केरल में नवनिर्वाचित विजयन सरकार के शपथ ग्रहण में 500 लोगों को बुलाए जाने पर जबरदस्त विरोध हो रहा है। कोविड-19 के प्रसार को देखते हुए आईएमए ने सरकार से वर्चुअल शपथ ग्रहण का आग्रह किया, केरल उच्च न्यायालय में जनहित याचिका डाली गयी है, ट्विटर जगत में इस समारोह में जमावड़ा किये जाने की योजना पर जमकर थुक्का-फजीहत हो रही है परंतु विजयन सरकार के कान पर जूँ नहीं रेंग रहा।
केरल में नवनिर्वाचित वाममोर्चे की 2.0 पिनाराई विजयन सरकार गुरुवार 20 मई, 2021 को शपथ लेगी। इस शपथ ग्रहण समारोह में सरकार ने कोविड-19 प्रोटोकॉल की ऐसी-तैसी करने की योजना बनायी है। शपथ ग्रहण समारोह में 500 लोगों को आमंत्रित किया गया है। यह हाल तब है जबकि कोरोना की भीषणता को देखते हुए राज्य में 23 मई तक लॉकडाउन घोषित है। यहां यह जानने योग्य बात है कि केरल में 18 मई को कोविड-19 के 31,337 और 19 मई को 32,762 नये मामले आये हैं।
कोरोना प्रबंधन में सराही गई शैलजा को जगह नहीं
इसके साथ ही एक और खास बात हुई है। केरल में कोरोना फैलने पर उसका ठीक से प्रबंधन करने पर हर ओर से सराहना पाने वाली स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा को नये मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है। थॉमस इसाक को भी नये मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। इन दोनों मंत्रियों की बलि चढ़ा कर जो दो नये विधायक मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं उनमें स्वयं पी. विजयन के दामाद और माकपा के राज्य सचिव की पत्नी शामिल हैं।
आईएमए की चेतावनी नजरअंदाज
कोरोना के भीषण प्रसार को देखते हुए केरल में लगातार लॉकडाउन बढ़ाया जा रहा है। परंतु विजयन सरकार अपने शपथ ग्रहण समारोह में 500 लोगों को आमंत्रित करने का लोभ संवरण नहीं कर पायी। वाममोर्चे की सरकार ने यह कदम आईएमए के केरल चैप्टर की इस चेतावनी के बावजूद 500 लोगों को एकत्र करने का फैसला किया है कि कोरोना की भीषणता को देखते हुए लोगों को एकत्र न किया जाए और शपथ ग्रहण वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर किया जाए। बंगाल चुनाव के आखिरी चरणों में कोरोना का प्रसार बढ़ने पर भाजपा ने भी लोगों को एक स्थान पर एकत्र करने के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर करायी थी।
500 की संख्या बड़ी नहीं : विजयन
शपथ ग्रहण समारोह के बारे में मुख्य सचिव द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि शपथ ग्रहण सेंट्रल स्टेडियम में होगा जिसमें बैठने की क्षमता 1000 है, कोविड-19 के प्रोटोकॉल के कारण आमंत्रितों की संख्या 500 तक सीमित रखी गयी है। आदेश में यह भी कहा गया है कि आयोजन स्थल पर उन्हीं लोगों को प्रवेश मिलेगा जो पिछले 48 घंटे के भीतर आरटी-पीसीआर/ट्रूनाट/आरटी-लैम्प नेगेटिव नतीजे या कोविड वैक्सीनेशन का अंतिम प्रमाणपत्र दिखाएंगे। नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री पी. विजयन का कहना है कि ऐसे समारोहों के लिए 500 की संख्या बड़ी नहीं है।
यह अलग बात है कि केरल में कोविड प्रोटोकॉल के तहत विवाह आदि कार्यक्रमों में, चाहे कितना भी बड़ा मैदान क्यों न हो, आमंत्रितों की संख्या 20 से अधिक नहीं हो सकती।
समानता के अधिकार का हनन : पीआईएल
इस बीच, त्रिशूर के ईस्ट पेरिनगोट्टुकारा स्थित एक संगठन चिकित्सानीति ने अधिवक्ता अरुल मुरलीधरन और विनीता विजयन के माध्यम से केरल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है जिसमें अदालत से राज्य सरकार को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि गुरुवार को होने वाला शपथ ग्रहण समारोह कोविड-19 ट्रिपल लॉकडाउन दिशानिर्देशों के अनुरूप कराया जाए।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा व्यापक स्तर पर आलोचना के बावजूद केरल सरकार बड़ा समारोह कराने पर आमादा है। इस समारोह में हिस्सा लेने वाले मेहमान कासरगोड से तिरुवनंतपुरम तक यात्रा करके आएंगे। याचिका में कहा गया है कि विधायकों के परिजनों को विशेष सुविधा देना और आम लोगों, जिन्हें लॉकडाउन के दौरान उनके घरों तक सीमित कर दिया गया है, को यह सुविधा देने से इनकार करना समानता के अधिकार का हनन है।
ट्विटराइट्स ने किया विरोध
शपथ ग्रहण समारोह के लिए कोविड-19 प्रोटोकॉल तोड़ने पर ट्विटराइट्स ने पी. विजयन सरकार के 500 लोगों का जमावड़ा करने का विरोध किया है। लोगों ने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह को ऑनलाइन करने की आईएमए की बात को माना जाना चाहिए। एक ट्विटराइट ने लिखा कि केरल में कोरोना राजनेताओं से डरता है। दूसरे ट्विटराइट ने लिखा कि बधाई हो, मेहमानों की संख्या 750 से घटाकर 500 कर दी गई। अब कोरोना नहीं आएगा। एक ट्विटराइट ने लिखा है कि क्या सरकार और जनता के लिए अलग-अलग नियम हैं। एक अन्य ने लिखा कि जनता घर के बाहर निकली तो सजा, भले उसके पास कोविड निगेटिव होने का प्रमाणपत्र हो लेकिन सरकार के लिए सब जायज है।
-संदीप त्रिपाठी
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