—पंथ के प्रति तुच्छ विचार रखने की अपेक्षा नहीं की जाती है। इसके बाद डॉ. जयालाल ने अदालत को आश्वासन दिया था कि वे भविष्य में इस तरह की गतिविधियों में भाग नहीं लेंगे। इसके बावजूद वे निचली अदालत की टिप्पणी को हटवाने के लिए उच्च न्यायालय पहुंचे थे।
उल्लेखनीय है कि रोहित झा नामक एक व्यक्ति ने द्वारका जिला न्यायालय में डॉ. जयालाल के विरुद्ध एक मामला दायर किया गया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि वे कोरोना के उपचार में आयुर्वेद की अपेक्षा एलोपैथ को सबसे अच्छा सिद्ध करने की आड़ में ईसाई पंथ का प्रचार करते हैं और हिंदू संस्कृति के विरुद्ध अपमानजनक अभियान चलाने का काम करते हैं।
इसके बाद डॉ. जयालाल दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचे थे और उन्होंने अदालत से उपरोक्त टिप्पणी हटाने और निचली अदालत के निर्णय पर रोक लगाने की मांग की थी।
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