सुदेश गौड़
बांग्लादेश से सटे पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल जिले में मालदा में घुसपैठ करने एक चीन नागरिक पकड़ा गया जिसने पिछले दो वर्षों में 1300 भारतीय सिम चोरी-छुपे चीन भिजवाए हैं। इससे सुरक्षा बलों की नींद उड़ गई है और बंगाल गलियारा उनकी चिंता का कारण बन गया है।
आम के लिए मशहूर और उत्तरी बंगाल का द्वार माने जाने वाले मालदा जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा घुसपैठियों और बगैर दस्तावेजों के भारत में प्रवेश करने के इच्छुक लोगों के लिए काफी मुफीद जगह है। 2011 के जनसांख्यकीय आंकड़ों के अनुसार इस सीमावर्ती जिले की आबादी में 51.27% मुस्लिम और 47.99% हिन्दू हैं। अब तक तो यह अंतर और बढ़ ही गया होगा। इसी सीमा से घुसपैठ करते हुए बीएसएफ द्वारा गिरफ्तार संदिग्ध चीनी नागरिक से पूछताछ में मिली बेहद चौंकाने वाली जानकारियों ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। बीएसएफ के अनुसार गिरफ्तार घुसपैठिये ने पूछताछ के दौरान कुबूला है कि पिछले दो सालों में फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल करके लगभग 1,300 भारतीय सिम चीन भेजे जा चुके हैं। जाहिर है ये सिम रिश्तेदारों के हालचाल पूछने के लिए नहीं ले जाए गए होंगे। साइबर क्राइम विशेषज्ञों के मुताबिक चीन से इनका इस्तेमाल कर किसी भी अकाउंट को आसानी से हैक कर के डेटा व पैसा उड़ाया जा सकता है और यही कारण है सुरक्षा एजेंसियों की चिंता का भी।
बंगाल विदेशी अपराधों का अड्डा बना
भारत सरकार के लिए चीन द्वारा बंगाल के गलियारे के प्रयोग किए जाने से भी चिंताएं बढ़ रही हैं। बंगाल में ममता सरकार का अल्पसंख्यकों, बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं के प्रति जो झुकाव लगातार दिख रहा है, वह भविष्य के लिए घातक हो सकता है। नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (NCRB) ने हाल ही में 2017 के जो आंकड़े जारी किए हैं, वे भी चिंता पैदा करने के लिए पर्याप्त हैं। 2017 में देश में विदेशियों द्वारा किए गए 2061 अपराध दर्ज हुए, उनमें आधे से ज्यादा 1098 अपराध सिर्फ बंगाल में दर्ज हुए हैं। इसी दौरान देश में विदेशियों द्वारा Foreigners Act 1946 & Registration of Foreigners Act 1939 के तहत देश में 1278 अपराध दर्ज हुए, उनमें 80% से ज्यादा 1034 अपराध सिर्फ बंगाल में दर्ज हुए हैं। ये आंकड़े स्पष्ट तौर पर चुगली करते हैं कि बंगाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा स्थानीय समर्थन के चलते घुसपैठ करने के लिए सबसे मुफीद है। स्थानीय समर्थन के पीछे सबसे बड़ा कारण राजनीतिक ही होता है, जो बंगाल में साफ तौर पर दिखता भी है।
लखनऊ से मिला था सिरा
बीएसएफ अधिकारियों के मुताबिक सिम कांड के आरोपी की पहचान हुबेई निवासी हान जुनवेई (36) के रूप में हुई है। बीएसएफ ने खुलासा किया कि उसके कथित बिजनेस पार्टनर सुन जियांग को उप्र एटीएस ने कुछ समय पहले गिरफ्तार किया था। प्रारंभिक पूछताछ के बाद बीएसएफ ने जुनवेई को जब्त सामानों के साथ स्थानीय पुलिस को सौंप दिया है। जियांग ने ही एटीएस के समक्ष जुनवेई और उसकी पत्नी की अवैध गतिविधियों व उन्हें भारतीय सिम भेजे जाने के संबंध में खुलासा किया था। इसके बाद एटीएस ने जुनवेई और उनकी पत्नी के खिलाफ लखनऊ में मामला दर्ज किया था, जिस वजह से उन्हें भारतीय वीजा नहीं मिला। उसके खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी थी। शातिर जालसाज दिमाग का इस्तेमाल करते हुए जुनवेई ने नेपाल और बांग्लादेश से वीजा लिया और भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने की योजना बनायी थी पर बीएसएफ की सतर्कता ने उसकी योजना पर पानी फेर दिया और वह पकड़ा गया। जांच में उसके बाद कोई वैध दस्तावेज भी नहीं पाया गया।इस संबंध में जांच के लिए यूपी एटीएस की टीम भी मालदा पहुंच चुकी है और उससे पूछताछ करेगी।
यूं छिपाकर चीन ले जाता था सिम
बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के प्रवक्ता व डीआइजी सुरजीत सिंह गुलेरिया ने बताया, 'जांच अभी जारी है। हान जुनवेई एक वांछित अपराधी है। वह 2010 से चार बार भारत आ चुका है। उससे पूछताछ में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। उसने खुलासा किया कि वह अपने एसोसिएट्स के जरिए भारतीय सिम को अंडर गारमेंट्स में छुपा कर चीन में भेजता था। इन सिम का इस्तेमाल अकाउंट हैक करने तथा अन्य गलत कार्य करने के लिए किया जाता था। सिम का इस्तेमाल कर लोगों से ठगी करना, उनका पैसा मनी ट्रांजैक्शन मशीन से निकालना इनका उद्देश्य था।'
कई संदिग्ध इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी मिले
बीएसएफ डीआइजी ने बताया कि हम ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या वह किसी खुफिया एजेंसी या किसी संगठन के लिए भी काम कर रहा था, जो भारत के खिलाफ काम करता है। अधिकारियों ने उसके पास से कई संदिग्ध इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जिसमें एक लैपटॉप, दो आईफोन, एक बांग्लादेशी सिम कार्ड, दो पेन ड्राइव समेत एटीएम कार्ड, अमेरिकी डॉलर के साथ कुछ बांग्लादेशी और भारतीय करेंसी भी जब्त की है। पूछताछ के दौरान उसने कहा कि वह गुरुग्राम में स्टार स्प्रिंग नाम से एक होटल का भी मालिक है। बीएसएफ अधिकारी उसके बयानों की सत्यता भी परख रहे हैं और दूसरी खुफिया एजेंसियों को भी सतर्क कर दिया गया है। हम मामले पर एक साथ काम कर रहे हैं। उसके लैपटॉप को स्कैन किया जा रहा है। बताते चलें कि चीनी नागरिक जब बांग्लादेश से भारतीय सीमा में दाखिल हो रहा था तो बीएसएफ जवानों ने जब उसे रुकने की चुनौती दी तो उसने भागने की भी कोशिश की। लेकिन बीएसएफ ने उसे दबोच लिया था।
साइबर आतंकवाद
सरकार विशेष के विरुद्ध साइबर अपराध को सबसे गंभीर साइबर अपराध माना जाता है। सरकार के खिलाफ किये गए ऐसे अपराध को साइबर आतंकवाद के रूप में भी जाना जाता है। पारंपरिक तौर-तरीकों के साथ ही चीन अब भारत के खिलाफ इसी रणनीति पर काम करता रहा है। इसके अंतर्गत सरकारी वेबसाइट या सैन्य वेबसाइट को हैक किया जाना शामिल है। जब सरकार के खिलाफ ऐसे साइबर अपराध किये जाते हैं, तो इसे उस राष्ट्र की संप्रभुता पर हमला और युद्ध की कार्रवाई माना जाता है। ऐसे अपराधी आमतौर पर आतंकवादी या अन्य शत्रु देशों की सरकारें होती हैं। इस प्रकार के साइबर अपराधों पर नियंत्रण के लिए प्रत्येक देश की सरकार द्वारा कठोर साइबर कानून बनाए गए हैं।
भारत में भी ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000’ पारित किया गया जिसके प्रावधानों के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता के प्रावधान सम्मिलित रूप से छिटपुट साइबर अपराधों से निपटने के लिए तो पर्याप्त हैं पर गंभीर मामलों से निपटने के लिए और कड़े कानून की जरूरत है।
सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013’ जारी की गई जिसके तहत सरकार ने अति-संवेदनशील सूचनाओं के संरक्षण के लिए ‘राष्ट्रीय अतिसंवेदनशील सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (National Critical Information Infrastructure protection centre-NCIIPC) का गठन किया। इसके अंतर्गत 2 वर्ष से लेकर उम्रकैद तथा दंड अथवा जु़र्माने का भी प्रावधान है। अंतर-एजेंसी समन्वय के लिए ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (Indian Cyber Crime Co-ordination Centre-I4C) की स्थापना की गई है।
भारत इंटरनेट का तीसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है और हाल के वर्षों में साइबर अपराध कई गुना बढ़ गए हैं। साइबर सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। कैशलेस अर्थव्यवस्था को अपनाने की दिशा में बढ़ने के कारण भारत में साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है। डिजिटल भारत कार्यक्रम की सफलता काफी हद तक साइबर सुरक्षा पर निर्भर करेगी, अतः भारत को इस क्षेत्र में तीव्र गति से कार्य करना होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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