इजरायल और फिलीस्तीन में तनाव के बीच जहां मुस्लिम देशों को एकजुट करने का प्रयास चल रहा है, वहीं, बांग्लादेश के एक फैसले ने मुस्लिम देशों को झटका दे दिया है। बांग्लादेश ने इजरायल की यात्रा पर लगे करीब 10 साल पुराने प्रतिबंध को हटा दिया है। बांग्लादेश के इस फैसले से खासतौर से पाकिस्तान और तुर्की जैसे कट्टर इस्लामिक देश नाराज हो सकते हैं। बांग्लादेश हमेशा से फिलीस्तीन का समर्थक रहा है और उसने इजरायल को कभी एक देश के तौर पर मान्यता नहीं दी। लेकिन यात्रा पर से प्रतिबंध हटाकर उसे एक देश के रूप में इजरायल को मान्यता दे दी है। अब बांग्लादेश के लोग इजरायल आवाजाही कर सकते हैं। इजरायल और फिलीस्तीन के बीच तनाव को देखते हुए इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बांग्लादेश के गृहमंत्री ए.के. कमाल का कहना है कि वह कुछ बदलाव कर रहे हैं, जिससे उनके देश का पासपोर्ट अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरे।
पाकिस्तान की मुहिम को झटका
बांग्लादेश के फैसले का इजरायल ने स्वागत किया है। इजरायल ने उम्मीद जताई है कि इस फैसले से ढाका और तेल अवीव के बीच रिश्ते सुधरेंगे। इससे सबसे ज्यादा बेचैनी पाकिस्तान और तुर्की को महसूस हो रही होगी, क्योंकि ये दोनों देश बीते कुछ महीनों से मुस्लिम देशों को एकसाथ लाने की कवायद में जुटे हुए हैं और इन दोनों ने खुलकर इजरायल का विरोध किया है। पाकिस्तान के शत्रु देशों की सूची में भारत से पहले इजरायल का नाम आता है। यही कारण है कि पाकिस्तान और इजरायल के बीच न तो राजनयिक संबंध है और न ही एक-दूसरे के यहां इनके दूतावास हैं। पाकिस्तान सरकार अपने नागरिकों को भले ही इजरायल जाने की अनुमति नहीं देती है। यरुशलम पोस्ट सहित कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पाकिस्तानी नागरिक इजरायल जाना चाहते हैं, लेकिन वे चाह कर भी अपनी यह इच्छा पूरी नहीं कर पाते।
यह पहला मौका नहीं है, जब बांग्लादेश ने मुस्लिम देशों को चौंकाया है या पाकिस्तान को झटका दिया है। इससे पहले मई 2018 में बांग्लादेश की शेख हसीना की सरकार ने भारत को मुस्लिम देशों के संगठन ‘ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉरपोरेशन’ (ओआईसी) का पर्यवेक्षक बनाने की वकालत की थी। इससे सबसे अधिक पाकिस्तान चिढ़ा था, क्योंकि वह हमेशा ही इस मंच का प्रयोग भारत विरोध के लिए करता है।
मुस्लिम देशों में दो फाड़
मुद्दा चाहे कश्मीर को लेकर भारत के विरोध का रहा हो या इजरायल-फिलीस्तीन के बीच संघर्ष का, 57 मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी में कभी एकजुटता नहीं दिखी। कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के बाद पाकिस्तान ने तुर्की की मदद से इस मंच का प्रयोग भारत के खिलाफ करना चाहा, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। संयुक्त अरब अमीरात सहित कुछ मुस्लिम देशों ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। इसी तरह, बीते 16 मई को फिलीस्तीन का समर्थन करने के लिए ओआईसी की आपात बैठक बुलाई गई। लेकिन बैठक में इजरायल को घेरने की जगह मुस्लिम देशों के नेता आपस में ही भिड़ गए। दोनों पक्षों में जमकर बहस हुई। दरअसल, बैठक में इजरायल के प्रति कुछ मुस्लिम देशों की प्रतिक्रियाएं अलग थीं, जो फिलीस्तीन के विदेश मंत्री को नागवार गुजरीं और उन्होंने इजरायल के प्रति नरम रुख रखने वाले देशों की जमकर आलोचना की। खासतौर से संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, सूडान और मोरक्को कट्टरपंथी इस्लामिक देशों के निशाने पर रहे। इसका कारण यह था कि बीते एक वर्ष में इन देशों ने इजरायल के साथ अपने संबंध कायम किए हैं। हालांकि तेल अवीव के साथ तुर्की के भी राजनयिक संबंध है, फिर भी उसने खुलकर इजरायल की आलोचना की। वहीं, इजरायल के प्रति सऊदी अरब का रुख बहुत नरम था। सऊदी अरब का रुख भी कमोबेश ऐसा ही था। इसलिए कई सदस्य देशों ने इन देशों की आलोचना की। खासतौर से इजरायल से संबंध स्थापित करने वाले देश कट्टरपंथी इस्लामिक देशों के निशाने पर रहे। अब बांग्लादेश भी इजरायल से संबंध सुधारने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
-नागार्जुन
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