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आंदोलन खत्म कराने उतरे स्थानीय लोग

by WEB DESK
Apr 7, 2021, 01:17 pm IST
in भारत
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पाञ्चजन्य ब्यूरो

कथित किसान आंदोलन अब लोगों के लिए सिरदर्द बन गया है। दिल्ली-हरियाणा सीमा से सटे गांवों व मोहल्ले के लोग रास्ता खुलवाने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं। स्थानीय लोगों के विरोध के कारण प्रदर्शनकारियों के साथ टकराव की स्थिति उत्पन्न होने लगी है। इस कारण, किसान संगठनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। लिहाजा, स्थानीय निवासियों के साथ टकराव टालने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलनकारियों को नसीहतें दे रहा है और स्थानीय लोगों से माफी भी मांग रहा है। दरअसल, प्रदर्शनकारी तीनों कृषि कानून को रद्द कराने की मांग को लेकर चार महीने से कुंडली बॉर्डर पर जीटी रोड जाम लगाए बैठे हैं। अब सिंघु बॉर्डर को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है, जिससे लोग पैदल आवाजाही भी नहीं कर पा रहे। वहीं, जीटी रोड के पूरी तरह से ठप होने के कारण सड़क के दोनों ओर के हजारों दुकानदारों, ढाबा संचालक, रेहड़ी-पटरी लगाकर गुजारा करने वाले लोगों के रोजगार पर संकट मंडराने लगा है। जीटी रोड के किनारे स्थित मॉल व संस्थानों-प्रतिष्ठानों को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं रोजाना हरियाणा-दिल्ली से आवाजाही करने वाले नौकरीपेशा लोगों को भी परेशानी हो रही है।

‘किसान आंदोलन’ से सबसे अधिक परेशानी दिल्ली-हरियाणा सीमा से सटे दर्जनों गांवों और कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को हो रही है। जीटी रोड बंद होने के कारण उन्हें दूसरे रास्ते से घूमकर दिल्ली आना पड़ता है, जिसमें अधिक समय लगता है और जो खर्चीला भी है। 26 मार्च को ‘भारत बंद’ आह्वान के बाद सिंघु बॉर्डर बंद करने पर आसपास के गांवों और मोहल्लों के लोग वहां पहुंचे। सीमा खुलवाने को लेकर उनकी प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प भी हुई। इससे पूर्व 29 जनवरी को सिंघु बॉर्डर खाली कराने को लेकर भी स्थानीय निवासियों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हो चुकी है। इस दौरान हुए पथराव में कई पुलिसकर्मी घायल भी हुए थे। बहरहाल, ताजा झड़प के बाद दिल्ली पुलिस ने एहतियातन सिंघु बॉर्डर की बैरिकेडिंग को ढाई किलोमीटर आगे बढ़ाकर सीमा को बंद कर दिया है। साथ ही, बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है, जिससे गाड़ियों की आवाजाही तो दूर, लोगों का पैदल आना-जाना भी पूरी तरह बंद हो गया है। इस कारण दिल्ली से हजारों की संख्या में नौकरी के लिए कुंडली जाने वाले लोगों के सामने रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया है। इनमें बड़ी संख्या में दिहाड़ी मजदूर हैं। पहले ये लोग सिंघु बॉर्डर से पहले पड़ने वाले गांव से होकर कुंडली चले जाते थे। इसके अलावा, सीमा बंद होने से किसानों की परेशानियां भी बढ़ गई हैं।

हरियाणा के गन्नौर से कुंडली तक यमुना के किनारे बड़े पैमाने पर सब्जियों की खेती होती है। इन सब्जी उत्पादकों के लिए दिल्ली ही सबसे बड़ा बाजार है, क्योंकि यहां उन्हें फसल की अच्छी कीमत मिल जाती है। लेकिन दिल्ली सीमा बंद हो जाने के बाद उन्हें मजबूरी में अपनी सब्जियों को स्थानीय मंडी में औने-पौने दामों में बेचना पड़ रहा है। जो लोग दूसरे रास्ते से घूम कर दिल्ली तक अपनी सब्जियां पहुंचा भी रहे हैं तो उन्हें मुनाफा नहीं हो रहा, क्योंकि ढुलाई पर लागत बढ़ जाती है। किसानों का कहना है कि बातचीत के बाद सरकार अगर आंदोलनकारियों को आश्वासन दे रही है तो उन्हें भी जिद छोड़कर रास्ता खोल देना चाहिए। ग्यासपुर (सोनीपत) के एक किसान मुकीम पीरागढ़ी गांव में यमुना के किनारे ठेके पर सब्जियों की खेती करते हैं। लॉकडाउन के दौरान उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार उन्होंने यह सोचकर एक एकड़ खेत में गाजर की फसल लगाई कि उन्हें मुनाफा होगा, लेकिन ‘किसान आंदोलन’ के कारण रास्ते बंद होने के कारण उनकी फसल दिल्ली नहीं पहुंच पा रही है। इससे उन्हें फिर से नुकसान का डर सताने लगा है, क्योंकि स्थानीय मंडी में न तो गाजर की इतनी खपत है और न ही उचित भाव मिल रहा है।

कुछ दिन पूर्व ग्रामीणों और कॉलोनीवासियों ने शिकायत दर्ज कराई थी कि नशे में धुत आंदोलनकारी गाड़ियों और ट्रैक्टरों में तेज गाने बजाते हुए गांवों की गलियों और कॉलोनियों में घूमते हैं। जीटी रोड जाम होने के कारण बड़ी संख्या में गाड़ियां उनके गांवों और कॉलोनियों से होकर गुजर रही हैं, जिससे वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ गया है। गांवों में किसानों की सब्जियों पर धूल की परत जम जाती है, जिससे उनकी फसल खराब हो रही है। इधर, स्थानीय लोगों के साथ आंदोलनकारियों के टकराव के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने स्थानीय निवासियों से माफी मांगी और आंदोलन के दौरान उनसे मिले सहयोग की सराहना की। साथ ही, मोर्चा पर्चे जारी करने के साथ सोशल मीडिया के जरिए भी आंदोलनकारियों से अपील कर रहा है कि वे स्थानीय लोगों की परेशानी का कारण न बनें। उपद्रवी आंदोलनकारियों पर निगरानी के लिए एक टीम भी गठित की गई है। इसके अलावा, कुछ मोबाइल नंबर भी जारी किए गए हैं। 28 मार्च की झड़प के बाद भारतीय किसान एकता मंच के नेता बूटा सिंह शादीपुर ने कहा कि ‘भारत बंद’ प्रभावी रहा, लेकिन कुछ शरारती आंदोलनकारियों ने आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। उन्होंने पैदल यात्रियों को तंग किया और उनके साथ झगड़े भी किए। यहां तक कि गर्भवती महिलाओं को भी रोका गया। उन्होंने इसकी निंदा करते हुए इसे शर्मनाक बताया।

कुल मिलाकर कथित किसान आंदोलन किसानों और सीमा के आसपास रहने वाले लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। अभी तक लोग चुप थे, क्योंकि थोड़ी-बहुत परेशानी के बावजूद उनका काम रुक नहीं रहा था। स्थानीय लोगों के बढ़ते विरोध के कारण किसान संगठन सहम गए हैं। उन्हें यह डर सताने लगा है कि स्थानीय लोगों का विरोध अगर मुखर हुआ तो उन्हें अपना बोरिया-बिस्तर समेटना पड़ जाएगा।

जाम पर सख्त सर्वोच्च न्यायालय
‘किसान आंदोलन’ के कारण नोएडा—गाजियाबाद सीमा पर भी जाम से लोग परेशान हैं। इसे लेकर सर्वोच्च न्यायालय में कई याचिकाएं लंबित हैं। नोएडा की मोनिका अग्रवाल ने भी एक याचिका दायर की थी, जिस पर 30 मार्च को वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार व दिल्ली पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर नोएडा से दिल्ली के बीच सड़क खाली कराने का निर्देश दिया है। साथ ही, गाजियाबाद, कौशांबी की यातायात अव्यवस्था पर उत्तर प्रदेश व दिल्ली के उच्च अधिकारियों की नौ सदस्यीय समिति गठित कर यातायात प्रबंधन योजना भी मांगी है। मोनिका ने अदालत से रास्ता खुलवाने की गुहार लगाते हुए कहा था कि नोएडा से दिल्ली जाने में मात्र 20 मिनट लगते हैं, किंतु जाम के कारण सफर दो घंटे का हो गया है। सुनवाई के दौरान मोनिका ने कहा कि पूर्व में माननीय न्यायालय की ओर से सड़कें बाधित नहीं करने को लेकर कई महत्वपूर्ण फैसले दिए जा चुके हैं, पर स्थानीय प्रशासन ने इन पर अमल नहीं किया। इस पर अदालत ने नोटिस जारी कर सभी संबंधित पक्षों को निर्देश का पालन करने व 9 अप्रैल तक उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी। बता दें कि न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने ही नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शाहीन बाग धरने से जुड़ी एक जनहित याचिका पर रास्ता खुलवाने का निर्देश दिया था।

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