तमिलनाडु के मंदिरों में गैर-ब्राह्मण पुजारियों की नियुक्ति की घोषणा के बाद राज्य के धर्मार्थ मामलों के मंत्री पी.के. शेखर बाबू ने अब मंदिरों में महिला पुजारियों की नियुक्ति की बात कही है। उन्होंने कहा है कि अगम शास्त्र (मंदिरों में पूजा और अनुष्ठान के लिए विधि-विधान) में प्रशिक्षित महिलाओं को मंदिर का पुजारी बनाया जा सकता है।
हालांकि शेखर बाबू ने कहा कि सरकार के स्तर पर इसे लेकर पहले कोई चर्चा नहीं हुई है, लेकिन वे इस पर विचार करेंगे। अगर अगम शास्त्र में प्रशिक्षित महिलाएं मंदिर में पुजारी बनना चाहती हैं तो उनके लिए सभी व्यवस्थाएं की जाएंगी। उन्होंने कहा कि अगर महिलाओं को अगम परंपरा में विशेषज्ञता हासिल है और वे मंदिर में पुजारी बनना चाहती हैं तो उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण दिया जा सकता है। इसके बाद साक्षात्कार में सफल रहीं तो उन्हें तमिलनाडु हिंदू रिलीजियस एंड चैरिटेबल इंडोमेंट डिपार्टमेंट (एचआर एंड सीई) के अधीन आने वाले मंदिरों में पुजारी बनाया जा सकता है। मंदिरों में तमिल में पूजा को लेकर अपने बयान पर शेखबर बाबू ने कहा कि एचआर एंड सीई विभाग के अधीन आने वाले 47 मंदिरों में तमिल अर्चना पहले से ही की जा रही है। मंत्री ने कहा, "इन 47 मंदिरों में जल्द ही बोर्ड लगाए जाएंगे कि इस मंदिर में तमिल अर्चना की जाती है। सभी हिंदू पुजारी बन सकते हैं।"
2008 में मद्रास उच्च न्यायालय ने एक महिला पुजारी पिन्नियाक्कल की याचिका पर उसे मंदिर में पूजा करने की अनुमति दी थी। उसके पिता पिन्नियाथेवर मदुरै के एक गांव अरुलमिगु दुर्गाई अम्मन कोविल में पुजारी थे। हालांकि उसके पिता की मृत्यु 2006 में हुई थी, लेकिन पिता के बीमार होने के कारण वह 2004 से ही मंदिर में पूजा और अन्य अनुष्ठान कर रही थी। लेकिन पिता की मौत के बाद एक व्यक्ति की आपत्ति के बाद ग्रामीणों ने उसे पुजारी के तौर पर मंदिर में पूजा-अनुष्ठान करने से रोक दिया। पिन्नियाक्कल का दावा था कि वह वंशानुगत पुजारी है। उसकी याचिका पर विचार करने के बाद अदालत ने पाया कि न तो ऐसा कोई कानून है और न ही कोई योजना जो महिला को मंदिर में पूजा करने से रोकती है।
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