आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के सांसद रघु रामकृष्णन खुलेआम स्वीकारते रहे हैं कि प्रदेश में ईसाई मिशनरियां कन्वर्जन में लिप्त हैं। मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी के मुखिया जगनमोहन को यह रास नहीं आया और राजद्रोह के आरोप में जेल में डाल दिया रामकृष्णन को
आंध्र प्रदेश के सीआईडी विभाग ने सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद रघु रामकृष्णन राजू को गिरफ्तार कर लिया है। रघु के जन्मदिन 14 मई, 2021 को विभिन्न धाराओं के तहत हुई उनकी गिरफ्तारी में कथित तौर पर ‘राजद्रोह’ का आरोप भी शामिल है। यह गिरफ्तारी आय से अधिक संपत्ति से संबंधित एक मामले में मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष जगनमोहन रेड्डी को सीबीआई अदालत से मिली जमानत रद्द करने की मांग करने वाली याचिका दायर करने के तुरंत बाद हुई।
यहां यह सवाल सबकी जबान पर है कि राजू ने ‘व्यवस्था’ से नाराजगी क्यों मोल ली! पिछले साल वह राज्य में ईसाई मिशनरियों द्वारा बड़े पैमाने पर कन्वर्जन की जानकारी सार्वजनिक करने के कारण सुर्खियों में आए थे। संचार माध्यमों में उनका बयान आया था कि “मैं इस तथ्य को स्वीकार करता हूं कि बड़े पैमाने कन्वर्जन हो रहे हैं; ईसाई मिशनरियों के पास विदेशों से आए पैसे की ताकत है; वे इसे पांथिक ‘गतिविधियों’ और चर्चों के निर्माण पर खर्च करते हैं।” उनके इस बयान पर लोगों ने बहुत आश्चर्य जताया था कि ‘मिशनरी रात में कॉलोनियों में जाते हैं और अपने ईसाइयत संदेशों का प्रचार करते हैं।’ जाहिर है कि वह गरीब और अनपढ़ स्थानीय लोगों को कन्वर्ट करने के मिशनरियों के ‘गंभीर प्रयासों’ की बात कर रहे थे।
इसमें संदेह नहीं है कि आंध्र प्रदेश में राजनीतिक प्रतिशोध का खेल चरम पर है। ऐसा राजू पर सीआईडी द्वारा लगाए गए इस आरोप से स्पष्ट है कि वे ‘कुछ समुदायों के खिलाफ घृणापूर्ण भाषण देते हुए सरकार के खिलाफ असंतोष को बढ़ावा दे रहे थे’। यहां ‘सरकार’ शब्द के मायने, स्पष्ट है, मुख्यमंत्री जगनमोहन है।
गिरफ्तारी के बाद सांसद को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। हालांकि उन्होंने उच्च न्यायालय से जमानत हासिल करने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। बहरहाल, न्यायालय ने उन्हें कथित तौर पर पुलिस प्रताड़ना के कारण लगी चोटों के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने साफ निर्देश दिए हैं कि राजू को पूरी तरह से ठीक होने तक अस्पताल में रखा जाए। उल्लेखनीय है कि आंध्र उच्च न्यायालय के समक्ष एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका प्रस्तुत की गई थी जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने राजू की चोटों की जांच करके 16 मई तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया था। राजू ने गुंटूर में सीआईडी अदालत के मजिस्ट्रेट को एक विस्तृत पत्र दिया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने उन्हें यातना दी, जिससे वह बहुत घायल हो गए हैं। पत्र के साथ उनके घायल और सूजे हुए पैरों की तस्वीरें थीं। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान इसे उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।
उच्च न्यायालय ने कहा है कि राजू के आरोप सही साबित हुए तो पुलिस के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मामले की सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति सी. प्रवीण कुमार की अध्यक्षता में उच्च न्यायालय की विशेष पीठ का गठन किया गया है। तेलुगु देशम पार्टी प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस मामले पर कहा है कि राजू को प्रताड़ित किया जाना गंभीर अपराध है और यह कोविड-19 प्रोटोकॉल के भी खिलाफ है।
जगनमोहन के पिता पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के शासन काल से ही ईसाई मिशनरियों द्वारा आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने पर कन्वर्जन करने के आरोप लगते रहे हैं। हिन्दू संगठनों ने पादरियों द्वारा तिरुपति भगवान के दर्शन के लिए जाने वाले तीर्थयात्रियों के मार्ग में पड़ने वाली तिरुमला पहाड़ियों पर भी हिंदुओं के कन्वर्जन के प्रयासों का कड़ा विरोध किया था। उस समय वाईएसआर पर स्पष्ट आरोप थे कि वे पादरियों को संरक्षण दे रहे हैं।
यहां यह बताना आवश्यक जान पड़ता है कि जगनमोहन के पिता पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के शासन काल से ही ईसाई मिशनरियों द्वारा आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने पर कन्वर्जन किए जाने के आरोप लगते रहे हैं। रा.स्व.संघ से जुड़े संगठनों ने मिशनरियों द्वारा तिरुपति भगवान के दर्शन के लिए जाने वाले तीर्थयात्रियों के मार्ग में पड़ने वाली तिरुमला पहाड़ियों पर भी हिंदुओं के कन्वर्जन के प्रयासों का कड़ा विरोध किया था। उस समय मुख्यमंत्री वाईएसआर पर स्पष्ट आरोप थे कि वे ईसाई मिशनरियों को संरक्षण दे रहे हैं। अब, कथित क्रिप्टो ईसाई जगनमोहन पर भी मिशनरियों से हाथ मिलाने और उनके कन्वर्जन अभियान को संरक्षण देने के आरोप हैं।
यह वजह है जगन की ईसाइयत से हमदर्दी की
बताते हैं कि वाईएसआर कांग्रेस के सांसद रामकृष्णन शुरू से ही ईसाई कन्वर्जन के विरोधी रहे हैं और कई बार मुख्यमंत्री जगनमोहन से इस बारे में बात कर चुके हैं। वे इस बात के भी विरोधी रहे हैं कि वाईएसआर कांग्रेस के राज में ईसाई मिशनरियों को यूं खुली छूट मिली हुई है। सूत्रों के अनुसार, इस बात के लिए वे जगनमोहन की आंखों की किरकिरी बने हुए थे।
जगनमोहन के पिता पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के शासनकाल में ही ईसाई तत्वों ने आंध्र प्रदेश की कई पहाड़ियों पर बड़े—बड़े सलीब गाड़कर उन्हें कथित चर्च के लिए कब्जाना शुरू कर दिया था। लेकिन तत्कालीन प्रदेश सरकार ने उस ओर से आंखें फेर रखी थीं। दलितों को मिलने वाले लाभों को ईसाइयों के हाथों में सौंप दिया गया था। ये काम बड़ी होशियारी से किया गया था क्योंकि कन्वर्टिड दलित अपना हिन्दू नाम नहीं बदलते, न ही वे सरकारी कागजों में अपने को कन्वर्टिड ईसाई लिखवाते हैं, इसलिए रिकार्ड में उनके ‘हिन्दू’ रहते हुए उनके हिस्से का लाभ ईसाइयों को बांटा जा रहा था।
दलितों की स्थानीय समितियों को, बताते हैं, अपने पूजा स्थल बनवाने के लिए चार लाख रु. में से अग्रिम 40 हजार रु. का अनुदान देने का प्रावधान है। चूंकि वे नाम से हिन्दू होते हैं और उनके कन्वर्जन का ब्योरा किसी सरकारी दस्तावेज दर्ज नहीं होता लिहाजा वे पैसे लेकर उससे चर्च बनवाते रहे हैं। इसके बाद वे प्रति केन्द्र बचे हुए 3.60 लाख रुपए ले लेते हैं। जमीन कब्जाने आदि की कोई बात नहीं उठती। सरकार उसमें दखल नहीं देती।
जगनमोहन सरकार पर तिरुपति देवस्थानम बोर्ड में कई ईसाई अफसर नियुक्त करने का भी आरोप काफी समय से लगता रहा है। इसलिए तिरुमला पहाड़ियों में ईसाई मिशनरियों का कथित कन्वर्जन का काम धड़ल्ले से चलता आ रहा है।
एक और कथित आरोप है कि एक पैसे वाला मिशनरी, जगनमोहन की पत्नी का भाई अनिल कुमार कन्वर्जन में भरपूर पैसा लगाता आ रहा है। यही वजह है कि जगनमोहन के चुनाव प्रचार में कई ईसाई मिशनरियों ने कथित भाग लिया था।
-टी.सतीशन
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