पश्चिम बंगाल : संस्कृति के शत्रु
May 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

पश्चिम बंगाल : संस्कृति के शत्रु

by WEB DESK
Apr 8, 2021, 01:20 pm IST
in भारत, पश्चिम बंगाल
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

चक्रधर त्रिपाठी

पश्चिम बंगाल की संस्कृति भारतवर्ष की सर्वाधिक समृद्ध संस्कृतियों में एक है। लेकिन विगत वर्षों में राज्य का दूसरा रूप ही देखने को मिल रहा है। जो धरा कभी ज्ञान, परंपरा, संगीत, कला, संस्कृति, भक्ति, साहित्य के लिए विख्यात थी, वह आज ‘कट-कमीशन-करप्शन, कट्टरपंथ’ के लिए जानी जा रही है।

यह वही धरा है, जहां चैतन्य महाप्रभु ने वैष्णव भक्ति की धारा ऐसी प्रवाहित की कि आज राज्य ही नहीं, समस्त हिन्दू समाज में उनके नाम को आदर-सम्मान से लिया जाता है। इसी तरह महाकवि कृतिवास की रामायण ने राम भक्ति, काशीराम के महाभारत ने कृष्ण-भक्ति और स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने अद्वैत दर्शन को जन-जन तक पहुंचाते हुए साकार ईश्वरोपासना की सार्थकता सिद्ध की।

वस्तुत: बंगाल की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का आधार ठीक वैसे ही है; जैसे उत्तर भारत में है। इसलिए कुछ लोग एवं उनकी पार्टी मानवता की सबसे सुंदर कृति रामायण को उत्तर भारत की परिधि तक सीमित करने की कुत्सित चेष्टा में लगे रहते हैं। देवी-देवताओं को राज्य की परिधि में बांटने का दुश्चक्र राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा किया ही जा चुका है, जिसे हम सभी ने देखा और सुना है। क्या देवी-देवताओं को किसी भाषा, प्रांत, क्षेत्र, वर्ग तक सीमित रखा जा सकता है ? क्या यह जान-बूझकर सनातन समाज को बांटने की साजिश नहीं है?

आधुनिक युग में बांग्ला साहित्य का उत्थान 19वीं सदी के मध्य से शुरू हुआ। इसमें राजा राममोहन राय, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, प्यारी चांद मित्र, मधुसूदन दत्त, बंकिम चंद्र चटर्जी, रवींद्रनाथ ठाकुर, काजी नजरुल इस्लाम, बेगम रोकैया, मीर मुसहरफ हुसैन, शरत चंद्र चट्टोपाध्याय और ताराशंकर वंद्योपाध्याय ने अग्रणी भूमिका निभाई।
भक्ति-काव्य के अंतर्गत चर्यापद, मंगलकाव्य, वैष्णव पदावली, अनुवाद साहित्य, शाक्त पदावली कृतिबास रामायण आदि ने साहित्य-सृजन के माध्यम से बंगाल की संस्कृति को सुदृढ़ बनाया। विगत 200 वर्षों में रचित बांग्ला के विपुल साहित्य को बंगाल की समृद्ध संस्कृति की नींव के रूप में स्वीकारा जा सकता है।

संगीत एवं नृत्य के क्षेत्र में मुर्शिदाबाद घराना, विष्णुपुर घराना, बाउल गायन, शांतिनिकेतन घराना अथवा रवींद्र घराने के अतुलनीय योगदान को भुलाया नहीं जा सकता; जिन्होंने बंगाल की संस्कृति को यथेष्ट पोषण दिया। बंगाल की कला के अंतर्गत विष्णुपुर का टेराकोटा भित्तिचित्र, विष्णुपुर पुरुलिया एवं मेदिनीपुर के पट्टचित्र, अबनींद्रनाथ ठाकुर, गगनेंद्रनाथ ठाकुर एवं रवींद्रनाथ ठाकुर तथा सुनयनीदेवी की, चित्रकला में नंदलाल बसु, विनोद बिहारी मुखोपाध्याय, यामिनी राय तथा भास्कर्य में रामकिंकर बैज की महती भूमिका रही है। शिक्षा में राममोहन राय, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, विवेकानंद, रवींद्रनाथ, महर्षि अरविंद की भूमिका सराहनीय रही है। धर्म एवं अध्यात्म के क्षेत्र में चैतन्य महाप्रभु, स्वामी रामकृष्ण, शारदा मां, स्वामी विवेकानंद, स्वामी प्रणवानंद आदि ने बंगाल की संस्कृति को यथेष्ट बल दिया। इतनी समृद्ध सांस्कृति विरासत वाले राज्य की संस्कृति दिन-प्रतिदिन धूमिल होती जा रही है। या यूं कहें कि जान-बूझकर बंगाल की सभ्यता, परंपरा, संस्कृतिक को मिटाने, भुलाने की साजिशें रची जा रही हैं। स्कूलों में सरस्वती की प्रार्थना को बंद कराना, झूठे साहित्य को बच्चों की किताबों में डलवाना और फिर उन्हें स्कूलों में पढ़वाने को क्या कहा जाए?

संस्कृति पर हमला पुराना
ज्ञातव्य है कि बंगाल की संस्कृति पर आक्रमणों का सिलसिला पुराना है। यह क्रम तुर्की हमलावर बख्तियार खिलजी से शुरू होता है, जिसने बंगाल में हिंदू धर्म पर हमला करते हुए कन्वर्जन के माध्यम से बंगाल की संस्कृति को मिटाने का प्रयास किया और अपना साम्राज्य विस्तार किया। फिर अंग्रेजों ने धर्म को छोड़कर शिक्षा की आड़ में बंगाल की संस्कृति को समाप्त करना, विकृत करना चाहा। इसके बाद आई कांग्रेस ने तो धर्म के आधार पर देश-विभाजन करते हुए बंगाल में धर्म पर हमला किया। शिक्षा, संस्कृति एवं इतिहास को विकृत कर अपना वोट बैंक मजबूत किया। इस दौरान हिन्दू समाज के खिलाफ हर स्तर पर षड्यंत्र रचे गए। फिर वामपंथी आए तो उन्होंने पंथनिरपेक्षता एवं मार्क्सवाद के हथियार से बंगाल की संस्कृति और देशभक्ति पर 1977 से 2010 तक सरकार में रहते हुए प्रहार किया। और बंगालियों को यह शिक्षा दी कि वे ‘श्रमिक दल’ के लोग हैं, मालिक के विरुद्ध लड़ने वाली पार्टी के कार्यकर्ता हैं। उन्होंने पाश्चात्य शिक्षा को हथियार बनाते हुए बंगाल की संस्कृति, अस्मिता, चिंतन-प्रक्रिया को बदल डालने का प्रयास किया और बहुत हद तक इसमें सफलता भी पाई।

तुष्टीकरण को बनाया हथियार
तृणमूल कांग्रेस बंगाल पर 2011 से राज कर रही है। यह एक ऐसी पार्टी है, जो आदर्शरहित, सिद्धांतहीन, सत्तालोलुप तो है ही बल्कि उसने सत्तासीन होने के लिए तुष्टीकरण को बखूबी हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया। सत्ता आते ही ‘सत्तालोभ’ में अंधी बनकर बंगाल की गौरव-गाथा को पूरी तरह कुचल डाला। जो राज्य अपने विचारों, नेतृत्व, समाज-सेवा, विद्या-चर्चा, मानव-बोध, मानवता, अध्यात्म और संगीत-नृत्य-कला के लिए पूरे देश-दुनिया में जाना जाता था, उसके परिवेश को बदला। समाज में उन्माद को बढ़ावा दिया, शिक्षा-संस्कृति को तहस-नहस किया, कट-कमीशन के लिए खून-खराबा कराया, गुंडागर्दी की। चाहे घर बनवाना हो, खरीदना या बेचना हो, जमीन खरीदनी या बेचनी हो, नौकरी लेनी हो, कॉलेज या यूनिवर्सिटी में में दाखिला लेना हो, लाइसेंस लेना हो, स्कूल का मिडडे मील हो, सब जगह भ्रष्टाचार ने पैर पसार लिए। हर काम का दाम तय हो गया। अगर किसी आमजन ने इस कार्य प्रणाली का विरोध किया तो काम होना तो दूर, उसे तृणमूल के गुंडों से जान बचाने की भीख मांगनी पड़ी। यह सब दुर्दशा हुई ममता राज में।

शिक्षा पर कुठाराघात
बंगाल की संस्कृति को मिटाने की साजिश के सन्दर्भ में विद्यालयों के पाठ्यक्रम को देखा जा सकता है। पहले तो वामपंथियों ने शिक्षा के निजीकरण पर बल देते हुए अंग्रेजी शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया तथा छद्म पंथनिरपेक्षता का नारा बुलंद किया और तृणमूल ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए स्कूली पाठ्यक्रम के इस्लामीकरण पर बल दिया। गणित में लिखा गया- ‘रहीम चाचा गोश्त खरीदने गया।’ इंद्रधनुष या रामधनु को ‘रंगधनु’ बनाया गया। पाठ्यपुस्तकों में इस्लामिक नामों पर बल दिया गया। कुल मिलाकर इन सभी का एक ही उद्देश्य था कि बंगाल की जो मूल संस्कृति है, उसे नष्ट करके वोट बैंक की एक ऐसी फसल खड़ी की जाए, जो उनके इशारों पर काम करे। इसके लिए जो भी किया जा सकता था, इन दलों ने किया। आज बंगाल की जनता के पास सुनहरा मौका है जब वह राज्य की संस्कृति के साथ खिलवाड़ करने वाले तमाम षड्यंत्रकारियों को पहचानकर सही जवाब दे सकती है। ऐसा करने से बंगाल की अस्मिता, गरिमा, शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य, प्रशासन, पारिवारिक एवं सामाजिक सौहार्द तथा धार्मिक सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकेगा।
(लेखक विश्वभारती विवि, शान्तिनिकेतन में प्राध्यापक हैं)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी रद, भारत सरकार का बड़ा एक्शन, तुर्किये के राष्ट्रपति की बेटी की है कंपनी

आतंकी आमिर नजीर वानी

आतंकी आमिर नजीर वानी की मां ने कहा था सरेंडर कर दो, लेकिन वह नहीं माना, Video Viral

Donald trump want to promote Christian nationalism

आखिरकार डोनाल्ड ट्रंप ने माना- ‘नहीं कराई भारत-पाक के बीच मध्यस्थता’

प्रतीकात्मक चित्र

पाकिस्तान फिर बेनकाब, न्यूक्लियर संयंत्र से रेडियेशन का दावा झूठा, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने दी रिपोर्ट

Boycott Turkey : जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने तोड़े तुर्किये से संबंध, JNU सहित ये संस्थान पहले ही तोड़ा चुकें हैं नाता

Waqf Board

वक्फ संशोधन कानून पर फैलाया जा रहा गलत नैरेटिव : केंद्र सरकार 

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी रद, भारत सरकार का बड़ा एक्शन, तुर्किये के राष्ट्रपति की बेटी की है कंपनी

आतंकी आमिर नजीर वानी

आतंकी आमिर नजीर वानी की मां ने कहा था सरेंडर कर दो, लेकिन वह नहीं माना, Video Viral

Donald trump want to promote Christian nationalism

आखिरकार डोनाल्ड ट्रंप ने माना- ‘नहीं कराई भारत-पाक के बीच मध्यस्थता’

प्रतीकात्मक चित्र

पाकिस्तान फिर बेनकाब, न्यूक्लियर संयंत्र से रेडियेशन का दावा झूठा, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने दी रिपोर्ट

Boycott Turkey : जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने तोड़े तुर्किये से संबंध, JNU सहित ये संस्थान पहले ही तोड़ा चुकें हैं नाता

Waqf Board

वक्फ संशोधन कानून पर फैलाया जा रहा गलत नैरेटिव : केंद्र सरकार 

कोलकाता में फर्जी पासपोर्ट रैकेट में बड़ा खुलासा, 37 ने बनवाए पासपोर्ट और उनका कोई अता-पता नहीं

प्रतीकात्मक तस्वीर

ऑपरेशन सिंदूर: प्रतीकों की पुकार, संकल्प की हुंकार

पंजाब में कानून व्यवस्था ध्वस्त : विदेशी छात्र की चाकुओं से गोदकर हत्या

ये साहब तो तस्कर निकले : पंजाब में महिला पुलिसकर्मी के बाद अब DSP गिरफ्तार, जेल से चलता था ड्रग्स का व्यापार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies