प्रगतिशीलता का मारीची छल
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम सम्पादकीय

प्रगतिशीलता का मारीची छल

by WEB DESK
Mar 22, 2021, 05:33 pm IST
in सम्पादकीय
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारतीय राजनीति आज सकारात्मक परिवर्तन के मार्ग पर है। दुनिया देख रही है कि यह परिवर्तन 2014 से प्रारंभ हुआ है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने प्रगतिशीलता की राह पकड़ी थी परंतु दुर्भाग्यवश इसकी दिशा पश्चगामी हो गई। नेहरू ने प्रगतिशीलता के नाम पर जिन भी विचारों का समर्थन किया, वस्तुत: वे समय की कसौटी पर थोथे व इस देश की बहुसंख्यक जनता के मन के विरुद्ध थे। धर्म के नाम पर विभाजन और उसके परिणामस्वरूप नरसंहार की त्रासदी झेलने वाली जनता सद्य:प्राप्त स्वतंत्रता के कारण उन वैचारिक स्थापनाओं को स्वीकार करती गई। प्रगतिशीलता की आयातित अवधारणाओं के चलते स्थिति यहां तक आ गई कि जिन प्रतीकों, परंपराओं और संस्कृति के लिए स्वतंत्रता प्राप्त की गई, स्वतंत्र भारत में शनै:-शनै: उन्हीं प्रतीकों, परंपराओं और संस्कृति को रूढ़िवादी समझा जाने लगा।

प्रगतिशीलता की इस अंध-दौड़ में स्थिति यहां तक पहुंच गई कि रामराज्य की स्थापना की कल्पना करके लड़े गए स्वातंत्र्य समर के बाद जन-जन के आराध्य ‘राम’ शब्द का उच्चारण करने तक को ‘पिछड़ापन’ माना जाने लगा, श्रीराम को कल्पित चरित्र की संज्ञा दी जाने लगी। हिंदुस्थान में हिंदुओं को हाशिए पर ठेलती, राष्ट्रीय सरोकारों का उपहास उड़ाती राजनीति का कुचक्र कुछ ऐसा था कि आतंकवाद को ‘जायज’ ठहराने और आतंकियों को ‘मासूम’ बताने की चेष्टाएं होने लगीं और बलिदानियों को नजरअंदाज किया जाने लगा। साथ ही इस आतंकवाद को झेलने वाले समुदाय पर ही आतंकवादी होने का ठप्पा लगाने की साजिशें शुरू हो गर्इं। इन साजिशों की कोख से ही ‘हिंदू आतंकवाद’ जैसे मिथक गढ़े गए।
इस अंध-प्रगतिशीलता के परिणामस्वरूप आतंकियों के विरुद्ध हुए बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी साबित करने की होड़ मच गई। यूपीए काल में 13 सितंबर, 2008 को दिल्ली में हुए शृंखलाबद्ध विस्फोटों की जांच में दिल्ली पुलिस को पता चला कि इस विस्फोट के पीछे इंडियन मुजाहिदीन का हाथ है। 19 सितंबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक पुष्ट सूचना पर दिल्ली के जामिया नगर इलाके में बाटला हाउस में छिपे आतंकियों को घेर लिया जिसमें दोनों तरफ से हुई गोलीबारी में दो आतंकी आतिफ आमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए थे, जबकि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम का नेतृत्व कर रहे इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए। इस मामले में एक आतंकी शहजाद अहमद को 2013 में सजा हो चुकी है और एक अन्य आतंकी आरिज खान उर्फ जुनैद को दिल्ली के साकेत न्यायालय ने 8 मार्च, 2021 को अपने फैसले में दोषी माना है। शहजाद अहमद की सजा के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में की गई अपील भी खारिज हो चुकी है। इससे पूर्व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी साफ-साफ कह चुका है कि बाटला हाउस एनकाउंटर सही था।

परंतु प्रगतिशीलता की अंध-दौड़ में शामिल तत्कालीन कांग्रेसी व अन्य नेताओं ने बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी साबित करने की चेष्टा की। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने तो यहां तक कह दिया, ‘‘इस फर्जी एनकाउंटर में मारे गए ‘मासूम’ लड़कों की तस्वीर देख कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी रो पड़ी थीं और रात भर सो नहीं पार्इं।’’ वहीं कांग्रेस के एक अन्य दिग्गज दिग्विजय सिंह हाल तक इसे फर्जी एनकाउंटर साबित करने की जुगत में लगे रहे। इन अवधारणाओं को स्थापित करने की कोशिश में इन लोगों ने कानून और सर्वोच्च न्यायालय तक को नजरअंदाज करना सही समझा।

परंतु 2014 से प्रारंभ राजनीतिक अवधारणा संबंधी परिवर्तनों के बाद जन दबाव इतना बढ़ने लगा कि कल तक राम को मिथक बताने वाले अब रामराज्य की बात करने को विवश हैं। स्वयं को दुर्घटनावश हिंदू बताने वाले और बाबर की कब्र पर जाकर नमन करने वालों के वंशज अब कुर्ते के ऊपर जनेऊ पहनने लगे हैं। अभी की बात करें तो दुर्गा पूजा जैसे हिंदू त्योहारों पर भौहें टेढ़ी करने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब मंच से चंडी पाठ करने लगी हैं। परंतु लोगों को यह याद रखना होगा कि राम कथा में सीता हरण के लिए रावण ने मारीच के छल का भी सहारा लिया था। सोने का हिरण हमेशा हिरण ही नहीं होता, जब रावण रूपी आसुरी ताकतें छल करती हैं तो यह हिरण नहीं, मारीच भी हो सकता है।
बटला हाउस पर रोने वाले, राम को नकारने वाले और ‘जय श्रीराम’ नारे से बौखलाने वालों का छल कितना गहरा है, इस पर देशवासियों को सोचना चाहिए।
@hiteshshankar

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

four appointed for Rajyasabha

उज्ज्वल निकम, हर्षवर्धन श्रृंगला समेत चार हस्तियां राज्यसभा के लिए मनोनीत

Kerala BJP

केरल में भाजपा की दो स्तरीय रणनीति

Sawan 2025: भगवान शिव जी का आशीर्वाद पाने के लिए शिवलिंग पर जरूर चढ़ाएं ये 7 चीजें

CM Yogi Adityanath

उत्तर प्रदेश में जबरन कन्वर्जन पर सख्त योगी सरकार, दोषियों पर होगी कठोर कार्यवाही

Dhaka lal chand murder case

Bangladesh: ढाका में हिंदू व्यापारी की बेरहमी से हत्या, बांग्लादेश में 330 दिनों में 2442 सांप्रदायिक हमले

प्रदर्शनकारियों को ले जाती हुई पुलिस

ब्रिटेन में ‘पैलेस्टाइन एक्शन’ के समर्थन में विरोध प्रदर्शन, 42 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

four appointed for Rajyasabha

उज्ज्वल निकम, हर्षवर्धन श्रृंगला समेत चार हस्तियां राज्यसभा के लिए मनोनीत

Kerala BJP

केरल में भाजपा की दो स्तरीय रणनीति

Sawan 2025: भगवान शिव जी का आशीर्वाद पाने के लिए शिवलिंग पर जरूर चढ़ाएं ये 7 चीजें

CM Yogi Adityanath

उत्तर प्रदेश में जबरन कन्वर्जन पर सख्त योगी सरकार, दोषियों पर होगी कठोर कार्यवाही

Dhaka lal chand murder case

Bangladesh: ढाका में हिंदू व्यापारी की बेरहमी से हत्या, बांग्लादेश में 330 दिनों में 2442 सांप्रदायिक हमले

प्रदर्शनकारियों को ले जाती हुई पुलिस

ब्रिटेन में ‘पैलेस्टाइन एक्शन’ के समर्थन में विरोध प्रदर्शन, 42 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

Trump Tariff on EU And maxico

Trump Tariff: ईयू, मैक्सिको पर 30% टैरिफ: व्यापार युद्ध गहराया

fenugreek water benefits

सुबह खाली पेट मेथी का पानी पीने से दूर रहती हैं ये बीमारियां

Pakistan UNSC Open debate

पाकिस्तान की UNSC में खुली बहस: कश्मीर से दूरी, भारत की कूटनीतिक जीत

Karnataka Sanatan Dharma Russian women

रूसी महिला कर्नाटक की गुफा में कर रही भगवान रुद्र की आराधना, सनातन धर्म से प्रभावित

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies