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कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए आक्सीजन संबंधी उपकरणों, दवाओं एवं तत्काल आवश्यकता वाली चिकित्सकीय आपूर्ति भारत को उपलब्ध कराने के लिए 40 से ज्यादा देश आगे आए हैं। कई देशों से जो बात हो रही है और जो मदद मिल रही है उसके हिसाब से 550 आक्सीजन जेनरेटिंग प्लांट्स, 4,000 आक्सीजन कंसंट्रेटर्स, 10 हजार से ज्यादा आक्सीजन सिलेंडर्स और 17 क्रायोजेनिक आक्सीजन टैंक अगले दो से तीन दिनों में भारत पहुंच जाएंगे।
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के अनुसार गत बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दुनियाभर में भारतीय मिशनों के प्रमुखों से वीडियो कांफ्रेंस की और उन्हें घरेलू जरूरतों के बारे में अवगत कराया। कुछ क्षेत्रों को प्राथमिकता में रखा गया था, जिनमें तरल आक्सीजन के साथ-साथ आक्सीजन उत्पादन करने वाले उपकरण, आक्सीजन जेनरेटर्स, आक्सीजन कंसंट्रेटर्स और आक्सीजन ट्रांसपोर्ट उपकरण शामिल हैं। हमारी कोशिश आक्सीजन के अलावा रेमडेसिविर हासिल करने को लेकर सबसे ज्यादा है। पिछले दिनों विदेश मंत्री, वित्त मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, नीति आयोग समेत दूसरे संबंधित मंत्रियों की बैठक में बताया गया कि भारत की रेमडेसिविर इंजेक्शन निर्माण क्षमता महज 65-70 हजार रोजाना है, जबकि मांग तीन लाख प्रतिदिन की है और इसमें वृद्धि हो रही है।
4.5 लाख डोज भेजने का किया वादा
केंद्र की रेमडेसिविर बनाने वाली कंपनी गिलीड साइंसेज से भी बात हो रही है। गिलीड साइंसेज ने तत्काल 4.5 लाख डोज भेजने का वादा किया है जो संभवत: अगले कुछ दिनों में आ जाएंगी। साथ ही इस कंपनी के जहां-जहां उत्पादन संयंत्र हैं, भारत सरकार वहां से भी इसकी व्यवस्था करा रही है। इसके संयंत्र बांग्लादेश, यूएई, मिस्त्र और ताजिकिस्तान में हैं। इन सभी देशों में भारतीय मिशन और दूतावासों ने वहां की सरकार व उत्पादन इकाइयों से संपर्क किया है ताकि ज्यादा मात्रा में रेमडेसिविर यहां लाए जा सकें। इन सभी देशों से भारत को पूरी मदद मिल रही है। इससे रेमडेसिविर की तत्कालिक मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।
मदद को आगे आ रहे देश
पिछले वर्ष भारत ने 150 देशों को कोरोना के लिए जरूरी दवाइयों से लेकर पीपीई किट्स व दूसरी सामग्री दी थी। पर अब दूसरी लहर में भारत की स्थिति को देखते हुए छोटे व बड़े देश आज भारत की मदद को आगे आए हैं। रूस, जापान, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, आयरलैंड, बेल्जियम, रोमानिया, लक्जमबर्ग, सिंगापुर, पुर्तगाल, स्वीडन, न्यूजीलैंड, कुवैत और मारीशस भारत को अपने स्तर पर मदद कर रहे हैं।
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