कोरोना काल में अलीगढ़ बहुत चर्चा में रह रहा है। पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और कर्मचारियों की मौत की चर्चा काफी दिनों तक हुई। कहा जा रहा है कि इन लोगों में से अधिकतर ने टीका नहीं लगवाया था। अब वहां की एक एनएमओ नेहा खान के कारण अलीगढ़ चर्चा के केंद्र में है। नेहा खान पर जानबूझकर टीका बर्बाद करने का आरोप है
इन दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पिछले 25 दिन से लगातार राज्य के विभिन्न जिलों का दौरा कर कोरोना के विरुद्ध जारी लड़ाई को और गति देने में लगे हैं। यही नहीं, वे राज्य में टीकाकरण को भी और तेज गति से पूरा करना चाहते हैं। इसके लिए जो भी समस्याएं सामने आती हैं, उन्हें तुरंत खत्म कर रहे हैं। लेकिन उनके इस काम में बाधा डालने का काम स्वास्थ्य विभाग के ही कुछ लोग कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में जिन लोगों पर टीका लगाने की जिम्मेदारी है, वे टीके को कूड़ेदान में फेंक रहे हैं। एक ऐसा ही मामला आया है अलीगढ़ से। उल्लेखनीय है कि 26 मई को अलीगढ़ के जमालपुर स्थित स्वास्थ्य केंद्र में कूड़ेदान में कोविड वैक्सीन से भरी हुई 29 सिरिंज मिली है। वैक्सीन फेंकने का आरोप केंद्र में कार्यरत एनएमओ नेहा खान पर लगा है। जैसे ही इस मामले की खबर फैली प्रशासन ने इसकी जांच करने का आदेश डॉ.एम.के. माथुर और डॉ. दुर्गेश कुमार को दिया है।
जानकारी के अनुसार अलीगढ़ के सिविल लाइन थाना क्षेत्र के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर उस दिन 18 से 44 वर्ष के लोगों को कोविड का टीका लगाया जा रहा था। यह जिम्मेदारी एनएमओ नेहा खान पर थी। वहां कार्यरत एक अन्य कर्मचारी ने टीकाकरण के दौरान देखा कि नेहा खान सिरिंज में टीका भर तो रही है, लेकिन वह किसी को न लगाकर उसे कूड़ेदान में फेंक रही है। उसकी इस हरकत को देखकर वह कर्मचारी चुप न रह सका। उसने तुरंत नेहा खान से पूछा, ”यह क्या कर रही हो!” इस पर नेहा खान ने कहा कि इस वक्त टीका लगाने का मन नहीं कर रहा है। इसके बाद वह कमरे से बाहर चली गई, लेकिन इससे पहले वह 29 लोडेड सिरिंज कूड़ेदान में फेंक चुकी थी।
अलीगढ़ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. भानु प्रताप कल्याणी ने कहा है कि जमालपुर के स्वास्थ्य केंद्र में इंजेक्शन लोड करके नहीं लगाने की शिकायत मिली है। इसकी जांच चल रही है। यदि नेहा खान दोषी पाई गई, तो उसके विरुद्ध कार्रवाई जरूर होगी।
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