हाल ही में पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणाम आने के बाद से पूरे प्रदेश में राजनीतिक हत्या व महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहे हैं। अभी तक 50 से लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं
बंगाल में तृणमूल के गुंडे भाजपा के कार्यकर्ताओं को चुन चुनकर निशाना बना रहे हैं। महिलाओं के साथ बलात्कार किए जा रहे हैं जबकि पुरुषों को बर्बरता से मारा जा रहा है।
भाजपा प्रदेश कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार 8 मई तक तक 15 कार्यकर्ताओं की नृशंस हत्या हुई है जबकि यहां के लोगों से बात करने पर पता चलता है कि अभी तक 50 से भी ज्यादा लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं।
तृणमूल के गुंडों द्वारा मारे गए भाजपा कार्यकर्ता
1- जगददल- श्रीमती सोवा रानी मंडल
2- चकदह –श्री उत्तम घोष
3- बेलेघाटा-श्री अभिजीत सरकार
4- सोनारपुर दक्षिण –हरण अधिकारी
5- सितालकुची – मानिक मोइत्रा
6- बोलपुर –गौरब सरकार
7- दिनहाटा- चन्दन रॉय
8- दिनहाटा- हराधन रॉय
9- इंडस – अरूप रुईदास
10- केतुग्राम- बलराम माझी
11- सबंग- बिश्वजीत महेश
12- झाड़ग्राम- किशोर मंडी
13- नैहाटी-सन्तु मंडल
14- मोथाबारी- मोनोज मंडल
15- मोथाबारी-चैतन्य मंडल
पश्चिम-बंगाल में राजनीतिक हत्याओं का दौर हाल फिलहाल में ही शुरू नहीं हुआ बल्कि 1967 में शुरू हुए नक्सलबाड़ी आन्दोलन ने इसकी पटकथा लिखी गई थी.
पहले कांग्रेस के राज में यहां ऐसा ही होता था इसके बाद सीपीएम में भी यही होता रहा और तृणमूल के शासन में भी ऐसा ही हो रहा है. 1972 से 1977 तक कांग्रेस के शासनकाल में मुख्यमंत्री रहे सिद्धार्थ शंकर रॉय ने हजारों लोगों को नक्सली बताकर उनकी हत्या करवा दी थी.
आज से 50 साल पहले 1970 में पूर्व-बर्धमान शहर के साईं भाइयों की करके उनके खून से सने हुए चावल उनकी मां मृगनयनी देवी को सी.पी.एम. के कार्यकर्ताओं ने खिलाए थे। इन साईं भाइयों की हत्या इसलिए की गई थी क्योंकि ये परिवार कांग्रेस का समर्थक था और सीपीएम का एक जलूस (मिचिल) साईंबाड़ी होकर जा रहा था उस समय माकपा नेता निरुपम सेन के नेतृत्व में साईं बंधुओं की हत्या की गई थी।
इस हत्याकांड के बाद बंगाल में राजनीतिक हत्याओं की जो सुनामी शुरू हुई थी वह आज तक चल रही है. अभी हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों के दौरान एक सभा में गृहमंत्री अमित शाह ने राजनीतिक हत्याओं को लेकर कहा था कि 2018 के पंचायत चुनाव व 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के 138 कार्यकर्ताओं की हत्या तृणमूल के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई है. बंगाल में जो हो रहा है उसे रोका जाना बहुत जरूरी है लेकिन ममता बनर्जी इस तरफ से आंख मूंद कर बैठी हुई हैं.
डॉ. अंबा शंकर बाजपेयी
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