सलीब पर नानक की धरती
May 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत पंजाब

सलीब पर नानक की धरती

by WEB DESK
Apr 5, 2021, 01:05 pm IST
in पंजाब
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

राकेश सैन

‘‘पेटी…पेटी…पेटी…गिद्दा तां सजदा,
जदों नच्चे इशु दास दी बेटी।’’
यह नजारा है देश के आखिरी कस्बे अटारी के गांव दोस्तपुर का, जो कंटीली तार के साथ सटा है। दिसंबर 2012 में यहां के एक स्कूल में ‘सरहद को प्रणाम’ रंगारंग कार्यक्रम चल रहा था। देश के विभिन्न हिस्सों से आए युवाओं के साथ मुझे सीमावर्ती जिलों अमृतसर व गुरदासपुर के गांवों में घूमने का अवसर मिला। परंपरागत हिंदू-सिख पहनावे वाली बच्चियों के इस आत्मीयता के साथ ईसा का नाम लेने से सबको हैरानी हुई। यही नहीं, सैन्य अधिकारियों के नेतृत्व में जब राष्ट्रीय एकता प्रदर्शित करने वाली मानव शृंखला बनाई गई तो किशोर व युवा ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम्’ के साथ ‘हेलिलुइया-हेलिलुइया’ के नारे भी लगाने लगे। पगड़ी, पटकाधारी सिख व हिंदू युवाओं के मुंह से ‘सत् श्रीअकाल’ की जगह ‘हेलिलुइया’ सुनकर जैसे पैरों तले जमीन ही सरक गई थी। इसी के साथ मन में आशंकाओं के बादल घुमड़ने लगे थे। पर गांवों में घूमने के दौरान जगह-जगह कुकुरमुत्ते की तरह उग आए गिरजाघर देखने के बाद सब समझ में आ गया।

राज्य में ईसाई आबादी 10 प्रतिशत!
प्राचीन काल में सप्तसिंधु नाम से विख्यात पंजाब में 5 नदियां बहती हैं। आजकल छठा दरिया नशाखोरी का और सातवां ईसाइयत का भी बह रहा है। हालांकि इन दोनों ही खतरों को गंभीरता से नहीं लिया गया है। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब के ईसाई नेता एवं पास्टर इमैनुअल रहमत मसीह ने राजनीतिक दलों से अपने समाज के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व की मांग करते हुए यह दावा किया था कि राज्य में ईसाइयों की आबादी 7 से 10 प्रतिशत हो चुकी है और उन्हें इसी अनुपात में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में ईसाइयों की आबादी मात्र 1.26 प्रतिशत है। राज्य में ईसाई गतिविधियां 2008 से शुरू हुर्इं। जालंधर के पास खांबड़ा गांव में मौजूद चर्च के पास्टर अंकुर नरूला ने जब ईसाइयत का प्रचार शुरू किया, तब मुठ्ठी भर लोग ही आते थे। अंकुर नरूला ने भी माना है कि 2018 तक अनुयायियों की संख्या बढ़कर 1.20 लाख हो गई। अनुमान है कि वर्तमान में यह संख्या डेढ़ लाख और यहां आने वाले लोगों की संख्या 3-4 लाख पार कर चुकी है। केवल अंकुर नरूला ही नहीं, कंचन मित्तल, बजिंद्र सिंह, रमन हंस आदि हिंदू-सिख नामों वाले पास्टर, प्रोफेट्स व एपोस्टले बड़ी संख्या में हिंदुओं-सिखों को कन्वर्ट कर रहे हैं, पर राज्य व देश के मीडिया में इस पर चर्चा नहीं होती। वहीं, हफिंगटन पोस्ट सहित कई विदेशी अखबारों में कन्वर्जन की खबरें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें विस्तार से बताया गया है कि किस तरह पंजाब में हिंदू-सिख विशेषकर वंचित समाज के लोग अपना धर्म-पंथ छोड़ रहे हैं।

चर्च में मतभेद, कन्वर्जन पर एकमत
पंजाब में मौजूद दर्जनों तरह के चर्च के बीच परस्पर चाहे जितने मतभेद हों, परंतु कन्वर्जन या इससे जुड़ी गतिविधियों पर वे एकमत नजर आते हैं। इन सभी चर्च के पास हजारों-लाखों की संख्या में अनुयायी हैं। इनमें से अधिकांश ‘एजेंट’ का काम भी करते हैं। इनके अलावा, स्वतंत्र चर्च का भी राज्य में अभिनव प्रयोग देखने को मिल रहा है। अमृतसर की कम आबादी वाले गुराला गांव में सड़क से कुछ हट कर करनैल सिंह प्रवचन देते हैं और गिरजाघर जाने वाले अपने अनुयायियों से जोर से कहते हैं, ‘यीशु महान है।’ करीब 150 औरतों और पुरुषों की भीड़ उसे दोहराती है। पास में शोर मचाता जेनरेटर, एक मारुति वैन और दीवार पर ईसा मसीह का एक पोस्टर दिख रहा है। करनैल सिंह के गिरजाघर का नाम ‘चर्च आॅफ जीसस लव’ है। वे उन हजारों पादरियों में से एक हैं, जो पूरे देश में अवतरित हो गए हैं। वे बाइबिल के उपदेशों को अलग तरह से पेश कर रहे हैं। करनैल का कन्वर्जन कराने का तरीका भी अलग है। सिख पंथ छोड़कर ईसाइयत अपनाने वाले करनैल पिछले 10 साल से इस मत का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। वे कहते हैं, ‘‘पिछले एक साल से मेरे चर्च में लोगों की संख्या बढ़ने लगी है। मैं अपना चर्च चलाता हूं। किसी मुख्यधारा के चर्च को रिपोर्ट करना नहीं चाहता। मैं सिर्फ ईश्वर को रिपोर्ट करता हूं।’’ यही 58 वर्षीय करनैल पहले खेतों में काम करते थे, लेकिन अब अपने उपदेशों के साथ संगीत का मिश्रण करते हैं। उनकी बेटियों ने हाल ही में बाइबिल उपदेशक बनने के लिए डिप्लोमा किया है।

काम वही, तरीके बदले
इस तरह के चर्च को ‘बिलीवर्स चर्च’ कहा जाता है, जिसकी शुरुआत टेक्सास स्थित गॉस्पल फॉर एशिया (जीएफए) ने की थी। जीएफए के प्रयासों से राज्य में बड़ी संख्या में चर्च बन गए हैं। जीएफए ‘प्लांटिंग मूवमेंट’ चलाता है। इसके तहत नई जगह पर चर्च बनाकर वहां पादरी की व्यवस्था कर दी जाती है और फिर गांव-गांव कन्वर्जन का सिलसिला शुरू हो जाता है। खास बात यह है कि ऐसे चर्च में सारी गतिविधियां स्थानीय रीति-रिवाज के अनुसार होती हैं। इससे आम लोगों को पता नहीं चलता कि वे ईसाइयत के चंगुल में फंसने जा रहे हैं। पादरी ईसाइयत के प्रचार को ‘सत्संग’, यीशु को ‘गुरु’ आदि नामों से संबोधित करते हैं और बाकायदा लंगर भी लगाते हैं। यहां तक कि वे सिखों, विशेषकर वंचित सिखों को आकर्षित करने के लिए कई-कई बार गुरु पर्व का आयोजन भी करते हैं। इनके झांसे में आम लोग ही नहीं, गुरुद्वारों के संचालक तक आ जाते हैं। हाल में गुरदासपुर के एक गुरुद्वारे में क्रिसमस के मौके पर लंगर लगाते हुए वीडियो वायरल हुआ। गुरुद्वारे में ईसा मसीह के भजन भी गाए गए। किसी ने इसे फेसबुक पर लाइव कर दिया तो इलाके में कोहराम मच गया। फेसबुक लाइव करने वाले युवक को गुरुद्वारे से जुड़े लोगों ने खूब डांटा-फटकारा।

कन्वर्जन के बाद वंचितों को आरक्षण का लाभ मिलना बंद हो जाता है, क्योंकि संविधान के अनुसार, आरक्षण का लाभ केवल जातिगत आधार पर दिया जा सकता है, पांथिक आधार पर नहीं। लेकिन इसकी काट भी ढूंढ ली गई है। कन्वर्ट होने वाले हिंदुओं-सिखों से न तो पहनावा बदलने का कहा जाता है, न केश, दाढ़ी, पगड़ी पर रोक लगाई जाती है और न ही उनके लिए गले में क्रॉस पहनने की बाध्यता होती है। यदि कोई क्रॉस पहनता भी है तो उसे कपड़ों के नीचे छिपाकर रखता है। अलबत्ता, ये लोग अपने घरों में यीशु की फोटो के सामने प्रतिदिन मोमबत्ती जलाते हैं। अभी ‘किसान आंदोलन’ के दौरान क्रॉस वाले सिखों ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं।

इन चर्चों की कार्य प्रणाली एजेंटों और आसपास की परिस्थितियों पर निर्भर करती है। ये आर्थिक रूप से परेशान, गृह क्लेश, बीमारी से परेशान लोगों को चिह्नित करते हैं। फिर परेशानियों का निवारण करने के नाम पर उन्हें चर्च ले जाया जाता है, जहां तरह-तरह के पाखंड व अंधविश्वासों के जरिए इन लोगों का ‘ब्रेन वॉश’ किया जाता है। धीरे-धीरे अपनी परंपरागत आस्था से टूट कर व्यक्ति कब यीशु को अपना मुक्तिदाता स्वीकार कर लेता है, उसे पता तक नहीं चल पाता। पंजाब के जालंधर, लुधियाना, बटाला, अमृतसर आदि औद्योगिक नगरों में काम करने वाले दूसरे राज्यों के श्रमिक परिवार आसानी से इनके झांसे में आ जाते हैं। कोरोना काल के दौरान प्रवासी श्रमिकों पर चर्च का प्रभाव बढ़ा है। इनकी बस्तियों के आसपास बड़ी संख्या में छोटे-छोटे चर्च खुल गए हैं। ये चर्च दिव्यांगों और मानसिक रोगियों का इलाज प्रार्थना से करने का दावा करते हैं। इसके लिए वे पहले से अपने लोगों को ऐसे मरीजों के रूप में बैठाते हैं और फिर उनसे परेशानी पूछते हैं। इसके बाद कोई पास्टर या पादरी यीशु से प्रार्थना करता है। प्रार्थना के बाद उनके कथित बीमार अनुयायी बीमारी ठीक होने का दावा करना शुरू कर देते हें। इस ‘जादू’ का असर वहां मौजूद भोले-भाले और कम पढ़े-लिखे लोगों पर पड़ता है और वे उनके झांसे में आ जाते हैं। इस तरह ईसाइयत का पाखंड व्यक्ति दर व्यक्ति बढ़ता जाता है।

38 तरह के चर्च सक्रिय
सबसे पहले 1834 में ईसाई प्रचारक के रूप में ब्रिटिश नागरिक जॉन लॉरी एवं विलियम्स रीड पंजाब आए और अमृतसर में ‘चर्च आॅफ नॉर्थ इंडिया’ की स्थापना की। इसके बाद जालंधर में कैथोलिक चर्च और बाद के वर्षों में यूनाइटेड चर्च आॅफ इंडिया, प्रोटेस्टेंट चर्च, मेथोडिस्ट चर्च, प्रेसबिटेरियन चर्च, रोमन कैथोलिक चर्च, इंटरनल लाइट मिनिस्ट्रीज, कश्मीर एवांजेलिकल फेलोशिप, पेंटिकोस्टल मिशन, इंडिपेंडेंट आदि चर्च की स्थापना हुई। वर्तमान में राज्य में 38 तरह के चर्च काम कर रहे हैं। स्वतंत्रता पूर्व ईसाइयों की संख्या तेजी से बढ़ी, पर विभाजन के बाद अधिकतर ईसाई पश्चिमी पाकिस्तान में रह गए। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, विभाजन से पूर्व पंजाब में 5,11,299 ईसाई थे। विभाजन के बाद 4,50,344 ईसाई पाकिस्तान में रह गए और 60,955 भारत में। 2001 की जनगणना के अनुसार राज्य में 2,92,800 ईसाई थे, जो 2011 में बढ़कर 3,48,230 हो गए जो कुल आबादी का 1.26 प्रतिशत थे। इस जनगणना के अनुसार, अमृतसर में 2.18, गुरदासपुर में 7.68, जालंधर में 1.19 प्रतिशत इसाई रहते हैं। इन जिलों में ईसाइयों की आबादी अधिक होने का कारण यह है कि यहां उद्योग और सैन्य छावनियां थीं।

अंग्रेज सैन्य अधिकारी कन्वर्जन के लिए पादरियों को काफी प्रोत्साहित करते थे ताकि कन्वर्टेड लोगों का प्रयोग स्वतंत्रता संग्राम के विरुद्ध किया जा सके। इसके अलावा, अंग्रेजों ने अपने उद्योगों में नौकरी देते के लिए भी कन्वर्जन को आधार बनया। मजबूरी में गरीब लोग ईसाई बनते चले गए। छापाखाना के आविष्कार के बाद सूबे में ईसाई साहित्य उर्दू व गुरमुखी में छापना आसान हो गया जिससे बड़ी तेजी से राज्य में ईसाइयत का प्रचार-प्रसार हुआ।

सेवा करने से रोकते हैं ईसाई
अगर आप हिंदू-सिख हैं और गरीबों की सेवा करना चाहते हैं तो इसकी गारंटी नहीं है कि आप आसानी से ऐसा कर सकते हैं। कम से कम जालंधर पब्लिक स्कूल (गदईपुर) की प्राचार्या श्रीमती राजपाल कौर का तो यही अनुभव है। श्रीमती कौर ने बताया कि वे भगत सिंह कॉलोनी के पास झुग्गी-झोंपड़ी में गुरुकुल नामक स्कूल खोलना चाहती थीं ताकि गरीब बच्चों को पढ़ाया जा सके। इसके लिए उन्होंने एक महिला अध्यापिका की व्यवस्था की, परंतु जब उक्त अध्यापिका बच्चों को पढ़ाने जाती तो वहां आने वाले ईसाई उसे परेशान करते। तंग आकर श्रीमती कौर ने इसकी शिकायत पुलिस को की, तब जाकर बात बनी। वर्तमान में स्कूल सफलतापूर्वक चल रहा है और कई दर्जन परिवारों के बच्चे यहां पढ़ते हैं।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ऑपरेशन सिंदूर के बाद असम में कड़ा एक्शन : अब तक 53 पाकिस्तान समर्थक गिरफ्तार, देशद्रोहियों की पहचान जारी…

jammu kashmir SIA raids in terror funding case

कश्मीर में SIA का एक्शन : पाकिस्तान से जुड़े स्लीपर सेल मॉड्यूल का भंडाफोड़, कई जिलों में छापेमारी

बागेश्वर बाबा (धीरेंद्र शास्त्री)

पाकिस्तान बिगड़ैल औलाद, जिसे सुधारा नहीं जा सकता : पंडित धीरेंद्र शास्त्री

शतरंज खेलना हराम है… : तालिबान ने जारी किया फतवा, अफगानिस्तान में लगा प्रतिबंध

चित्र प्रतीकात्मक नहीं है

पाकिस्तान पर बलूचों का कहर : दौड़ा-दौड़ाकर मारे सैनिक, छीने हथियार, आत्मघाती धमाके में 2 अफसर भी ढेर

प्रतीकात्मक चित्र

पाकिस्तान में बड़ा हमला: पेशावर में आत्मघाती विस्फोट, बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सैनिकों के हथियार छीने

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ऑपरेशन सिंदूर के बाद असम में कड़ा एक्शन : अब तक 53 पाकिस्तान समर्थक गिरफ्तार, देशद्रोहियों की पहचान जारी…

jammu kashmir SIA raids in terror funding case

कश्मीर में SIA का एक्शन : पाकिस्तान से जुड़े स्लीपर सेल मॉड्यूल का भंडाफोड़, कई जिलों में छापेमारी

बागेश्वर बाबा (धीरेंद्र शास्त्री)

पाकिस्तान बिगड़ैल औलाद, जिसे सुधारा नहीं जा सकता : पंडित धीरेंद्र शास्त्री

शतरंज खेलना हराम है… : तालिबान ने जारी किया फतवा, अफगानिस्तान में लगा प्रतिबंध

चित्र प्रतीकात्मक नहीं है

पाकिस्तान पर बलूचों का कहर : दौड़ा-दौड़ाकर मारे सैनिक, छीने हथियार, आत्मघाती धमाके में 2 अफसर भी ढेर

प्रतीकात्मक चित्र

पाकिस्तान में बड़ा हमला: पेशावर में आत्मघाती विस्फोट, बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सैनिकों के हथियार छीने

स्वामी विवेकानंद

इंदौर में स्वामी विवेकानंद की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी स्थापित, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने किया भूमिपूजन

भारत की सख्त चेतावनी, संघर्ष विराम तोड़ा तो देंगे कड़ा जवाब, ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के 3 एयर डिफेंस सिस्टम ध्वस्त

Operation sindoor

थल सेनाध्यक्ष ने शीर्ष सैन्य कमांडरों के साथ पश्चिमी सीमाओं की मौजूदा सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की

राष्ट्र हित में प्रसारित हो संवाद : मुकुल कानितकर

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies