बंगाल में चुनाव के बाद भाजपा समर्थकों और हिन्दुओं की जिहादी तत्वों द्वारा हत्या पर मुंह सिले रखने वाली शिवसेना जा खड़ी हुई सीबीआई के शिकंजे में आए भ्रष्ट तृणमूल नेताओं और ममता के पाले में
ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं पर सीबीआई कार्रवाई का विरोध करते हुए शिवसेना ममता के पाले में आ खड़ी हुई है। इसकी संभावना भी थी। शिवसेना हर उसके साथ होती है जो भाजपा या केन्द्र सरकार के विरुद्ध हो। इसलिए सामना के ताजा अंक में अगर ममता के इन नेताओं, जिन पर पर 2014 से नारदा कांड के तहत मामला चल रहा है, के पक्ष में सीबीआई कार्रवाई को ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया गया है तो इसमें किसी को हैरानी नहीं हुई है। नारदा स्टिंग प्रकरण में सीबीआई ने प. बंगाल सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी तथा पूर्व मंत्री सोवन चटर्जी और विधायक मदन मित्रा को गिरफ्तार किया है।
तृणमूल के भ्रष्ट नेताओं पर हुई कार्रवाई से शिवसेना को जैसे एक और बहाना मिल गया हो केंद्र सरकार पर निशाना साधने का। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में पश्चिम बंगाल में नारदा कांड में फंसे चार नेताओं पर सीबीआई कार्रवाई को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उसने भाजपा को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है जबकि पार्टी का इस कानूनी कार्रवाई से कोई लेना—देना ही नहीं है। सामना में लिखा है कि ‘इजराइल और गाजा के बीच जारी लड़ाई जितना ही तेज संघर्ष फिलहाल ममता बनर्जी व केंद्र सरकार के बीच चल रहा है।’
सामना आगे लिखता है कि लगता था बंगाल चुनाव खत्म होने के बाद वहां शांति हो जाएगी पर ऐसा नहीं हुआ। सामना ने कभी चुनाव के बाद वहां हिन्दुओं पर हुई जिहादी हिंसा के बारे में तो नहीं लिखा, न ही बड़ी तादाद में भयग्रस्त हिन्दुओं पर कोई टिप्पणी की लेकिन तृणमूल के भ्रष्ट नेताओं के पाले में आ खड़े होने में उसने जरा देर नहीं लगाई। आम महाराष्ट्वासी शिवसेना के तेजी से होते जा रहे सेकुलर परिवर्तन को देख ठगा सा देख रहा है। उसे विश्वास ही नहीं होता कि भाजपा विरोध में वह हिन्दू विरोध तक उतर आएगी। शिवसेना देश के हिन्दू समाज से जितनी तेजी से दूर होती जा रही है और कांग्रेस के मोह में फंसती जा रही है उसने महाराष्ट् के राजनीतिक विश्लेषकों तक को हैरानी में डाल दिया है। और यह सब कुर्सी की खातिर।
-आलोक गोस्वामी
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