जी-7 देशों ने तैयार किया चीनी घेराबंदी का कार्यक्रम
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

जी-7 देशों ने तैयार किया चीनी घेराबंदी का कार्यक्रम

by WEB DESK
Jun 14, 2021, 01:43 pm IST
in विश्व, दिल्ली
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

प्रमोद जोशी

  जी-7 देशों की बैठक में सदस्य देशों ने चीन की घेरेबंदी की। साथ ही कोरोना वैक्सीन को पेटेंट मुक्त करने की भारत की मांग को व्यापक समर्थन मिला। इस बैठक में एक बार फिर कोरोना वायरस की उत्पत्ति के स्रोत की जांच की बात दोहराई गई और चीन को मानवाधिकार हनन पर आगाह भी किया गया। सदस्य देशों ने चीन की आर्थिक चुनौती का भी मिलकर मुकाबला करने की रणनीति बनाई।

    रविवार को ब्रिटेन में सम्पन्न हुई जी-7 देशों की बैठक के एजेंडा में आधिकारिक रूप से तीन प्रमुख विषय थे – कोरोना, वैश्विक जलवायु और चीन। पर राजनीतिक दृष्टि से इस सम्मेलन का महत्व चीन के बरक्स दुनिया के लोकतांत्रिक देशों की रणनीति से जुड़ा था। इस सम्मेलन को लेकर चीन की जैसी प्रतिक्रिया आई है, उससे भी यह बात स्पष्ट है। इंग्लैंड के कॉर्नवाल में हुए सम्मेलन के दौरान चीन में जारी मानवाधिकार हनन का मुद्दा भी उठा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस मंच पर इस बात को दोहराया कि यह आशंका अभी खत्म नहीं हुई है कि दुनिया में कोरोना-संक्रमण चीनी-प्रयोगशाला से फैला हो। इस बैठक में वायरस की उत्पत्ति की निष्पक्ष जांच को लेकर मांग उठी।

    कोरोना वायरस
    जो बाइडेन ने कहा कि चीन ने वैज्ञानिकों को अपनी प्रयोगशालाओं तक जाने की इजाजत नहीं दी, जो कोरोना के स्रोत के बारे में अध्ययन के लिए जरूरी था। हालांकि मैं किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा हूँ, पर हमारी खुफिया एजेंसियां इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि वायरस चमगादड़ से फैला या प्रयोगशाला में बनाया गया। इस सवाल का जवाब ढूंढ़ना जरूरी है। बाइडेन ने यह भी कहा कि कोरोना महामारी के बाद की दुनिया में लोकतांत्रिक देशों और तानाशाही व्यवस्था वाले देशों के बीच टकराव साफ हुआ है।

    हालांकि अमेरिका का इशारा चीन और रूस दोनों की ओर है, पर संकेत मिल रहे हैं कि बाइडेन रूस के साथ सम्पर्क बढ़ा रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि चीन अलग-थलग हो जाए। इस सम्मेलन के बाद उनकी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ भी बातचीत होने वाली है। यह वार्ता काफी महत्वपूर्ण होगी।

    जी-7 समूह में अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान और इटली शामिल हैं। ये सभी सदस्य देश बारी-बारी से सालाना शिखर सम्मेलन का आयोजन करते हैं। सम्मेलनों में यूरोपियन काउंसिल और यूरोपियन कमीशन के अध्यक्ष विशेष अतिथि के रूप में शामिल होते हैं।

    बीआरआई का जवाब बी3डब्लू
    बैठक में शामिल नेताओं ने कहा कि हम चीनी आर्थिक-चुनौती का जवाब देने के लिए मिलकर काम करेंगे। जो बाइडेन चीन से प्रतिस्पर्धा के लिए लोकतांत्रिक देशों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं, पर जर्मनी और इटली जैसे देश अभी पूरी तरह मुतमइन नहीं लगते हैं। अलबत्ता जी-7 देशों ने चीन के बेल्ट एंड रोड (बीआरआई) कार्यक्रम के जवाब में 'बिल्ड बैक बैटर वर्ल्ड' (बी3डब्ल्यू) योजना तैयार की है। इसका उद्देश्य विकासशील देशों में बुनियादी ढांचा तैयार करना है। करीब 40 ट्रिलियन डॉलर का यह कार्यक्रम चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनीशिएटिव(बीआरआई) का विकल्प होगा।

    चीन को टक्कर देने की चाहत रखने वाले जी-7 नेताओं ने निम्न और मध्यम आय वाले देशों का समर्थन करने की योजना अपनाई है जिसके तहत जी-7 देश इन्हें बेहतर बुनियादी ढाँचा खड़ा करने में मदद करेंगे। इस बारे में अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है कि इस योजना के तहत पूँजी की व्यवस्था कैसे होगी। जर्मन चांसलर अंगेला मर्केल ने कहा कि जी-7 की यह योजना अभी उस स्तर पर नहीं पहुंची है, जब पूंजी के बारे में जानकारी सार्वजनिक की जा सके।

    चीन ने सन 2013 में यह कार्यक्रम शुरू किया था। इसका उद्देश्य चीनी भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना है। इसके तहत वह करीब 70 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं के लिए पैसा देकर अपनी आर्थिक शक्ति और राजनीतिक प्रभाव का विस्तार कर रहा है। इसके सहारे उसकी अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिलता है, क्योंकि इन परियोजनाओं में ज्यादातर निर्माण-सामग्री, तकनीकी सलाह और विशेषज्ञ चीनी होते हैं।

    मानवाधिकार हनन
    कॉर्नवाल सम्मेलन में चीन के शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकार-हनन का मुद्दा भी उठा। सभी नेताओं ने चीन से मानवाधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया। चीन के संदर्भ में जी-7 देशों ने एक संयुक्त घोषणापत्र पर भी हस्ताक्षर किए। इस घोषणा पर भारत और चार अतिथि देशों के हस्ताक्षर नहीं हैं। हालांकि भारत जी-7 समूह का सदस्य नहीं है, पर इस सम्मेलन में ब्रिटेन ने भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और दक्षिण कोरिया को विशेष निमंत्रण देकर बुलाया था। यों भी भविष्य में जी-7 के स्थान पर डी-11 के गठन का प्रस्ताव है। इसमें डी का अर्थ है डेमोक्रेटिक (लोकतांत्रिक) देश। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इसे डेमोक्रेसीस-11 बताया है।

    भारत ने इस सम्मेलन में जी-7 तथा अतिथि देशों की ओर से ‘खुले समाज’ से जुड़े एक संयुक्त घोषणापत्र पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इस घोषणापत्र में ऑनलाइन और ऑफलाइन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने की बातें हैं, ताकि लोग भय और शोषण-मुक्त माहौल में रह सकें। इस घोषणापत्र में इन स्वतंत्रताओं में इंटरनेट की भूमिका को खासतौर से रेखांकित किया गया है।

    भारतीय भूमिका
    इस विषय पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लोकतंत्र और वैचारिक स्वतंत्रता की रक्षा के साथ भारत की सभ्यतागत प्रतिबद्धता है। भारत ने इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, पर भारतीय सूत्रों के अनुसार इसे लेकर भारत के अपने सुझाव भी हैं। मई के महीने में जी-7 विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में भारत के विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि वैचारिक स्वतंत्रता की रक्षा के साथ-साथ इस स्वतंत्रता के दुरुपयोग, खासतौर से फ़ेक न्यूज़ और डिजिटल छेड़छाड़ के खतरों से बचने की जरूरत भी होगी।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सम्मेलन के दो सत्रों को संबोधित किया। उन्होंने ‘जलवायु परिवर्तन और खुला समाज’ सत्र में अपनी बातें रखीं। उन्होंने कहा कि अधिनायकवाद, आतंकवाद और हिंसक अतिवाद से उत्पन्न खतरों से साझा मूल्यों की रक्षा के लिए जी-7 का स्वाभाविक सहयोगी भारत है। भविष्य में प्रस्तावित डी-11 का उद्देश्य विश्व में नियम-आधारित व्यवस्था की स्थापना और वैश्विक-विकास की साझा रणनीति बनाना है। वैश्विक-स्वास्थ्य व्यवस्था, टीकों तक पहुंच और जलवायु-संरक्षण जैसे प्रमुख मुद्दों पर जी-7 के साथ भारत गहराई से जुड़ा है।

    ब्रिटेन के इस सम्मेलन में जी-7 देशों ने गरीब देशों के लिए 100 करोड़ कोरोना-वैक्सीन उपलब्ध कराने की घोषणा भी की है। इस दौरान भारत ने दक्षिण अफ्रीका के साथ मिलकर कोरोना की वैक्सीन को पेटेंट-मुक्त कराने के लिए विश्व-व्यापार संगठन में एक पहल शुरू की है। जी-7 शिखर सम्मेलन के विचार-विमर्श में इस पहल को भी समर्थन मिला है। प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को भी जी इस सम्मेलन को संबोधित किया था। इसमें उन्होंने जी-7 देशों को 'वन अर्थ, वन हेल्थ' का मंत्र दिया। उनके इस संदेश का जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने समर्थन किया और मोदी की तारीफ की।

    बैठक के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपतिइ मैनुएल मैक्रों ने भारत समेत दूसरे देशों को वैक्सीन के कच्चे माल की आपूर्ति में छूट देने की मांग की। उन्होंने कच्चे माल से बैन हटाने की मांग की और कहा कि वैक्सीन बनाने वाले देशों को इसके लिए कच्चा माल मिलना चाहिए। बैठक में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने वैक्सीन पर भारत को रियायत देने का समर्थन किया। साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि वैक्सीन के मुद्दे पर वे भारत की मदद करेंगे।

    चीनी प्रतिक्रिया
    कॉर्नवाल सम्मेलन में हुई बातों और प्रस्तावों से चीन बुरी तरह बिलबिला उठा है। चीन ने जी-7 देशों के नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे दिन लद गए जब मुठ्ठी भर मुल्क दुनिया की किस्मत का फ़ैसला किया करते थे। लंदन में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, हमने हमेशा इस बात पर यकीन किया है कि कोई भी देश चाहे वह बड़ा हो या छोटा, मजबूत हो या कमज़ोर, ग़रीब हो या अमीर, सब बराबर हैं और वैश्विक मामले सभी देशों से विचार-विमर्श के बाद ही निपटाए जाने चाहिए।

 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

­जमालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

­जमालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

पंजाब में ISI-रिंदा की आतंकी साजिश नाकाम, बॉर्डर से दो AK-47 राइफलें व ग्रेनेड बरामद

बस्तर में पहली बार इतनी संख्या में लोगों ने घर वापसी की है।

जानिए क्यों है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुरु ‘भगवा ध्वज’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies