उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना से संक्रमित होने के बाद ठीक होकर मैदान में हैं। कोरोना को रोकने में जहां डब्ल्यूएचओ ने भी उनकी प्रंशसा की है वहीं विपक्षी ट्विटर पर उनके खिलाफ बेतुका अभियान चला रहे हैं
वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ‘यूपी के लड़के’ आये थे. उस चुनाव में अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने खुद को ‘यूपी के लड़के’ कह कर प्रचारित किया था. सपा ने कांग्रेस से समझौता करने के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ा. पराजय के बाद यूपी के दोनों ‘लड़कों’ की राहें जुदा हो गईं. वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव अखिलेश यादव ने मायावती से समझौता करके लड़ा. हार के बाद अभी अखिलेश यादव कुछ समझ पाते तब तक मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस करके आरोप लगाया और गठबंधन खत्म कर दिया. अब एक बार फिर उत्तर प्रदेश में चुनावी हलचल शुरू होने वाली है. राहुल गांधी, अखिलेश यादव और मायावती की नजरें उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर टिकी हैं. मगर ये तीनों नेता जनता के बीच से नदारद हैं. कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद राहुल गांधी और अखिलेश यादव केवल ट्वीट कर रहे हैं. मायावती भी अपनी मांग को ट्वीट करती हैं. जबकि कोरोना के संक्रमण से स्वस्थ होकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरे प्रदेश के दौरे पर हैं. कोविड वार्ड में भी जाने से नहीं हिचक रहे हैं.
राहुल गांधी गत 20 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हुए थे. स्वस्थ हो जाने के बाद भी वह जनता के बीच में नहीं आ रहे हैं. वह लगातार ट्वीट करते रहते हैं. 21 अप्रैल को उन्होंने लिखा कि “केंद्र सरकार की वैक्सीन रणनीति, नोटबंदी से कम नहीं है.” 22 अप्रैल को उन्होंने लिखा कि “भारत में सिर्फ कोरोना का ही संकट नहीं है, केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियां भी हैं.” फिर उन्होंने लिखा कि “45 साल बाद भारत सामूहिक गरीबी के श्रेणी वाले देशों में शामिल हो गया.” प्रतिदिन वे कोई ना कोई ट्वीट करते हैं. कभी न्यूयार्क टाइम्स में छपी हुई उस फोटो को ट्वीट करते हैं जिसमे शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. अभी हाल ही में उन्होंने ट्वीट करके पूछा कि “मेरे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज दिया ?” राहुल गांधी के इस ट्वीट का काफी मजाक उड़ाया गया क्योंकि बच्चों को लगाई जाने वाली कोरोना वैक्सीन की खोज अभी पूरी नहीं हुई है. ऐसे में वैक्सीन के बारे में इस तरह का सवाल पूछना अत्यंत हास्यास्पद है.
इसी प्रकार, अखिलेश यादव 14 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हुए थे. उसके बाद से वह जनता के बीच से गायब हैं. केवल ट्विटर के माध्यम से बयानबाजी कर रहे हैं. कोरोना वैक्सीन जब लांच हुई थी तब ऊन्होंने कहा था कि “यह बीजेपी की वैक्सीन है. जब हमारी सरकार आयेगी तब मैं वैक्सीन लगवाऊंगा.” वैक्सीन के बारे में इस तरह का भ्रम फैलाने वाले अखिलेश यादव अब कोरोना वैक्सीन की नीति पर बयानबाजी कर रहे हैं. प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह कहते हैं कि “ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार जनपदों में जा कर कोरोना संक्रमित लोगों से मिल रहे हैं. सपा नेता को शायद यह अच्छा नहीं लग रहा है. इसीलिए वह लगातार झूठे और जनता को भ्रमित करने वाले आरोप प्रदेश सरकार पर लगा रहे हैं. पहले तो अखिलेश ने वैक्सीन को भाजपा का बताया और इसके बारे में दुष्प्रचार किया. फिर उन्होंने वैक्सिनेशन के लिए नीति की बात की. इसके बाद उन्होंने वैक्सीन मुफ्त लगाने की बात कही. क्या अखिलेश को मालूम नही है कि 45 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए वैक्सीनेशन केंद्र सरकार की तरफ से मुफ्त है और 18 से 44 आयुवर्ग के लिए योगी सरकार मुफ्त लगाने की घोषणा कर चुकी है.”
सिद्धार्थनाथ सिंह का कहना है कि “वैक्सीन को लेकर सपा नेता का दोहरा चरित्र सबके सामने आ चुका है. अखिलेश किसानों का हितैषी बनते हुए यह कह रहे हैं कि गेहूं की सरकारी खरीद में घोर लापरवाही है और क्रय केन्द्र बंद होने की आम शिकायतें हैं. जबकि हकीकत यह है कि सूबे में 5,617 क्रय केंद्रों पर गेहूं की खरीद किसानों से हो रही है और 4,48,789 किसानों से 22,83,643.67 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है. किसानों को 3090.07 करोड़ रुपए का भुगतान भी कर दिया गया है, शेष भुगतान भी किसानों को जल्द कर दिया जाएगा.”
बसपा सुप्रीमो का वैसे तो वर्षों पुराना तरीका है. विपक्ष में रहते हुए वे कभी जनता के बीच नजर नहीं आती हैं. यहां तक कि जब-जब उनकी सरकार यूपी में नहीं रही तब वे राज्यसभा सांसद रहीं. विपक्ष में रहते हुए वे यूपी की जनता से एकदम किनारा कर लेती हैं. इस कोरोना महामारी में उनका जो भी बयान, सब ट्विटर ही आया. जनता की सहायता करते हुए वे भी कहीं नहीं दिखीं.
इधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गत 9 मई को वाराणसी पहुंचे. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में डीआरडीओ की ओर से निर्मित अस्थाई कोविड अस्पताल का निरीक्षण किया. अस्पताल में मरीजों के भर्ती होने से लेकर उनके डिस्चार्ज होने की व्यवस्था की जानकारी ली. अस्पताल के निरीक्षण के बाद मुख्यमंत्री ने वाराणसी सहित मंडल के अन्य जिले जौनपुर, गाजीपुर और चंदौली में कोविड के बचाव व रोकथाम के बारे में समीक्षा की. इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बरेली मंडल दौरा किया. वहां पर उन्होंने कोरोना महामारी में इलाज की व्यवस्था की समीक्षा की. इन सभी दौरे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की व्यवस्था भी बना रहे हैं. बरेली मंडल में वे अचानक शहर के अन्दर पैदल निकले और लोगों से दवा – इलाज के बारे में जानकारी ली. मेरठ मंडल की समीक्षा के बाद वो एक कंटेनमेंट जोन में भी गए. वहां लोगों से बातचीत की. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में बड़े पैमाने में कोरोना संक्रमण की सूचना मिलने पर योगी आदित्यनाथ ने एएमयू परिसर में जाकर समीक्षा की. योगी आदित्यनाथ नोएडा, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर आदि जनपदों का दौरा कर चुके हैं. प्रयागराज जनपद के मेडिकल कालेज के कोविड वार्ड में अंदर जाकर उन्हें व्यवस्था का निरीक्षण किया. उनका प्रयास है कि आने वाले कुछ दिनों में वे तीसरी लहर से निपटने के लिए चाक चौबंद व्यवस्था कर लें.
सुनील राय
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