रामनवमी (21 अप्रैल) पर विशेष : मानव को सिखाई मर्यादा
May 16, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम संस्कृति

रामनवमी (21 अप्रैल) पर विशेष : मानव को सिखाई मर्यादा

by WEB DESK
Apr 21, 2021, 10:31 am IST
in संस्कृति, दिल्ली
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

इन दिनों अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का कार्य चल रहा है। इससे समस्त भारतीय प्रसन्न हैं। श्रीराम इस देश की बहुसंख्यक आबादी के आराध्यदेव हैं। वे न सिर्फ हिंदुओं अथवा भारतवासियों के लिए परम पूजनीय हैं, बल्कि दुनिया के अनेक देशों के लोग भी उन्हें भगवान और मर्यादापुरुषोत्तम के रूप में मान्यता प्रदान करते हुए पूजते रहे हैं। वे भारत की पहचान और राष्ट्रीयता के प्रतीक हैं। दरअसल, श्रीराम के आदर्श, उनका अनुकरणीय और आज्ञापालक चरित्र तथा रामायण काल के अन्य सभी पात्रों की अपार निष्ठा, भक्ति, प्रेम, त्याग एवं समर्पण अपने आप में अनुपम है।

भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में प्रतिवर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष नवमी को रामनवमी का त्योहार समूचे भारत में अपार श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में उत्सवों का विशेष आयोजन होता है, जिनमें भाग लेने के लिए देशभर से हजारों भक्तगण अयोध्या पहुंचते हैं तथा वहां स्थित सरयू नदी में पवित्र स्नान कर पंचकोसी की परिक्रमा करते हैं। समूची अयोध्या नगरी इस दिन पूरी तरह राममय नजर आती है और हर तरफ भजन-कीर्तन तथा रामायण के अखंड पाठ की गूंज सुनाई पड़ती है। देशभर में अन्य स्थानों पर भी जगह-जगह इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत, उपवास, यज्ञ, दान-पुण्य आदि विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता है। हालांकि इस वर्ष फिर से बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते ऐसे आयोजनों के ज्यादा धूमधाम से मनाए जाने की संभावना कम ही रहेगी, लेकिन भीड़-भाड़ से बचकर लोग अपने घर में भी अपने आराध्यदेव के जन्मोत्सव को श्रद्धापूर्वक मना सकते हैं।
श्रीराम का जन्म नवरात्र के अवसर पर नवदुर्गा के पाठ के समापन के पश्चात् हुआ था और उनके शरीर में मां दुर्गा की नौवीं शक्ति जाग्रत थी। मान्यता है कि त्रेता युग में इसी दिन अयोध्या के महाराज दशरथ की पटरानी महारानी कौशल्या ने श्रीराम को जन्म दिया था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, ‘‘भगवान श्रीराम चंद्रमा के समान अति सुंदर, समुद्र के समान गंभीर और पृथ्वी के समान अत्यंत धैर्यवान थे तथा इतने शील संपन्न थे कि दुखों के आवेश में जीने के बावजूद कभी किसी को कटु वचन नहीं बोलते थे। वे अपने माता-पिता, गुरुजन, भाइयों, सेवकों, प्रजाजन अर्थात् हर किसी के प्रति अपने स्नेहपूर्ण दायित्वों का निर्वाह किया करते थे। माता-पिता के प्रति कर्तव्य पालन एवं आज्ञा पालन की भावना तो उनमें कूट-कूटकर भरी थी। उनकी कठोर से कठोर आज्ञा के पालन के लिए वे हर समय तत्पर रहते थे।’’

श्रीराम का चरित्र बेहद उदार प्रवृत्ति का था। उन्होंने उस अहिल्या का भी उद्धार किया, जिसे उसके पति ने एक बार पतित घोषित कर पत्थर की मूर्ति बना दिया था। जिस अहिल्या को निर्दोष मानकर किसी ने नहीं अपनाया, उसे श्रीराम ने अपनी छत्रछाया प्रदान की। लोगों को गंगा नदी पार कराने वाले एक मामूली से नाविक केवट की अपने प्रति अपार श्रद्धा व भक्ति से प्रभावित होकर भगवान श्रीराम ने उसे अपने छोटे भाई का दर्जा दिया और मोक्ष प्रदान किया। अपनी परम भक्त शबरी नामक भीलनी के झूठे बेर खाकर उसका कल्याण किया।

महारानी केकैयी ने महाराजा दशरथ से जब राम को 14 वर्ष का वनवास दिए जाने और अपने लाड़ले पुत्र भरत को राम की जगह राजगद्दी सौंपने का वचन मांगा तो दशरथ गंभीर धर्मसंकट में फंस गए थे। वे बिना किसी कारण राम को 14 वर्ष के लिए वनों में भटकने के लिए भला कैसे कह सकते थे और श्रीराम में तो वैसे भी उनके प्राण बसते थे। दूसरी ओर वचन का पालन करना रघुकुल की मर्यादा थी। ऐसे में जब श्रीराम को माता केकैयी के यह वचन मांगने और अपने पिता महाराज दशरथ के इस धर्मसंकट में फंसे होने का पता चला तो उन्होंने खुशी-खुशी उनकी यह कठोर आज्ञा भी सहज भाव से शिरोधार्य की और उसी समय 14 वर्ष का वनवास भोगने तथा छोटे भाई भरत को राजगद्दी सौंपने की तैयारी कर ली। श्रीराम के लाख मना किए जाने पर भी उनकी पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण भी उनके साथ वन को निकल पड़े।

वनवास की शुरुआत श्रृंगवेरपुर नामक स्थान से प्रारंभ कर वहां से वे भरद्वाज मुनि के आश्रम में चित्रकूट पहुंचे। उसके बाद विभिन्न स्थानों की यात्रा के दौरान पंचवटी में उन्होंने अपनी कुटिया बनाने का निश्चय किया। यहीं पर रावण की बहन शूर्पणखा की नाक काटे जाने की घटना हुई। उसी घटना के कारण वहां खर-दूषण सहित 14,000 राक्षस राम-लक्ष्मण के हाथों मारे गए। यहीं से श्रीराम व लक्ष्मण की अनुपस्थिति में लंका का राजा रावण माता सीता का अपहरण कर उन्हें अपने साथ लंका ले गया।

कहा जाता है कि जब सीता का विरह श्रीराम से नहीं सहा गया तो उन्होंने साधारण मनुष्य की भांति विलाप किया, लेकिन हिम्मत न हारते हुए सीता जी की खोज में राम-लक्ष्मण जंगलों में भटकने लगे। इसी दौरान उनकी भेंट अपने अनन्य भक्त हनुमान से हुई, जिन्होंने राम-लक्ष्मण को वानरराज बाली के छोटे भाई सुग्रीव से मिलवाया, जो उस समय बाली के भय से यहां-वहां छिपता फिर रहा था। श्रीराम ने बाली का वध करके सुग्रीव तथा बाली के पुत्र अंगद को किष्किंधा का राज्य सौंपा और उसके बाद सुग्रीव की वानर सेना की सहायता से लंका पर आक्रमण किया और रावण का वध कर सीता को उसके बंधन से मुक्त कराया और लंका पर खुद अपना अधिकार न जमाकर वहां शासन रावण के छोटे भाई विभीषण को सौंप दिया तथा वनवास की अवधि समाप्त होने पर भैया लक्ष्मण, सीता जी व हनुमान सहित अयोध्या लौट आए।

वास्तव में विधि के विधान के अनुसार राम को दुष्ट राक्षसों का विनाश करने के लिए ही वनवास मिला था। उन्होंने अपने मानव अवतार में न तो भगवान श्रीकृष्ण की भांति रासलीलाएं कीं और न ही कदम-कदम पर चमत्कारों का प्रदर्शन किया, बल्कि सृष्टि के समक्ष अपने क्रियाकलापों के जरिए ऐसा अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया, जिसकी वजह से उन्हें ‘मर्यादापुरुषोत्तम’ कहा गया।

जहां तक राम-रावण के बीच हुए भीषण युद्ध की बात है तो वह सिर्फ दो राजाओं के बीच का सामान्य युद्ध नहीं था, बल्कि दो विचारधाराओं का संघर्ष था, जिसमें एक मानव संस्कृति थी तो दूसरी राक्षसी। एक ओर क्षमादान की भावना को महत्व देने वाले व जनता के दुख-दर्द को समझने एवं बांटने वाले वीतरागी भाव थे, तो दूसरी ओर दूसरों का सब कुछ हड़प लेने की राक्षसी प्रवृत्ति। रावण अन्याय, अत्याचार और अनाचार का प्रतीक था, तो श्रीराम सत्य, न्याय एवं सदाचार के। यही नहीं, सीता जी के अपहरण के बाद भी श्रीराम ने अपनी मर्यादा को कभी तिलांजलि नहीं दी। उन्होंने इसके बाद भी रावण को एक महाज्ञानी के रूप में सदैव सम्मान दिया और यह इससे साबित भी हुआ कि रावण की मृत्यु से कुछ ही क्षण पूर्व श्रीराम ने लक्ष्मण को रावण के पास ज्ञानार्जन के लिए भेजा था।

श्रीराम में सभी के प्रति प्रेम की अगाध भावना कूट-कूटकर भरी थी। उनके प्रजा वात्सल्य, न्यायप्रियता और सत्यता के कारण ही उनके शासन को आज भी ‘आदर्श’ शासन की संज्ञा दी जाती है और आज भी अच्छे शासन को ‘रामराज्य’ कहकर परिभाषित किया जाता है। ‘रामराज्य’ यानी सुख, शांति एवं न्याय का राज्य। रामनवमी पर्व वास्तव में मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की गुरु सेवा, माता-पिता की सेवा व आज्ञापालन, जात-पात के भेदभाव को मिटाने, क्षमाशीलता, भ्रातृप्रेम, पत्नीव्रता, न्यायप्रियता आदि विभिन्न महान आदर्शों एवं गुणों को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा देता है।

योगेश कुमार गोयल (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Bhartiya Panchang

भारतीय पंचांग: ब्रह्मांडीय काल चक्र और सांस्कृतिक चेतना का आधार

Kedarnath Footpath ready

केदारनाथ का पुराना पैदल मार्ग फिर से खुला: रामबाड़ा से गरुड़ चट्टी तक 6 किमी का सफर

वर्ग में उपस्थित प्रशिक्षणार्थी

कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय का शुभारंभ

west about terrorism

पश्चिमी दुनिया और महाशक्तियों के द्वारा आतंकवाद के बारे में भेदभावपूर्ण कार्य

मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से लाया गया भारत

मुंबई 26/11 आतंकी हमला: तहव्वुर राणा के खिलाफ सरकार ने बनाई दिग्गजों वकीलों की स्पेशल टीम, NIA की तरफ से लड़ेंगे केस

कॉलेज में परीक्षा लेने आए प्रोफेसर अब्दुल अंसारी ने छात्राओं के हाथों में लिख दिया मोबाइल नंबर, गिरफ्तार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Bhartiya Panchang

भारतीय पंचांग: ब्रह्मांडीय काल चक्र और सांस्कृतिक चेतना का आधार

Kedarnath Footpath ready

केदारनाथ का पुराना पैदल मार्ग फिर से खुला: रामबाड़ा से गरुड़ चट्टी तक 6 किमी का सफर

वर्ग में उपस्थित प्रशिक्षणार्थी

कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय का शुभारंभ

west about terrorism

पश्चिमी दुनिया और महाशक्तियों के द्वारा आतंकवाद के बारे में भेदभावपूर्ण कार्य

मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से लाया गया भारत

मुंबई 26/11 आतंकी हमला: तहव्वुर राणा के खिलाफ सरकार ने बनाई दिग्गजों वकीलों की स्पेशल टीम, NIA की तरफ से लड़ेंगे केस

कॉलेज में परीक्षा लेने आए प्रोफेसर अब्दुल अंसारी ने छात्राओं के हाथों में लिख दिया मोबाइल नंबर, गिरफ्तार

Defence minister Rajnath Singh to visit Bhuj Airforce station

जम्मू कश्मीर के बाद आज भुज एयरफोर्स स्टेशन का दौरा करेंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

Operation sindoor

ऑपरेशन सिंदूर: ढेर हुआ कागजी शेर

गोष्ठी के मंच पर विराजमान वक्ता

नाहरलागुन में सुरक्षा पर गोष्ठी

Adani Airports holdings cancels partnership with Dragonpass

अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स ने चीनी कंपनी ड्रैगनपास के साथ साझेदारी समाप्त की

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies