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पाकिस्तान में कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) की तरफ से फ्रांस के राजदूत को देश से बाहर निकाले जाने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री इमरान खान सरकार के खिलाफ लाहौर, कराची समेत कई शहरों में हिंसात्मक प्रदर्शन जारी है। इन प्रदर्शन और उत्पात के बाद लाहौर पुलिस ने तहरीक-ए-लब्बैक के नेता साद हुसैन रिजवी को बीते मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी के विरोध में हजारों कट्टरपंथियों ने सड़कों पर आकर पुलिसकर्मियों पर हमला शुरू कर दिया था। बेकाबू भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछारें भी छोड़ी गई है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक हिंसा में कट्टरपंथी प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी है। वहीं तहरीक-ए-लब्बैक (टीएलपी) ने भी अपने 12 कट्टरपंथियों के मारे जाने का दावा किया है। इस इस पूरे तनाव के बाद लाहौर में भारी सुरक्षाबल तैनात है। चिंता की बात यह है कि इस सबके बीच टीएलपी के कट्टरपंथियों ने सड़कें जाम कर रखी हैं, जिससे लाहौर के गुरुद्वारा डेरा साहिब में करीब 815 भारतीय सिख श्रद्धालु फंसे हैं।
गुरुद्वारा पंजा साहिब के दर्शन करने गए हैं भारतीय सिख
बीते सोमवार को ही बैसाखी मनाने के लिए 815 भारतीय सिखों का जत्था वाघा बॉर्डर के जरिए पाकिस्तान पहुंचा है। ये सभी श्रद्धालु पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा पंजा साहिब के दर्शन करने जाने वाले थे। लेकिन वो अब तक गुरुद्वारे नहीं पहुंच सके हैं। न्यूज एजेंसी ने पाकिस्तान सरकार के एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि बीते मंगलवार को 25 बसों से इन सिखों को गुरुद्वारा पंजा साहिब ले जाया जा रहा था, लेकिन हिंसा भड़कने की वजह से सड़क बंद कर दी गई थी। इस वजह से सिख श्रद्धालु लाहौर में ही फंस गए हैं। पाकिस्तानी अधिकारी का कहना है कि बुधवार को सिखों को गुरुद्वारा पंजा साहिब पहुंचाने की कोशिश की जायेगी। हालांकि जानकारी के मुताबिक कराची में प्रदर्शनकारियों ने अभी भी सड़कें जाम कर रखी हैं। वहीं टीएलपी के प्रवक्ता तैयब रिजवी ने एक बयान जारी करके कहा है कि जब तक फ्रांस के राजदूत को देश से बाहर नहीं निकाला जाता है, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा
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