गोपाल गोस्वामी
लक्षद्वीप सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। जिस पर चीन व पाकिस्तान दोनों की कुदृष्टि है.यहां की पूरी आबादी कट्टर सुन्नी इस्लाम की धारा से है, जिनके लिए राष्ट्र का कोई महत्व नहीं है। वे केवल इस्लामिक स्टेट में विश्वास रखते हैं। जो उनकी भारत के प्रति निष्ठा को समाप्त कर देती है.ऐसे में यहां कानून का राज स्थापित करना समय की मांग है और देश के लिए जरूरी
आजकल वामपंथी बुद्धिजीवी एवं पत्रकारों के निशाने पर हैं लक्षद्वीप के नव नियुक्त प्रशासक प्रफुल्ल पटेल जो दादरा नगर हवेली व दमन-दीव के भी प्रशासक हैं. प्रफुल्ल पटेल ने अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में दादरा नगर हवेली व दमन दीव का काया पलट दिया। इन केंद्र शासित प्रदेशों में विकास कार्यों ने एक नयी ऊंचाई देखी है. शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर पेयजल व सड़क मार्ग के कार्यों में गुणवत्ता एवं भ्रष्टाचार में अत्यधिक कमी आयी है. सरकारी विद्यालयों में शिक्षा हो या सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा दोनों की गुणवत्ता देखने योग्य है. पटेल ने दोनों केंद्र शासित प्रदेशों को एक कर सरकारी महकमे के खर्च में पचास प्रतिशत की कटौती की है, जो सराहनीय है. प्रजा के सिर से नौकरशाही का खर्च कम हुआ है. प्रफुल्ल पटेल ने गत पांच वर्षों में एक कुशल प्रशासक की छवि जनता से पायी है।
अब देखते हैं कि क्यों निशाने पर हैं एक कुशल प्रशासक जिसने भ्रष्टाचार उन्मूलन से लेकर नौकरशाही से काम लेने के नए कीर्तिमान स्थापित किये हैं.
प्रफुल्ल पटेल का कसूर यह है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुजरात कैबिनेट में गृह मंत्री थे और मोदी-शाह के अत्यंत निकट माने जाते हैं. कुछ माह पूर्व दादरा नगर हवेली के सांसद स्व मोहन डेलकर की मुंबई में हुई हत्या/आत्महत्या में प्रफुल्ल पटेल व अन्य 10 नौकरशाहों को फंसाने का कृत्य नाकाम हो जाने पर वामपंथी, कांग्रेसी पत्रकार एवं कथित बुद्धिजीवी वर्ग पटेल को फंसाने के अन्य उपाय सोच रहे थे कि उनकी नियुक्ति लक्षद्वीप में भी हो गयी व मुस्लिम बहुल इस केंद्र शासित प्रदेश में उनके द्वारा जनहित के कुछ निर्णयों को आधार बनाकर उन पर चौतरफा हमला बोल दिया गया. राहुल—प्रियंका से लेकर एनडीटीवी के रवीश कुमार, द प्रिंट के शेखर गुप्ता, बरखा दत्त, केरल का पीएफआई, मुस्लिम लीग, वामपंथी पार्टियां सभी ने लक्षद्वीप खतरे में है, को अक्सर सुने जाने वाले नारे इस्लाम खतरे में है की तरह सारे विश्व में दुष्प्रचार किया। पटेल ने जो सुधार लागू करने का प्रस्ताव किया है, उनमें कुछ भी नया नहीं है। भारत के लगभग सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में ये नियम कई दशकों से लागू हैं. परन्तु इस प्रकार का दुष्प्रचार किया जा रहा है, जैसे वहां के लोगों से नागरिकता का अधिकार छीन लिया गया हो.
आइये देखते हैं क्या हैं ये नए प्रस्तावित नियम
लक्षद्वीप कई द्वीपों का समूह है, जो हिन्द महासागर व अरबी समुद्र में इसकी सुंदरता के लिए प्रसिद्द है. देश—विदेश से यहां सैलानी घूमने आते हैं, परन्तु शराब बंदी के कारण उनकी संख्या कम है. लक्षद्वीप भारत के पश्चमी तट की तरफ केरल से कुछ दूर अरब सागर में एक खूबसूरत द्वीपसमूह है, जो नैसर्गिक सुंदरता से भरा हुआ है. कम आबादी के इस द्वीप को पर्यटनस्थल की तरह विकसित करने से यह पर्यटकों के लिए एक नया स्थल बन जाएगा, जिससे मालदीव, मॉरीशस के विकल्प के रूप में उभर सकता है। ऐसा नहीं है कि यहां पर शराब नहीं मिलती! अवैध शराब का कारोबार खूब तेजी से फल—फूल रहा है. जो लोग शराब की दुकानें खोले जाने को संस्कृति पर हमला कह रहे हैं, अस्तित्व का प्रश्न बना रहे हैं, उन्हें अवैध शराब के बारे में बोलना चाहिए। देश भर में हो रही गोहत्या जो कि हिन्दुओं की आस्था का प्रबल स्तम्भ है, उस में भी संस्कृति पर हमला दिखाई देना चाहिए। ये वही लोग हैं, जो भगवान अयप्पा के मंदिर में रजस्वला स्त्री को जबरन प्रवेश दिलवाकर हिन्दू संस्कृति को छिन्न भिन्न कर रहे थे. यह वह लोग हैं, जिन्होंने द्वीप की जनजाति प्रजा की संस्कृति को नष्ट—भ्रष्ट कर उनको मुसलमान बना दिया. ये लोग शराब के नाम पर पर्यटकों के आने से वहां के स्थानीय लोगों को होने वाले फायदे से उन्हें वंचित कर रहे हैं. प्रशासक के निर्णय पूर्णतः पर्यटन द्वारा स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कर लक्षद्वीप का विकास करना मात्र है, जो कि वामपंथियों की आंख में खटक रहा है.
यदि ध्यान दिया जाए तो यहां की डेमोग्राफी लक्षद्वीप के विकास में समस्या स्वरूप है. यहां की बहुसंख्यक आबादी मुस्लिम है और अधिकतर कानून शरिया के अनुरूप हैं, जो कि इसे एक पर्यटक स्थल के रूप में स्थापित होने में बाधक है. इन द्वीपसमूहों में मुख्य जनसंख्या सुन्नी मुसलमानों की एक विशेष जाति की है, जो इन निर्णयों को अपने अधिकारों और परम्पराओं पर आघात मान रहा है. मुख्य रूप से बीफ बैन, शराब की बिक्री, दो से अधिक बच्चे वाले लोगों को स्थानीय चुनाव न लड़ सकने और अराजक तत्वों को हिरासत में लेने का प्रावधान शामिल हैं.
जहां तक बीफ बैन की बात है, इसमें केवल गोवंश ही शामिल है, अन्य पशु नहीं। पशुओं को काटने से पहले फिटनेस टेस्ट पूरी दुनिया में होता है, यहां भी होगा. गोवंश पर प्रतिबन्ध इस देश के बहुसंख्यक समुदाय की भावनाओं से जुड़ा है। अतः यह भारत के किसी भी कोने में सर्वमान्य होना चाहिए। हिन्दुओं की भावनाओं को ताक पर रख आप मुसलमानों को मनमानी करने की छूट नहीं दे सकते। प्रशासक को पूर्ण अधिकार है कि वह भारत का एक अभिन्न अंग होने से लक्षद्वीप में भी बीफ बैन करें।
जहां तक शराब की बिक्री की बात है, अवैध शराब तो वहां पर धड़ल्ले से बिकती है। जिसमें जीवन जाने का भी भय होता है व प्रशासन को शराब की बिक्री से आमदनी भी होगी, जो विकास कार्यों में ही खर्च होगा। दूसरी बात एक टूरिस्ट प्लेस के लिए शराब की बिक्री आधुनिक समाज में आवश्यक बन गयी है। खाड़ी के देशों में भले ही इस्लामिक शासन है, परन्तु वहां शराब अधिकृत रूप से उपलब्ध है, वरना दुबई जैसे शहर में विदेशी लोग विशेषकर यूरोपियन और अमरीकन नहीं रह सकते हैं।
दो से अधिक बच्चों के माता—पिता के चुनाव न लड़ पाने वाली नीति भारत के कई राज्यों में लागू है। अतः उसके विरोध का कोई कारण नजर नहीं आता है। जैसा कि परंपरा है कि भाजपा सरकार की किसी भी नीति का विपक्ष विरोध करता है, उसी के अनुरूप विपक्ष यहां पर भी राजनीति देख रहा है। यहां के मुस्लिम सांसद और राहुल-प्रियंका भाई—बहन के साथ—साथ सीपीएम और वामपंथी मीडिया इसका विरोध कर रहे हैं। यही लोग आज देश भर में वैक्सीन की कमी का रोना रो रहे हैं। जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रेरित करने वाला कानून उन्हें समझ नहीं आता या मुसलमान आबादी बढ़ाकर इस देश पर राज करना चाहते हैं। यह नियत यहां स्पष्ट हो जाती है.
जहां तक गुंडा एक्ट की बात है लोगों को पहले के दीव-दमण व आज के दीव-दमण में अंतर देखना चाहिए। तट से अवैध अतिक्रमण हटाकर किस प्रकार सुन्दर बनाया गया है, यह देखेंगे तो आपको विदेशी समुद्र तट की अनुभूति होगी। यह कार्य करने के लिए गुंडा एक्ट की आवश्यकता पड़ती है.
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केरल के वामपंथी नेता करीम और राहुल गांधी, लक्षद्वीप प्रशासक प्रफुल्ल पटेल को क्यों हटाना चाहते हैं ? क्योंकि उन्होंने "गो-हत्या" पर प्रतिबंध लगाया और मुसलमान-वामपंथी इसे अपना "मौलिक अधिकार" मान रहे. याद रहे यह देश हिन्दू बहुल है। मुसलमानों को इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान व बांग्लादेश दिए जा चुके हैं। अतः अब उन्हें इस देश के कायदे—कानून व संस्कृति का सम्मान करना होगा। राम मंदिर, अनुच्छेद—370 इत्यादि मुद्दे समाप्त हो जाने पर, अब इन विषयों पर राजनीति करने के सिवाय विपक्ष के पास कुछ रह नहीं गया है.
सबसे महत्वपूर्ण विषय यह है कि लक्षद्वीप सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। जिस पर चीन व पाकिस्तान दोनों की कुदृष्टि है. लक्षद्वीप की सम्पूर्ण प्रजा कट्टर सुन्नी इस्लाम की धारा से है, जिनके लिए नेशन स्टेट का कोई महत्व नहीं है। वे केवल इस्लामिक स्टेट में विश्वास रखते हैं। जो कि उनकी भारत के प्रति निष्ठा को समाप्त कर देती है. लक्षद्वीप से ड्रग्स का बड़ा कारोबार चलता है, जो पाकिस्तान की आएसआई द्वारा नियंत्रित है। मुंबई के 26/11 के हमले के लिए ऐसे द्वीप अत्यधिक उपयुक्त बन जाते हैं, विशेषकर जब वहां कानून नहीं गुंडा राज हो व अर्थ तंत्र ड्रग माफिया के हाथ में. गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक बयान में यह कर ठंडा पानी डाल दिया की लक्षद्वीप के लोगों से बातचीत किए बिना ये कानून नहीं लागू होंगे।
बहरहाल, प्रफुल्ल पटेल से अपेक्षा है कि वे प्रधानमंत्री व गृहमंत्री के निर्णय को सार्थक कर दिखाएंगे। लक्षद्वीप भी दादरा नगर हवेली एवं दमन दीव की भांति विकास के नए आयाम स्थापित करेगा।
https://www.panchjanya.com/Encyc/2021/6/11/Why-are-some-people-getting-up-on-Lakshadweep-s-stomach-twisted-.html
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