उत्तराखंड के चमोली जिले में एक बार फिर से ग्लेशियर टूटने से 12 लोगों की मौत हो गयी. सुमाना के पास हुई इस घटना में 384 लोगों को सेना, आईटीबीपी के जवानों ने बचा लिया. ये वे लोग थे, जो सीमा सड़क संगठन की सड़क बनाने के काम पर लगे थे. इस हादसे में 7 लोगों का पता नहीं चल पाया है.
दरअसल यह घटना 23 अप्रैल की है. इस दिन हिमालयी इलाके में भारी बर्फ बारी हुई थी. बीआरओ का यहां बेस कैम्प है और सीमा तक सड़क बनाने के काम पर सैकड़ों मजदूर लगे हुए थे . मौसम खराब होने की वजह से ज्यादतर श्रमिक कैम्प में थे. कैम्प के पास ही बर्फ का पहाड़ टूटकर सड़क पर आ गिरा. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हिमस्खलन दो बार हुआ. इसके बाद बीआरओ और आईटीबीपी के जवानों ने मिलकर क्षेत्र में फंसे श्रमिको को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने का काम शुरू किया।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने तत्काल गृह मंत्री और रक्षा मंत्री से बात की, जिसके बाद वायुसेना और सेना के जवान भी मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद की. घायल श्रमिकों को देहरादून स्थित सेना के अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया।
मुख्यमंत्री रावत ने घटना स्थल जाकर हालात का जायजा लिया और सेना के अधिकारियों के साथ बैठक भी की।
गौरतलब है कि चमोली जिले के सीमांत इलाके में बीते कुछ समय के अंतराल में ग्लेशियर टूटने की घटनाएं लगातार हो रही हैं, जिसके कारणों को अब तलाशा जाना चाहिए. आमतौर पर जलवायु परिवर्तन की बात कह कर इस विषय को समाप्त कर दिया जाता है, जबकि इसके कई अन्य वैज्ञानिक कारण भी हैं. पर्यावरण विशेषज्ञ कहते हैं कि आसपास बन रही जल विद्युत परियोजनाओं पर रोक लगना जरूरी है, जिनमें बहुत बड़ी मात्रा में बारूद का इस्तेमाल हो रहा है.
दिनेश मानसेरा
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